राजस्थान में सजा चुनावी मंच, पिछली बार से कितनी बदली सियासत
राजस्थान में चुनावी दंगल का एलान आज हो गया। चुनाव आयोग ने इससे जुड़े सभी एलान कर दिए हैं। आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए चुनावी प्रक्रिया और तारीखों का एलान कर दिया। इससे पहले ही कांग्रेस, भाजपा, आप समेत सभी दल चुनावी तैयारियों में जुटे हुए हैं।
राजस्थान, (आरएनआई) राजस्थान में विधानसभा चुनाव का एलान कर दिया गया है। चुनाव आयोग ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव की तारीखों का एलान किया। राजस्थान में एक चरण मतदान कराया जाएगा। यहां 23 नवंबर को मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। चुनाव के परिणात सभी राज्यों के साथ तीन दिसंबर को आएंगे।
200 सीटों के लिए 23 नवंबर को मतदान होगा
मतों की गिनती तीन दिसंबर को की जाएगी।
चुनाव की अधिसूचना 30 अक्तूबर को जारी होगी।
उम्मीदवार छह नवंबर तक नामांकन दाखिल कर सकेंगे।
सात नवंबर को नामांकन की जांच होगी।
नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख नौ नवंबर होगी।
बात अगर राजस्थान विधानसभा की करें तो यहां 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद काफी कुछ बदल गया है। इस दौरान राजस्थान की जनता ने कांग्रेस की अंदरूनी कलह, सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच जारी शीतयुद्ध और भी काफी कुछ है। इन सब के बीच आइए जानते हैं बीते पांच साल में राज्य की सियासत में क्या-क्या बदला? 2018 के चुनाव नतीजे क्या रहे? कब-कब गहलोत सरकार पर संकट आया? राज्य में कांग्रेस की जीत का नेतृत्व करने वाले सचिन पायलट ने कब-कब गहलोत सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कीं?
राजस्थान विधानसभा के लिए चुनाव सात दिसंबर को हुए थे जबकि परिणाम 11 दिसंबर को घोषित हुए। अलवर की रामगढ़ सीट छोड़कर बाकी 199 सीटों पर मतदान हुआ। रामगढ़ सीट पर बसपा के प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह के निधन के कारण चुनाव स्थगित हो गया था। इस चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को पटखनी देते हुए 99 सीटें जीतीं।
इसके साथ ही प्रदेश में हर पांच साल में सत्ता परिवर्तन का रिवाज कायम रहा। भाजपा को 73, मायावती की पार्टी बसपा को छह तो अन्य को 20 सीटें मिलीं। कांग्रेस को बहुमत के लिए 101 विधायकों की जरूरत थी। कांग्रेस ने निर्दलियों और अन्य की मदद से जरूरी आंकड़ा जुटा लिया। इसके साथ ही राज्य की सत्ता में वापसी की।
चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस के सामने मुख्यमंत्री का सवाल खड़ा हो गया। इसके लिए तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा सहित पार्टी के शीर्ष नेताओं के बीच गहन चर्चा हुई। इसके बाद अशोक गहलोत के हाथों में राज्य की सत्ता सौंपने का फैसला हुआ।
इसी दौरान राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री पद के दावेदार दोनों नेताओं की खुद के साथ एक तस्वीर ट्वीट की। इस फोटो को उन्होंने कैप्शन दिया, 'यूनाइटेड कलर्स ऑफ राजस्थान।' बसपा और निर्दलीय विधायकों ने सरकार बनाने के लिए अपना समर्थन सौंप दिया जिसके मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बने।
चुनाव के बाद सभी बसपा विधायक कांग्रेस में शामिल हुए
राज्य में चुनाव के बाद कभी भी सियासी हलचलें नहीं थमीं। सितंबर 2019 में एक बड़ा सियासी घटनाक्रम घटा जब बहुजन समाज पार्टी के सभी छह विधायक सत्तारुढ़ कांग्रेस में शामिल हो गए। कई दिनों तक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के संपर्क में रहे बसपा विधायकों ने अपने विधायक दल के कांग्रेस में विलय की सूचना देने वाला एक पत्र विधानसभा अध्यक्ष सी.पी. जोशी को सौंपा।
जब पायलट गुट की बगावत से खड़ा हुआ सरकार गिरने का खतरा
दिसंबर 2018 में सरकार बनने के 19 महीने बाद ही गहलोत सरकार के सामने बड़ा संकट खड़ा हुआ। यह संकट 12 जुलाई 2020 से शुरू होता है जब कांग्रेस के 19 विधायक गहलोत और पायलट गुटों के बीच विभिन्न मुद्दों पर विवादों के बाद दिल्ली आ गए। ये विधायक तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के खेमे के थे। इसी बीच पायलट ने दावा किया कि उनके पास कुल 30 विधायकों का समर्थन है।
कांग्रेस ने संभालने के लिए रणदीप सिंह सुरजेवाला, अजय माकन और अविनाश पांडे को जयपुर भेजा। इस बीच, सचिन पायलट ने फिर से पुष्टि की कि वह भाजपा में शामिल नहीं होंगे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और अन्य नेताओं के साथ कांग्रेस विधायकों ने विश्वास प्रस्ताव के लिए एक बैठक की। सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों को भी इस मुद्दे पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया गया था, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। 14 जुलाई को उन्हें उनके दो विधायकों सहित राजस्थान के उपमुख्यमंत्री और राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा को राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया। सचिन पायलट का समर्थन करने वाले कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह और रमेश चंद मीणा से भी उनके मंत्रालय छीन लिए गए। बगावत के लिए कांग्रेस यहीं नहीं रुकी बाद में पायलट को विधानसभा से उनकी सदस्यता भंग करने के बारे में राजस्थान विधान सभा के अध्यक्ष, सी. पी. जोशी ने नोटिस भेज दिया।
10 अगस्त को, सियासी घटनाक्रम में बड़ा उलटफेर देखने को मिला, जब अचानक सचिन पायलट राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मिले। इसके बाद सचिन पायलट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिले और आखिरकार, राजस्थान कांग्रेस के दोनों गुट फिर से एक हो गए। 14 अगस्त को, अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली राजस्थान सरकार ने राजस्थान विधान सभा में ध्वनि मत से विश्वास मत जीत लिया। इस दौरान राजस्थान सरकार के सभी विधायक उपस्थित थे।
What's Your Reaction?