यूरोपीय संघ ने ताइवान में चीनी आक्रामकता पर जताई चिंता
चीन की ताइवान में बढ़ती आक्रामकता पर यूरोपीय आयोग ने चिंता व्यक्त की। आयोग ने सुझाव दिया है कि चीन से निपटने के लिए यूरोपीय संघ को ताइवान के साथ संबंधों को मजबूत करना चाहिए और एक साझा रणनीति विकसित करनी चाहिए।
ताइपे (आरएनआई) यूरोपीय आयोग ने ताइवान में चीन की बढ़ती आक्रमकता पर चिंता जताई है। आयोग ने सुझाव दिया है कि चुनौतियों से निपटने के लिए यूरोपीय संघ को ताइवान के साथ अपने संबंधों को मजबूत करना होगा। इसके अलावा, चीन के आक्रामक व्यवहार को रोकने के लिए एक साझा रणनीति विकसित करने की आवश्यकता है।
'एक साथ सुरक्षित: यूरोप की नागरिक और सैन्य तैयारी और तत्परता को मजबूत करना' विषय पर एक रिपोर्ट तैयार की गई है, जिसमें यूरोपीय संघ के सामने आने वाली भूराजनीतिक चुनौतियों का मूल्यांकन किया गया। 2029 तक ब्लॉक के संस्थानों और सदस्य राज्यों में निर्णय निर्माताओं को सिफारिशें प्रस्तुत की जानी हैं। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की बढ़ती शक्ति और उसकी राष्ट्रीय शक्ति में वृद्धि से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में रणनीतिक संतुलन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ रहा है।
यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के विशेष सलाहकार और रिपोर्ट के लेखक, पूर्व फिनिश राष्ट्रपति सौली निनिस्तो ने कहा कि चीन का उदय और उसकी बढ़ती राष्ट्रीय शक्ति वृद्धि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में रणनीतिक संतुलन को गहराई से बदल रही है। उन्होंने कहा, 'ताइवान पर कब्जा करने की अपनी लंबे समय से चली आ रही महत्वाकांक्षाओं से परे, जिसे वह अपरिहार्य मानता है... भारत, फिलीपींस और वियतनाम सहित पड़ोसियों के प्रति चीन की आक्रामक विदेश और सुरक्षा नीतियां क्षेत्रीय स्थिरता को कमजोर कर रही हैं, जिससे संघर्ष के बढ़ने का खतरा पैदा हो रहा है।
ताइवान या दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रमकता के परिणामस्वरूप यूरोप और विश्व की अर्थव्यवस्था और सुरक्षा पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। इसके अलावा, चीन की आर्थिक और सैन्य शक्ति के कारण यूरोपीय और वैश्विक आपूर्ति शृंखलाएं भी प्रभावित हो सकती हैं।
यदि चीन ताइवान पर हमला करता है या जबरदस्ती के उपायों को आगे बढ़ाता है, जैसे कि बाहरी द्वीपों पर कब्जा, यातायात को प्रतिबंधित करना आदि, तो यूरोपीय और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं गंभीर रूप से बाधित हो सकती हैं। इसमें कहा गया है कि यूरो-अटलांटिक क्षेत्र की सुरक्षा और समृद्धि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के साथ निकटता से जुड़ी हुई है।
ताइवान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह ताइवान जलडमरूमध्य और भारत-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता पर यूरोपीय संघ के निरंतर ध्यान देने के साथ-साथ ताइवान के साथ सहयोग और आदान-प्रदान को बढ़ावा देने की इच्छा का स्वागत करता है।
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