'यह तो केवल ट्रेलर है', उपराष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव खारिज होने पर बोले जयराम रमेश
कांग्रेस नेता जयराम रमेश से जब यह पूछा गया कि क्या विपक्ष एक बार फिर सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है तो उन्होंने कहा कि यह उनका पहला कदम था।
नई दिल्ली (आरएनआई) कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बताया कि विपक्ष राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने लाने के लिए फिर से नोटिस दे सकता है। राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश ने गुरुवार को धनखड़ को हटाने की मांग को लेकर विपक्ष द्वारा लाए गए महाभियोग नोटिस को खारिज कर दिया। उन्होंने इसे उपराष्ट्रपति की छवि को धूमिल करने के लिए जल्दबाजी में उठाया गया कदम बताया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस प्रतिक्रिया देते हुए मीडिया से बात की। उन्होंने कहा कि यह केवल एक ट्रेलर था।
मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, "सभापति के खिलाफ हमारे द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया। आप कितनी बार अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं, इसकी संविधान में कोई सीमा नहीं रखी गई है। 30 जनवरी से बजट सत्र शुरू होगा। हम देखेंगे।"
कांग्रेस नेता से जब यह पूछा गया कि क्या विपक्ष एक बार फिर सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है, तब उन्होंने कहा, "बिलकुल।" उन्होंने आगे कहा, "यह हमारा पहला कदम था। जहां तक अविश्वास प्रस्ताव की बात है, यह तो बस एक ट्रेलर है।" राज्यसभा महासचिव पीसी मोदी द्वारा सदन में पेश किए गए अपने तीन पन्नों के फैसले में उपसभापति ने कहा कि यह महाभियोग नोटिस देश की संवैधानिक संस्थाओं और उपराष्ट्रपति को बदनाम करने की साजिश का हिस्सा था।
10 दिसंबर को धनखड़ को हटाने की मांग करते हुए विपक्ष के 60 सदस्यों ने नोटिस पर हस्ताक्षर किया था। उन्होंने कहा था कि उन्हें धनखड़ पर भरोसा नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने उपराष्ट्रपति पर पक्षपात करने का आरोप लगाया था। यह नोटिस विपक्षी सदस्यों द्वारा संविधान के अनुच्छेद 67 (बी) के तहत भारत के उपराष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के इरादे से पेश किया गया था।
नोटिस राज्यसभा महासचिव पीसी मोदी को सौंपा गया था। देश में 72 साल के संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में राज्यसभा सभापति के खिलाफ कभी महाभियोग नहीं आया था। राज्यसभा के सभापति को हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 14 दिन पहले नोटिस दिया जाना जरूरी होता है, जबकि संसद का शीतकालीन सत्र ही 20 दिसंबर तक चलना है।
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