यूएन मुख्यालय में गूंजेंगी महिला सरपंचों की आवाज

संयुक्त राष्ट्र में भारत का स्थायी मिशन ने पंचायती राज मंत्रालय और संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के सहयोग से एक आयोजन कर रही है। यह सतत विकास के लक्ष्य, एसडीजी का स्थानीयकरण-भारत में स्थानीय शासन में महिलाएं विषय पर चर्चा है, जो 3 मई, 2024 को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय सचिवालय भवन में आयोजित होगा। 

May 1, 2024 - 06:20
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यूएन मुख्यालय में गूंजेंगी महिला सरपंचों की आवाज

नई दिल्ली (आरएनआई) देश की 14 लाख महिला सरपंचों में से आंध्र, त्रिपुरा और राजस्थान की तीन महिला सरपंच यूएन मुख्यालय में भारत के शासन में महिलाओं की भूमिका पर अपनी बात रखेंगी। 

संयुक्त राष्ट्र में भारत का स्थायी मिशन ने पंचायती राज मंत्रालय और संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के सहयोग से एक आयोजन कर रही है। यह सतत विकास के लक्ष्य, एसडीजी का स्थानीयकरण-भारत में स्थानीय शासन में महिलाएं विषय पर चर्चा है, जो 3 मई, 2024 को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय सचिवालय भवन में आयोजित होगा। 

त्रिपुरा के सिपाहीजाला जिला परिषद की सभाधिपति सुप्रिया दास दत्ता ने सुदुर वादियों में महज 600 स्वयं सहायता समूहों को 10 गुना बढ़ाकर 60 हजार महिलाओं को उसमें जोड़ा। वह फूल मेकिंग, मछली पालन, पशुपालन और पोल्ट्री का काम करके लगातार बढ़ रही बहनों के कुनबे को संभाल रही है और लगातार इसे और आगे बढ़ाने में प्रयासरत है। 

राजस्थान के झुंझुनू जिले की लांबी अहीर ग्राम पंचायत की सरपंच नीरू यादव ने महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने सरपंच बनने के बाद सबसे पहले खेलों के लिए लड़कियों को प्रोत्साहन देने के प्रयास शुरू किए, उनकी मेहनत रंग लाई और आज गांव की लड़कियां हाॅकी में भविष्य को संवारने में जुटी है। इसके अलावा पर्यावरण को लेकर ‘मेरा पेड़ मेरा दोस्त’ अभियान इतना लोकपि्रय हुआ कि स्कूली बच्चों ने न सिर्फ स्कूलों में बल्कि गांव के चारों ओर करीब 17 हजार से अधिक पेड़ लगाए। वह यूएन में किस तरह से बालिकाओं के सर्वांगीण विकास के लिए उनके द्वारा काम किया इसकी कहानी बयां करेंगी।

आंध्र प्रदेश की पेकेरू ग्राम पंचायत की सरपंच कुनुकु हेमा कुमारी एमटेक है। उन्होंने शानदार नौकरी के सपने बुने थे, लेकिन सरपंच बनते ही उन्होंने अपने संपूर्ण तकनीकी ज्ञान को गांव के विकास और सरकारी योजनाओं का लाभ जन-जन तक पहुंचाने में लगा दिया। खासतौर पर स्वास्थ सेवाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए प्रभावशाली प्रबंधन न केवल तैयार किया बल्कि उसे क्रियान्वित भी किया। वह अभी भी एक इंजीनियरिंग काॅलेज में पढ़ाती हैं और लोगों के जीवन को आसान बनाने के लिए लगातार काम कर रही हैं।

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