यूपी: प्रदेश के बिजलीकर्मियों को बड़ा झटका देने की तैयारी, बिजली मीटर हुआ अनिवार्य
प्रदेश के बिजली कार्मिकों एवं पेंशनर्स पर शिकंजा कसने की तैयारी है। अब इन्हें मीटर लगाना अनिवार्य होगा। इस फैसले से लाखों लोग प्रभावित होंगे।
लखनऊ (आरएनआई) प्रदेश के बिजली कार्मिकों एवं पेंशनर्स पर शिकंजा कसने की तैयारी है। अब इन्हें मीटर लगाना अनिवार्य होगा। मीटर नहीं लगाने पर टैरिफ प्लान में तय औसत 400 यूनिट के बजाय 800 यूनिट का प्रतिमाह अधिकतम दर पर भुगतान करना होगा। टैरिफ तय करने संबंधित नए मानकों में इसका स्पष्ट प्रावधान किया गया है। इसकी जानकारी मिलते ही बिजली कार्मिकों में खलबली मची है। यह प्रावधान लागू हुआ तो करीब एक लाख से अधिक बिजली कर्मी, अभियंता व सेवानिवृत्त कार्मिक प्रभावित होंगे। नए प्रावधान को निजीकरण से भी जोड़कर देखा जा रहा है।
प्रदेश में पावर कार्पोरेशन एवं विभिन्न निगमों में करीब 73522 कार्मिक के पद हैं। करीब 28 हजार से अधिक पेंशनर्स हैं। अभी तक अवर अभियंता को प्रति माह 888 रुपये एवं एसी लगाने पर प्रति एसी 500 रुपया अतिरिक्त भुगतान करना पड़ता है। अब नियामक आयोग की ओर से टैरिफ निर्धारण के लिए नए मानक (मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन) का मसौदा जारी किया गया है। इसमें स्पष्ट है कि सभी कार्मिकों एवं पेंशनर्स को 31 दिसंबर 2025 तक मीटर लगाना अनिवार्य होगा। टैरिफ प्लान में मीटर नहीं लगाने पर औसतन प्रति उपभोक्ता 400 यूनिट बिजली खर्च माना जाता है। नए प्रस्ताव में यह प्रावधान है कि 31 दिसंबर 2025 तक मीटर नहीं लगने पर औसत यूनिट दोगुनी मानते हुए संबंधित कार्मिक से एलएमवी 1 श्रेणी के अधिकतम दर से वसूली की जाएगी।
अभी अवर अभियंता को प्रति माह 888, सहायक अभियंता को 1092, अधीक्षण अभियंता को 1626, मुख्य अभियंता को 1836 रुपये, लिपिक को 540 और चतुर्थ श्रेणी को 444 रुपया प्रति माह भुगतान करना होता है। एसी लगाने पर प्रति एसी पांच सौ रुपया अतिरिक्त भुगतान करना पड़ता है।
नए प्रावधान को मंजूरी मिली तो अवर अभियंता (जेई) को एक एसी लगाने पर करीब 1400 की जगह पांच हजार रुपये तक का भुगतान करना होगा। अभी औसत यूनिट 400 मानी जाती है। मानकों के तहत इसे दोगुना माने जाने पर हर कार्मिक और पेंशनर्स को 800 यूनिट की दर से अधिकतम यानी औसतन 6.50 रुपया प्रति यूनिट की दर से भुगतान करना होगा। इस तरह अभी तक बिजली कार्मिक जहां करीब 1400 रुपया भुगतान करते थे, उन्हें करीब 5000 रुपया भुगतान करना होगा। इसी तरह अन्य कार्मिकों को भी भुगतान करना होगा।
ऊर्जा संगठनों का आरोप है कि नया मसौदा निजी घरानों के दवाब में तैयार किया गया है। अभी तक निगमों का संचालन खुद संबंधित अधिकारी एवं कार्मिक करते रहे हैं। यही वजह है कि तमाम प्रयास के बाद भी अभी तक अभियंताओं एवं कार्मिकों के साथ ही पेंशनर्स के यहां भी बिजली मीटर नहीं लग पाए हैं। भविष्य में निजीकरण होने जा रहा है। ऐसे में कार्मिकों के यहां बिल वसूली में किसी तरह का अडंगा न आए, इसे ध्यान में रखते हुए नया मसौदा तैयार किया गया है। ऊर्जा संगठनों ने यह भी कहना है कि नियामक आयोग को अपनी संवैधानिकता का ध्यान रखना चाहिए और निजी घरानों का दवाब नहीं मानना चाहिए।
कब- कब हुआ मीटर लगाने का प्रयास
विद्युत अधिनियम 2003 में बिना मीटर कनेक्शन देने का प्रावधान नहीं है। ऐसे में नियामक आयोग और कार्पोरेशन की ओर से आए दिन मीटर लगाने का आदेश दिया जाता है, लेकिन मीटर नहीं लग पाता है।
हर वर्ष टैरिफ प्लान जारी होने से पहले भी नियामक आयोग की ओर से मीटर लगाने का आदेश दिया जाता है।
आठ अगस्त 2024 को पावर कार्पोरेशन के अध्यक्ष डा. आशीष कुमार गोयल ने निर्देश दिया कि बिजली कर्मियों एवं अन्य सरकारी कार्यालयों में अनिवार्य रूप से स्मार्ट मीटर लगाया जए।
Follow RNI News Channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6X
What's Your Reaction?