यूपीपीएससी की नीति बांटने की...हम न बंटेंगे, न हटेंगे, प्रतियोगियों ने उठाए सवाल
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के झुकने के बाद भी प्रतियोगी छात्रों का धरना प्रदर्शन और आंदोलन पांचवें दिन भी जारी है। अभ्यर्थियों का कहना है कि आयोग की नीति बांटने की है। हम न बंटेंगे, न हटेंगे। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि आरओ/एआरओ की जो परीक्षा पहले एक दिन में कराई, वही अब दो दिन में क्यों?
प्रयागराज (आरएनआई) पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा- 2024 और आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा-2023 को लेकर उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) का निर्णय सवालों के घेरे में है। अभ्यर्थियों ने आयोग की मंशा पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाए हैं कि उसकी नीति अभ्यर्थियों बांटने की है लेकिन अभ्यर्थी न बंटेंग, न हटेंगे।
यही वजह रही कि आयोग के फैसले से असंतुष्ट अभ्यर्थी बृहस्पतिवार देर रात तक धरने पर बैठे रहे। पीसीएस परीक्षा एक दिन में कराने की घोषणा करने के बाद भी आयोग के वाहर धरने पर बैठे अभ्यर्थियों की भीड़ कम नहीं हुई है, क्योंकि पीसीएस का फॉर्म भरने वालों में से ज्यादातर अभ्यर्थियों ने आरओ/एआरओ परीक्षा के लिए भी आवेदन किया है।
पीसीएस परीक्षा के लिए 576154 अभ्यर्थियों ने आवेदन किए हैं जबकि आरओ/एआरओ परीक्षा के लिए 1076004 लाख अभ्यर्थी पंजीकृत हैं। आयोग ने यह तो स्पष्ट कर दिया कि पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा एक दिन में कराई जाएगी लेकिन आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा को लेकर अभ्यर्थियों को भ्रम है। आयोग ने आरओ/एआरओ परीक्षा के लिए एक कमेटी का गठन किया है, जो एक दिन की परीक्षा कराए जाने की संभावनाओं पर विचार करेगी।
पीसीएस के साथ आरओ/एआरओ परीक्षा के लिए भी फॉर्म भरने वाले धरने में शामिल छात्र मणिकांत तिवारी का कहना है कि जिस विज्ञापन के तहत 11 फरवरी को आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा-2023 का आयोजन किया गया था और परीक्षा एक दिन में कराई गई थी, उसी विज्ञापन के तहत परीक्षा अब दो दिन में क्यों कराई जा रही है। अगर पीसीएस परीक्षा एक दिन में कराने के लिए आयोग पर्याप्त संख्या में केंद्रों की व्यवस्था कर सकता है तो आरओ/एआरओ परीक्षा के लिए केंद्रों की व्यवस्था क्यों नहीं की जा सकती।
दोनों परीक्षाओं के लिए आवेदन करने वाले छात्र अनूप सिंह का कहना है कि अगर नॉर्मलाइजेशन होता है तो यह विज्ञापन की शर्तों का उल्लंघन होगा। वैसे भी आयोग भर्ती के बीच में प्रारंभिक परीक्षा के प्रश्नपत्र का स्वरूप बदलकर विज्ञापन का पहले ही उल्लंघन कर चुका है। प्रतियोगी छात्रों का कहना है कि आयोग अपनी मर्जी के लिए अभ्यर्थियों को जिधर चाहे हांक दे, यह होने नहीं देंगे। कमेटी गठित करने का मतलब साफ है कि आयोग की मंशा में खोट है।
अगर आयोग को अभ्यर्थियों की चिंता होती तो आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा भी एक दिन और एक पाली में कराने की घोषणा कर दी गई होती। अभ्यर्थी धरने से तब तक नहीं उठेंगे, जब तक आयोग आरओ/एआरओ के लिए वन डे, वन शिफ्ट का नोटिस जारी नहीं कर देता है।
आयोग के लिए पीसीएस व आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा का आयोजन अब इस साल करा पाना मुश्किल होगा। पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा सात व आठ दिसंबर और आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा 22 व 23 दिसंबर को प्रस्तावित थी। पीसीएस परीक्षा अब एक दिन में कराने के लिए पर्याप्त केंद्रों की व्यवस्था करनी होगी और इसके लिए आयोग को नए सिरे से मशक्कत करनी होगी। वहीं, आरओ/एआरओ परीक्षा को लेकर गठित कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद ही आयोग इस परीक्षा के आयोजन पर निर्णय ले सकेगा, जिसमें वक्त लगेगा। हालांकि, पीसीएस का सत्र शून्य होने से बचाने के लिए आयोग इस कवायद में है कि दिसंबर के अंत तक प्रारंभिक परीक्षा कर दी जाए।
आयोग ने विज्ञप्ति जारी कर माना है कि पीसीएस परीक्षा की विशिष्टता के कारण यह परीक्षा अब पूर्व की भांति एक दिन में कराई जाएगी। अभ्यर्थियों ने इस पर सवाल उठाए हैं कि क्या अफसरों को पहले नहीं पता था कि पीसीएस परीक्षा विशिष्ट है। सबकुछ जानने के बाद भी पीसीएस परीक्षा की आड़ में अन्य महत्त्वपूर्ण परीक्षाओं में भी नॉर्मलाईजशन लागू करने का बहाना ढूंढ़ लिया गया। आयोग अगर पीसीएस व आरओ/एआरओ परीक्षा दो दिन कराने का निर्णय लेता ही नहीं तो यह आंदोलन क्यों होता। अभ्यर्थियों का कहना है कि इस आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए स्वयं आयोग जिम्मेदार है।
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