रंग भरनी एकादशी ब्रज का महत्वपूर्ण त्योहार : साध्वी राधिका साधिका पुरी
वृन्दावन। छटीकरा रोड़ स्थित कपिल कुटीर सांख्य योग आश्रम में ठाकुर श्रीराधिका बिहारी जू महाराज का 18 वाँ त्रिदिवसीय पाटोत्सव एवं होली महोत्सव के अंतर्गत दूसरे दिन संत-विद्वत सम्मेलन का आयोजन सम्पन्न हुआ। जिसकी अध्यक्षता करते हुए संत-प्रवर स्वामी गोविंदानंद तीर्थ महाराज एवं मुख्य अतिथि महामंडलेश्वर स्वामी डॉ अवशेषानंद महाराजने कहा कि राष्ट्रीय पर्व होली भारतीय वैदिक संस्कृति का अत्यंत पावन व प्रेम पूर्ण त्योहार है। यह सामाजिक सौहार्द्र व समरसता का भी पर्व है। इसीलिए आज के ही दिन 17 वर्ष पूर्व ठाकुर राधिका बिहारी जू महाराज को कपिल कुटीर सांख्य योग आश्रम में प्रतिष्ठित किया गया था।
महामंडलेश्वर साध्वी राधिका साधिका पुरी (जटा वाली मां) एवं ब्रज अकादमी की सचिव साध्वी डॉ. राकेश हरिप्रिया ने कहा कि रंगभरनी एकादशी ब्रज का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। आज के ही दिन से समूचे ब्रज में घनघोर रंगभरी होली का शुभारम्भ हो जाता है। आज के ही दिन से श्रीधामवृन्दावन के प्राचीन सप्त देवालय रंग से सराबोर होने लग जाते हैं। साथ ही प्राचीन काल के संतों द्वारा प्रारम्भ की गई परम्परानुसार ब्रजवासी एवं भक्त-श्रद्धालु श्रीधाम वृन्दावन की पंच कोसीय परिक्रमा अत्यंत श्रद्धा व धूमधाम के साथ करते हैं।
वरिष्ठ साहित्यकार व महोत्सव के समन्वयक डॉ. गोपाल चतुर्वेदी एवं भागवताचार्य विपिन बापू ने कहा कि जीवात्मा का परमात्मा के साथ महाभाव की स्थिति में अवस्थित हो कर के परमात्मा के साथ मिलन ही यथार्थ की होली है। गोपियां महाभावा स्वरूपा हैं, इसीलिए श्रीकृष्ण रूपी आनंद सिंधु में उनके साथ साक्षात रूप से गोपियां अवगाहन करती हैं।
महामंडलेश्वर स्वामी रामेश्वरानंद महाराज व अखंडानंद आश्रम के संत सेवानंद ब्रह्मचारी ने कहा कि होली का पर्व हमें यह सन्देश देता है कि जिस प्रकार भक्त प्रह्लाद के समक्ष होलिका का कोई महत्व नहीं रहा,उसी प्रकार पुण्य के समक्ष पाप का कोई अस्तित्व नहीं है। सत्य सदैव ही असत्य पर विजय प्राप्त करता है।
इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. आदित्यानन्द महाराज, स्वामी भुवनानंद महाराज, स्वामी आत्मानंद महाराज, ब्रजभूमि कल्याण परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित बिहारीलाल वशिष्ठ, डॉ. रमेश चंद्राचार्य विधिशास्त्री महाराज,आचार्य नेत्रपाल शास्त्री,आचार्य रामदत्त मिश्र, आचार्य रामकुमार दीक्षित, स्वामी सुबोधानंद महाराज, आचार्य रामदेव चतुर्वेदी, संत रासबिहारी दास महाराज, दुर्गा प्रसाद सैनी, स्वामी परमानंद महाराज,भागवताचार्य आशानन्द शास्त्री, पूर्णिमा साधिका, नमिता साधिका, राजू शर्मा, पूनम उपाध्याय, पुरुषोत्तम गौतम, डॉ. राधाकांत शर्मा, देवीसिंह कुंतल, रामदेव सिंह भगौर, पप्पू सरदार, राजकुमार शर्मा, सुरेशचंद्र सक्सैना,बलवीर सिंह, मोहन सिंह, कमल सिंह, जितेंद्र ठाकुर, भगवान दास, मनोज अग्रवाल, ईश्वरचंद्र रावत, पवन गौतम आदि की उपस्थिति विशेष रही।संचालन डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने किया।
इससे पूर्व विश्व कल्याणार्थ चल रहे वृहद यज्ञ में तमाम संतों, विप्रों व भक्तों-श्रृद्धालुओं ने आहुतियां दीं।इसके साथ ही "महामंत्र" का संगीतमय सामूहिक गायन किया गया।
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