यूनेस्को में बढ़ा भारत का कद, 64 योगिनी मंदिर समेत छह धरोहरों को अस्थायी सूची में मिली जगह

अस्थायी सूची में जोड़ी गई छह धरोहरों में छत्तीसगढ़ में कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान, तेलंगाना में मुदुमल मेगालिथिक मेनहिर, कई राज्यों में बनी मौर्य मार्गों में आने वाली अशोकन एडिक्ट साइट, कई राज्यों में बने चौसठ योगिनी मंदिर, उत्तर भारत के गुप्त मंदिर और मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में बुंदेलों के महल शामिल हैं।

Mar 14, 2025 - 15:00
Mar 14, 2025 - 16:58
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यूनेस्को में बढ़ा भारत का कद, 64 योगिनी मंदिर समेत छह धरोहरों को अस्थायी सूची में मिली जगह

नई दिल्ली (आरएनआई) यूनेस्को में भारत को बड़ी सफलता मिली है। भारत की अशोकन एडिक्ट साइट्स और 64 योगिनी मंदिर समेत छह धरोहरों को यूनेस्को की विश्व धरोहरों की अस्थायी सूची में जगह मिली है। यूनेस्को में भारत के स्थायी प्रतिनिधिमंडल ने यह जानकारी दी।

यूनेस्को में भारत ने एक्स पर लिखा कि इन स्थलों को सात मार्च को सूची में जोड़ा गया था। यदि भविष्य में विश्व धरोहर सूची में शिलालेख के लिए किसी संपत्ति को नामांकित किया जाना है, तो विश्व धरोहर केंद्र की अस्थायी सूची में जोड़ना अनिवार्य है। अस्थायी सूची में जोड़ी गई छह धरोहरों में छत्तीसगढ़ में कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान, तेलंगाना में मुदुमल मेगालिथिक मेनहिर, कई राज्यों में बनी मौर्य मार्गों में आने वाली अशोकन एडिक्ट साइट, कई राज्यों में बने चौसठ योगिनी मंदिर, उत्तर भारत के गुप्त मंदिर और मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में बुंदेलों के महल शामिल हैं। अब यूनेस्को में भारत में अब संभावित सूची में 62 स्थल हैं।

अस्थायी सूची' उन संपत्तियों की सूची है, जिन पर प्रत्येक देश यूनेस्को नामांकन के लिए विचार करना चाहता है। यूनेस्को की वेबसाइट के अनुसार चौसठ योगिनी मंदिरों में देश के कई स्थानों पर स्थित स्थल शामिल हैं। इन मंदिरों में जटिल पत्थर की नक्काशी के साथ 64 योगिनियों की छवियां हैं। ये मंदिर ज्यादातर पहाड़ी की चोटियों पर स्थित हैं। 'योगिनी' का अर्थ योग का अभ्यास करने वाली महिला है और 'चौसठ' संख्या 64 के लिए हिंदी शब्द है। योगिनियों की संख्या 64 है और इसलिए उन्हें चौसठ योगिनी कहा जाता है। वे वन आत्माओं और मातृ देवियों का एक समूह हैं। 

वर्तमान में भारत की कुल 43 संपत्तियां यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में अंकित हैं। जिनमें 35 सांस्कृतिक श्रेणी में, सात प्राकृतिक और एक मिश्रित श्रेणी में शामिल है। भारत ने 2024 में पहली बार विश्व धरोहर समिति की बैठक की मेजबानी की थी। इस दौरान असम में अहोम राजवंश की टीले-दफनाने की व्यवस्था मोइदम को यूनेस्को टैग दिया गया था।

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