राज्यसभा में गृह मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा की मांग, विपक्षी दलों ने बीएसी की बैठक में रखा प्रस्त
उच्च सदन की कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की मंगलवार को हुई बैठक में तृणमूल कांग्रेस ने गृह मंत्रालय पर चर्चा कराए जाने का प्रस्ताव रखा।
नई दिल्ली (आरएनआई) संसद में बजट पेश किए जाने के बाद कुछ मंत्रालयों के कामकाज पर राज्यसभा में चर्चा जारी रहने के बीच विपक्षी दलों ने मांग की है कि गृह मंत्रालय के कामकाज पर भी चर्चा होनी चाहिए। सूत्रों ने कहा कि विपक्षी दलों ने मंगलवार को कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की बैठक के दौरान यह प्रस्ताव रखा कि सदन में किन मंत्रालयों पर चर्चा की जानी चाहिए। आमतौर पर राज्यसभा में चार मंत्रालयों के कामकाज पर चर्चा होती है। उच्च सदन की कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की मंगलवार को हुई बैठक में तृणमूल कांग्रेस ने गृह मंत्रालय पर चर्चा कराए जाने का प्रस्ताव रखा।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बृहस्पतिवार को सांसदों को नसीहत दी कि वे सदन की कार्यवाही के दौरान सतर्क रहें, वर्ना सवाल पूछने का मौका खो देंगे। बिरला ने यह बात शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल को तीन बार आवाज देने के बाद भी प्रतिक्रिया नहीं देने पर कही। प्रश्नकाल में बादल ने एक सवाल चर्चा के लिए कार्यवाही के एजेंडे में सूचीबद्ध कराया था। बिरला ने कई बार बादल का नाम लिया, पर वे बातचीत में मशगूल दिखीं, इसके बाद बिरला ने अगले प्रश्न पर जाने का फैसला किया।
विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा को सूचित किया कि पिछले साल 2,16,219 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी। आप सदस्य राघव चड्ढा का सवाल के लिखित जवाब में उन्होंने 2011-2018 का संबंधित डाटा भी साझा किया। चड्ढा ने पूछा कि कि क्या सरकार ने इसके कारणों का पता लगाने के लिए कदम उठाए हैं। जवाब में सिंह ने कहा, नागरिकता छोड़ने के कारण व्यक्तिगत हैं। ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के युग में वैश्विक कामकाज की स्थितियां बदली हैं। इस कारण भारतीय प्रवासियों का देश के साथ जुड़ाव में खासा बदलाव लाया है।
लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान सड़क परिवहन राज्य मंत्री अजय टम्टा अध्यक्ष ओम बिरला के समझाने के बाद भी सवाल समझ नहीं पाए। इससे झुंझलाकर बिरला ने मंत्री को जवाब देने के बीच में बैठने को कह दिया। करौली धौलपुर से सांसद भजन लाल जाटव ने पूछा था कि राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित करने का मापदंड क्या है। सवाल का जवाब देते हुए मंत्री टम्टा ने कहा कि सदस्य ने महाराष्ट्र के संदर्भ में सवाल किया है। अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने पूछा है कि राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित करने की नीति क्या है? इस पर टम्टा ने कहा कि नहीं, उन्होंने अपने लोकसभा क्षेत्र के बारे में पूछा है। इस पर स्पीकर ने एक बार फिर से उन्हें सवाल समझाया। इसके बाद टम्टा सवाल के उलट राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण में मोदी सरकार की उपलब्धियां गिनाने लगे। इस पर अध्यक्ष ने दूसरे सवाल पर आने की घोषणा करते हुए मंत्री को बैठने का निर्देश दिया।
सड़क हादसों के पीड़ितों को कैशलेस उपचार उपलब्ध कराने के लिए एक योजना तैयार की गई है। केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में यह जानकारी दी।
गडकरी ने बताया कि सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) के सहयोग से सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को कैशलेस उपचार प्रदान करने के लिए एक योजना तैयार की है। इसमें सड़क पर किसी भी तरह के मोटर वाहन के इस्तेमाल से हुई दुर्घटना शामिल है। इस योजना का चंडीगढ़ और असम में पायलट आधार पर क्रियान्वयन शुरू किया गया है। इसके तहत पात्र पीड़ित को आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना के तहत सूचीबद्ध अस्पतालों में दुर्घटना की तारीख से सात दिनों के लिए अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य लाभ पैकेज दिया जाता है।
इस योजना को मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 164 बी के तहत गठित 'मोटर वाहन दुर्घटना कोष' के तत्वावधान में प्रशासित किया जा रहा है। उन्होंने कहा, केंद्रीय मोटर वाहन (मोटर वाहन दुर्घटना कोष) नियम, 2022 के तहत आय के स्रोत और उसके इस्तेमाल को लेकर प्रावधान किए गए हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष व राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने बजट को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी के इस बजट में बी का मतलब विश्वासघात है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार की रोजगार संबंधी प्रोत्साहन योजनाएं भी सिर्फ दिखावा हैं। इनसे किसी युवा का भला नहीं होने वाला है। खरगे ने कहा बजट में उद्योगों पर जो इंटर्नशिप थोपी गई है वह असल में रोजगार का कोई स्थायी समाधान नहीं है।
खरगे ने सवाल उठाया कि सरकार इन योजनाओं का ब्यौरा कब देगी। उन्होंने कहा कि बजट में रोजगार को लेकर पेश की गई पांच योजनाओं के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है। कांग्रेस के घोषणापत्र से आधे-अधूरे तरीके से उठाकर बजट में जिन योजनाओं का एलान किया गया है, क्या सरकार ने इन्हें तैयार करते समय हितधारकों से परामर्श किया था। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बजट में जो इंटर्नशिप योजना उद्योगों पर थोपी गई है, उसमें सार्वजनिक कंपनियों को शामिल नहीं किया गया, क्योंकि भाजपा नहीं चाहती है कि इस क्षेत्र की कंपनियों में आरक्षण के जरिये एससी, एसटी, ओबीसी व ईडब्ल्यूएस युवाओं की भर्ती हो पाए।
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