'राजनीतिक संरक्षण के बिना भोले बाबा जैसे लोग नहीं आगे बढ़ते' : पूर्व डीजीपी बृजलाल

बृज लाल ने कहा कि 20 दिसंबर 1989 को उन्हें इटावा भेजा गया। बतौर पुलिस अधीक्षक उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और अपने वरिष्ठ अफसरों की नाराजगी मोल लेकर अपने थानाध्यक्ष आलम खान का उनके सही कामकाज के लिए संरक्षण किया था। विभागीय कार्रवाई और तमाम समस्याएं झेले, लेकिन अप्रैल 1990 में मुख्यमंत्री के भाई और उ.प्र. विधानसभा के वर्तमान सदस्य शिवपाल सिंह यादव के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराने से पीछे नहीं हटे। 

Jul 6, 2024 - 17:26
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'राजनीतिक संरक्षण के बिना भोले बाबा जैसे लोग नहीं आगे बढ़ते' : पूर्व डीजीपी बृजलाल

नई दिल्ली (आरएनआई) हाथरस में जो कुछ हुआ, वह प्रशासन और पुलिस की बहुत बड़ी लापरवाही का परिणाम है। उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी और अपने समय के तेजतर्रार अफसरों में गिने जाने वाले बृज लाल ने कहा कि नारायण साकार उर्फ भोले बाबा जैसे लोग बिना राजनीतिक संरक्षण के नहीं फलते फूलते।  बृजलाल ने कहा कि संविधान की शपथ लेकर कुर्सी पर बैठे सरकार के अधिकारियों और पुलिस प्रशासन को गंभीरता से अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। बृज लाल भाजपा के राज्यसभा सदस्य हैं। पिछली सरकार में गृह मंत्रालय की संसदीय समिति में थे। बृज लाल ने कहा कि वातानुकूलित गाड़ियों, बंगलों और सिर्फ दफ्तर में बैठने से देश आगे नहीं बढ़ेगा।

बृज लाल ने कहा कि 20 दिसंबर 1989 को उन्हें इटावा भेजा गया। बतौर पुलिस अधीक्षक उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और अपने वरिष्ठ अफसरों की नाराजगी मोल लेकर अपने थानाध्यक्ष आलम खान का उनके सही कामकाज के लिए संरक्षण किया था। विभागीय कार्रवाई और तमाम समस्याएं झेले, लेकिन अप्रैल 1990 में मुख्यमंत्री के भाई और उ.प्र. विधानसभा के वर्तमान सदस्य शिवपाल सिंह यादव के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराने से पीछे नहीं हटे। 

बृज लाल पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के राज में उ.प्र. के पुलिस महानिदेशक रहे। माफिया के खिलाफ करीब 20 ऑपरेशन में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह कहते हैं कि जब शिवपाल के खिलाफ केस न करने के लिए मेरे ऊपर दबाव पड़ रहा था तो मेरे लिए बहुत आसान था। शिवपाल को क्लीनचिट दे देते और सरकार से प्रोन्नति, पोस्टिंग और मलाई का तमगा ले लेते, लेकिन संविधान रक्षा की शपथ मेरी पहली प्राथमिकता रही।  

पूर्व पुलिस अधिकारी ने कहा कि बिना राजनीतिक संरक्षण के भोले बाबा जैसे लोग आगे नहीं बढ़ते। वोट बैंक की राजनीति में नेता भोले बाबा को चमत्कारी बताने लगते हैं। मंच पर राजनेताओं के इस प्रयास से बाबाओं के अनुयायी बहुत बढ़ते लगते हैं और बाबा बाद में मुसीबत बन जाते हैं। वह कहते हैं कि आप भोले बाबा को देख लीजिए। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का वीडियो वायरल हो रहा है। भोले बाबा को चमत्कारी बता रहे हैं। अब आप समझ लीजिए। जब ऐसा होगा तो तमाम अफसर बाबा की संभावित अनुकंपा पाने के लिए भी दरबार लगाएंगे। आगरा के रामवृक्ष यादव को याद कर लीजिए। किसके संरक्षण में पले-बढ़े, फूले। जवाहर बाग को कब्जा कर लिया। अपनी पहरेदार, सेना खड़ी कर ली। उसे एक राज्यसभा सांसद का संरक्षण प्राप्त था और बाद में क्या हुआ, सब जानते हैं।


