'रमजान तक नहीं रुका युद्ध तो बद से बदतर होंगे हालात' : बाइडन
काहिरा में संघर्ष विराम को लेकर बातचीत चल रही है। संघर्ष विराम के लिए इस्राइल ने हमास के सामने कुछ शर्तें रखी हैं, इसलिए अब यह पूरा समझौता हमास के ऊपर निर्भर है कि वह स्वीकारता है या नहीं।
वॉशिंगटन (आरएनआई) इस्राइल और हमास के बीच पांच महीने से अधिक समय से युद्ध जारी है। सात अक्तूबर को हमास के आतंकियों ने इस्राइल पर हमला कर कई सैकड़ों लोगों को बंधक बना लिया था। बाद में, इस्राइल ने कड़ी जवाबी कार्रवाई और समझौता कर अपने कुछ लोगों को रिहा करा लिया था। बीच में कहा जा रहा था कि एक बार फिर जंग थोड़े समय के लिए रुक सकती है और बंधकों को आजाद कराया जा सकता है। बाद में उम्मीद पर पानी फिरता दिखाई दिया। अब इस पूरे मामले पर अमेरिका सख्त हो गया है। उसने चेतावनी दी है कि अगर रमजान तक संघर्ष विराम समझौता नहीं होता है तो स्थिति बद से बदतर हो जाएगी।
काहिरा में बातचीत चल रही है। बताया जा रहा है कि संघर्ष विराम के लिए इस्राइल ने हमास के सामने कुछ शर्तें रखी हैं, इसलिए अब यह पूरा समझौता हमास के ऊपर निर्भर है कि वह स्वीकारता है या नहीं।
वह एक समझौते को स्वीकार करे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने मंगलवार को चेतावनी दी। गाजा को दूसरी बार सहायता देने पर बाइडन ने अपने सहयोगी इस्राइल से यह भी कहा कि फलस्तीनी एन्क्लेव में और अधिक सहायता नहीं देने के लिए कोई बहाना नहीं है। जो बाइडन की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब अमेरिका दोनों पक्षों गाजा और इस्राइल से परेशान हो गया है। क्योंकि दोनों ही पक्ष अपनी-अपनी हठ पर अड़े हुए हैं।
मैरीलैंड की पहाड़ियों में कैंप डेविड प्रेसिडेंशियल रिट्रीट से व्हाइट हाउस लौटते हुए 81 वर्षीय बाइडन ने पत्रकारों से कहा, 'यह अभी हमास के हाथों में है। इस्राइली सहयोग कर रहे हैं, संघर्ष विराम का प्रस्ताव तर्कसंगत है। हमें कुछ दिनों में पता चल जाएगा, लेकिन हमें संघर्ष विराम की जरूरत है।
उन्होंने कहा, 'रमजान आने वाला है इसलिए युद्ध विराम होना चाहिए। अगर ऐसे हालात बनते है कि यह युद्ध रमजान तक जारी रहता है तो यह बहुत-बहुत खतरनाक हो सकता है। रमजान चंद्र कैलेंडर के आधार पर 10 या 11 मार्च से शुरू होगा।
गाजा में इस्राइल-हमास के बीच करीब पांच महीने से संघर्ष जारी है। सात अक्तूबर को दक्षिण इस्राइल पर हमास के हमले के बाद शुरू हुए युद्ध में तीस हजार से ज्यादा लोगों की जानें जा चुकी हैं। इस्राइल ने गाजा संघर्ष विराम और बंधकों को रिहा कराने के संबंध में बातचीत करने के लिए अपने प्रतिनिधिमंडल को काहिरा नहीं भेजने का फैसला लिया था।
इस्राइल ने यह फैसला ऐसे समय में लिया, जब हमास उसकी दो मांगों को मानने में असफल रहा। पहली मांग यह थी कि इस्राइल ने बंधकों की एक सूची मांगी थी, जिसमें हमास को बताना था कि कितने बंधक जीवित है और कितने मर गए। दूसरी यह कि बंधकों के बदले में इस्राइल की जेलों से रिहा होने वाले फलस्तीनी कैदियों के अनुपात की पुष्टि करना।
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