यूपी के दो पत्रकारों को सुप्रीम कोर्ट से राहत, चार और हफ्तों के लिए गिरफ्तारी से मिला संरक्षण
सुप्रीम कोर्ट से उत्तर प्रदेश के दो पत्रकारों- अभिषेक उपाध्याय और ममता त्रिपाठी को चार और हफ्तों के लिए गिरफ्तारी से संरक्षण मिला है। इस संबंध में अदालत ने उत्तर प्रदेश पुलिस को निर्देश दिए हैं। साथ ही अदालत ने कहा है कि इस बीच, पत्रकार अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कराने के लिए कानूनी उपायों का लाभ ले सकते हैं।

नई दिल्ली (आरएनआई) उत्तर प्रदेश के दो पत्रकारों- अभिषेक उपाध्याय और ममता त्रिपाठी को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उत्तर प्रदेश पुलिस को निर्देश दिया कि वह दोनों पत्रकारों की चार और हफ्तों तक गिरफ्तारी न करे। दोनों पत्रकारों के खिलाफ एक लेख लिखने और एक्स पर कुछ पोस्ट करने से संबंधित चार एफआईआर दर्ज की गई हैं।
जस्टिस एमएम सुंदरेश और राजेश बिंदल की पीठ ने अपने पिछले आदेश को चार और हफ्तों के लिए बढ़ा दिया, जिसमें पुलिस को पत्रकारों के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कदम न उठाने के लिए कहा गया था। पीठ ने कहा कि इस बीच, पत्रकार उनके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को रद्द करने के लिए कानूनी उपायों का लाभ उठा सकते हैं।
अभिषेक उपाध्याय ने 'सामान्य प्रशासन की जाति गतिशीलता' पर एक लेख लिखा था, जिसमें एक विशेष जाति के लोगों का उल्लेख किया गया था, जो उत्तर प्रदेश में जिम्मेदार पदों पर हैं। ममता त्रिपाठी के खिलाफ भी उनके कुछ पोस्ट के संबंध में कई एफआईआर दर्ज की गई हैं।
पत्रकार उपाध्याय के वकील ने कहा कि पुलिस ने उनके खिलाफ 'धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के अपराध' के लिए गैर-जमानती धाराओं का इस्तेमाल किया है। उन्होंने कहा कि उपाध्याय को राज्य की बलपूर्वक कार्रवाई के खिलाफ संरक्षण की जरूरत है। पीठ ने उपाध्याय और त्रिपाठी की याचिकाओं का निपटारा कर दिया।
पीठ ने उपाध्याय को संरक्षण देते हुए कहा था कि लोकतांत्रिक देशों में विचारों की स्वतंत्रता का सम्मान किया जाना चाहिए। पत्रकारों के अधिकार भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत संरक्षित हैं। केवल इसलिए कि किसी पत्रकार का लेखन सरकार की आलोचना के रूप में माना जाता है, लेखक के खिलाफ आपराधिक मामला नहीं चलाया जाना चाहिए। बाद में, पीठ ने त्रिपाठी को भी बलपूर्वक कार्रवाई के खिलाफ संरक्षण प्रदान किया।
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