'राज्य को बचाने के लिए सभी को एक साथ खड़े होने की जरूरत', तमिलनाडु सीएम का चौंकाने वाला बयान
तमिलनाडु सीएम ने कहा कि 'आज तमिलनाडु दो अहम चुनौतियों से जूझ रहा है। इनमें से एक है भाषा की लड़ाई, जो हमारी जीवनरेखा है। वहीं दूसरी लड़ाई है परिसीमन की, जो हमारा अधिकार है।'
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चेन्नई (आरएनआई) तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने शुक्रवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो संदेश साझा कर लोगों से राज्य को बचाने के लिए एकजुट होने की अपील की। उन्होंने कहा कि परिसीमन और तीन भाषा नीति से लड़ने की जरूरत है। स्टालिन ने कहा कि परिसीमन राज्य के आत्मसम्मान, सामाजिक न्याय और जनकल्याणकारी योजनाओं से जुड़ा मामला है।
तमिलनाडु सीएम ने अपनी पार्टी के कैडर से अपील करते हुए कहा कि 'आज तमिलनाडु दो अहम चुनौतियों से जूझ रहा है। इनमें से एक है भाषा की लड़ाई, जो हमारी जीवनरेखा है। वहीं दूसरी लड़ाई है परिसीमन की, जो हमारा अधिकार है। मैं आपसे अपील करता हूं कि इस लड़ाई के बारे में लोगों को बताया जाए। परिसीमन का सीधा असर राज्य के आत्म सम्मान, सामाजिक न्याय और लोगों की कल्याणकारी योजनाओं पर होगा। आपको इस संदेश को लोगों तक लेकर जाना होगा ताकि राज्य का हर नागरिक राज्य को बचाने के लिए एकजुट हो सके।'
तमिलनाडु सीएम ने अपने 72वें जन्मदिन की संध्या पर जारी संदेश में कहा कि 'उनकी पार्टी डीएमके इस अन्याय को स्वीकार नहीं करेगी और इसके खिलाफ आवाज उठाएगी।' स्टालिन ने कहा कि 'हमारी मांग साफ है कि संसदीय सीटों का निर्धारण जनसंख्या के आधार पर नहीं होना चाहिए। दक्षिणी राज्यों को जनसंख्या नियंत्रित करने के लिए दंड नहीं दिया जाना चाहिए। हमें ये शपथ लेनी चाहिए कि हम तमिलनाडु के कल्याण और भविष्य पर कोई समझौता नहीं करेंगे। हमें राज्य के अधिकार की इस लड़ाई में एकजुट होने की जरूरत है। तमिलनाडु इसका विरोध करेगा और इसमें जीत हासिल करेगा।'
स्टालिन ने कहा कि परिसीमन को लेकर कर्नाटक, पंजाब, तेलंगाना और कई अन्य राज्यों से भी आवाज उठ रही है। केंद्र सरकार परिसीमन को हम पर नहीं थोप सकती। सीएम स्टालिन ने तीन भाषा नीति का भी विरोध किया और कहा कि भाषा के आधार पर केंद्र राज्य के फंड रोक रहा है और अब परिसीमन से राज्य का प्रतिनिधित्व भी प्रभावित होगा। स्टालिन ने कहा कि हमारी मांग है कि सिर्फ जनसंख्या के आधार पर परिसीमन नहीं होना चाहिए। गौरतलब है कि हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सुनिश्चित किया था कि परिसीमन से दक्षिण के राज्यों को नुकसान नहीं होगा। हालांकि कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने गृह मंत्री के बयान पर असंतोष जाहिर किया और कहा कि उनकी बात पर विश्वास नहीं किया जा सकता।
साल 2026 से परिसीमन की प्रक्रिया शुरू होगी। अगर परिसीमन जनसंख्या के आधार पर हुआ तो इससे दक्षिण के राज्यों में लोकसभा सीटें घट सकती हैं और उत्तरी राज्यों में सीटें बढ़ सकती हैं। इसका दक्षिण के राज्य विरोध कर रहे हैं।
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