बृज लाल कहते हैं कि देखते-देखते उ.प्र. पुलिस का पूर्व हेड कांस्टेबल बाबा बन गया। आश्रम बना लिया। प्रवचन देने लगा। चमत्कारी बाबा बन गया। उसकी ब्लैक, व्हाइट और पिंक सेना अस्तित्व में आ गइ। प्रशासन तथा पुलिस कह रही है कि उसके सेवादार और अनुयायी पुलिस प्रशासन को आश्रम या अंदर घुसने तक नहीं देते थे। भोले बाबा अपना ही राज चला रहा था। बृजलाल के मुताबिक यह कोई आज से तो चल नहीं रहा था। काफी पहले से था। बाबा अपना सत्संग कर रहा था। यह चलता रहता, लेकिन अब हाथरस का हादसा हो गया तो उसकी पोल खुल गई। ऐसा नहीं है कि यह देश का कोई पहला ऐसा बाबा है। आपको बताया आगरा के जवाहर बाग में रामवृक्ष यादव को भी ऐसे ही दो दिन के लिए लाया गया था और राजनीतिक संरक्षण मिलने के बाद वह अपना राज चला रहा था। कोर्ट के आदेश पर जब उस क्षेत्र को खाली कराने पुलिस प्रशासन के लोग गए तो अधिकारी तक उसके हमले का शिकार हो गए। बाबा की सुरक्षा में लगे लोगों ने गोलियां चलाईं। बृज लाल ने कहा सब वोट बैंक का मामला है, सब कारपेट पर लोटने लगते हैं। 

उ.प्र. के पूर्व पुलिस महानिदेशक बताते हैं कि कैसे भोले बाबा पनपा, खड़ा हुआ? वह खुद जाटव समाज से है। उसके अनुयायियों में जाटव समाज, यादव समेत अन्य हैं। तीन-चार राज्यों में उसके अनुयायी हैं। भोले बाबा एक कांस्टेबल था। बृजलाल पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के दौर को याद करते हुए कहते हैं कि 2007 में वह मुख्यमंत्री बनी थीं। तब यह इतना बड़ा बाबा नहीं था। इसका छोटा-मोटा सत्संग का कार्यक्रम चलता रहा होगा। इसका मुख्य कार्य क्षेत्र भी मैनपुरी और उसके आस-पास रहा। बाद में 2012-2017 तक मुख्यमंत्री अखिलेश यादव रहे। उस दौरान इसे फलने, फूलने, पनपने का खूब अवसर मिला। तब आर्थिक साम्राज्य कितना मजबूत हुआ होगा। सामाजिक शक्ति कितनी बढ़ी होगी। बाबा का जनाधार इतना बढ़ गया कि उसकी तारीफ में राजनीतिक दल के प्रमुख गुणगान करने लगे।

बृज लाल ने कहा कि वह पूर्व डीजीपी की हैसियत से और बड़ी जिम्मेदारी से कह रहे हैं कि घोर लापरवाही हुई है। प्रशासन और पुलिस के अफसरों की लापरवाही, खुफिया तंत्र की नाकामी से वह इनकार नहीं कर सकते। आखिर बाबा इतना कैसे फला और फूला कि सिरदर्द बन गया? बृजलाल कहते हैं कि हाथरस में भगदड़ न मची होती, 123 के करीब लोग इसमें मारे न जाते तो बाबा अभी और फलता-फूलता। बृजलाल ने कहा कि आज के अफसर अब फील्ड के अफसर नहीं रहे। धूप से खुद को बचाने में लगे रहते हैं। वातानुकूलित गाड़ियां, बंगलों और ऑफिस से बाहर नहीं निकल पाते। थोड़ा समय भी बदला है। राजनीतिक वातावरण भी इसके लिए जिम्मेदार है। बृज लाल कहते हैं कि आंख मूदकर एक तरफा बात करने से कोई समस्या का समाधान नहीं हो सकता। जिन अफसरों ने संविधान की शपथ ली है, उन्हें निष्पक्षता से निर्भीक होकर अपना दायित्व निभाना चाहिए।
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