यमुना पथ के तीन गतिरोध... बारापुला एक्सटेंशन, RRTS और दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे
मानसूनी बारिश से यमुना के बढ़ते जलस्तर के बीच अभी भी दिल्ली में इसका बाढ़ क्षेत्र अवरोध मुक्त नहीं है। नदी के प्रवाह में बाधाएं कई जगहों पर हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत यमुना पर निर्माणाधीन पुलों के पास है। बारापुला एक्सटेंशन व आरआरटीएस के निर्माण क्षेत्र के आस पास मिट्टी और निर्माण सामग्री के ऊंचे-ऊंचे टीले लगे हुए हैं। ऐसे ही दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस-वे के निर्माण स्थल पर भारी मात्रा में निर्माण सामग्री और विध्वंसक मलबा पड़ा है।
नई दिल्ली (आरएनआई) मानसूनी बारिश से यमुना के बढ़ते जलस्तर के बीच अभी भी दिल्ली में इसका बाढ़ क्षेत्र अवरोध मुक्त नहीं है। नदी के प्रवाह में बाधाएं कई जगहों पर हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत यमुना पर निर्माणाधीन पुलों के पास है। बारापुला एक्सटेंशन व आरआरटीएस के निर्माण क्षेत्र के आस पास मिट्टी और निर्माण सामग्री के ऊंचे-ऊंचे टीले लगे हुए हैं। ऐसे ही दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस-वे के निर्माण स्थल पर भारी मात्रा में निर्माण सामग्री और विध्वंसक मलबा पड़ा है।
बीते साल मानसून सीजन में दिल्ली वासियों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। विशेषज्ञों के मुताबिक यमुना बाढ़ क्षेत्र में भारी मात्रा में पड़ा मलबा दिल्ली में आई बाढ़ की सबसे अहम वजह रही। पहाड़ों पर तेज बारिश होने के बाद जब पानी दिल्ली पहुंचा तो यहां यमुना के बाढ़ क्षेत्र में फैले निर्माण व विध्वंसक मलबे, मिट्टी के टीले के चलते यमुना की धारा अपनी गति से बढ़ने के बजाय पीछे की ओर फैलने लगी। दिल्ली में 45 वर्ष का पुराना रिकॉर्ड तोड़कर यमुना का जलस्तर 207.81 मीटर तक पहुंचा।
यमुना का पानी शहर में विभिन्न महत्वपूर्ण रिहायशी इलाकों में फैल गया। कश्मीरी गेट के पास रिंग रोड तक यमुना का पानी पहुंच गया। कई कॉलोनियां जलमग्न हो गई। यमुना बाढ़ क्षेत्र में अतिक्रमण और किसी भी तरह से मलबा डालने पर सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी का रवैया बिल्कुल सख्त है। दोनों ने यमुना बाढ़ क्षेत्र को बिल्कुल खाली रखने का निर्देश दिया है। बावजूद इसके सराय काले खां से बारापुला निर्माण स्थल की ओर जाएं तो यमुना बाढ़ क्षेत्र में एक सिरे से मलबे का ढेर नजर आएगा। मलबे को समतल करतीं जेसीबी मशीनें मिलेंगी। कमोबेश ऐसा ही हाल आरआरटीएस व दिल्ली-मुबंई एक्सप्रेस-वे के निर्माण स्थल के पास भी है।
आरआरटीएस परियोजना के दौरान यमुना बाढ़ क्षेत्र में जो मिट्टी, मलबा निकला था, यहां इसे उठाने का काम तेजी से चल रहा है। कई जेसीबी मशीनें और ट्रक मलबे की ढुलाई के लिए लगाए गए हैं। शनिवार को भी मलबा निकालने का काम यहां तेजी से होता नजर आया, लेकिन अभी भी भारी मात्रा में मलबा बाढ़ क्षेत्र से निकाला जाना है।
सराय काले खां से मयूर विहार फेज-1 के बीच बारापूला एक्सटेंशन परियोजना के तहत यमुना पर पीपे के पुल बनाने की जरूर पड़ी। निर्माण सामग्री को यमुना पार लाने, ले जाने में आसानी के लिए ऐसा किया गया। अब यमुना का जल स्तर बढ़ रहा तो पीपे के पुल को समाप्त कर दिया गया है। बताया जा रहा कि अभी दो पीपे यमुना में रह गए हैं, जिन्हें निकाला जाएगा। यमुना की मुख्य धारा का दायरा सीमित है। पीछे से अधिक पानी आया तो यहां पानी आगे बढ़ने के बजाय फैलने लगेगा, दूसरे यमुना बाढ़ क्षेत्र में पुलों के नीचे मलबे का ढेर है। हां, कुछ जेसीबी मशीनें, ट्रक जरूर मलबा हटाने के लिए लगाए गए हैं, लेकिन मौजूदा समय पर ये पर्याप्त नहीं। यदि इस बार पिछले साल जैसे पानी दिल्ली आया तो फिर से बाढ़ जैसी संभावना बन सकती है।
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे परियोजना के चलते यहां यमुना का बॉटल नेक बन गया है। पूरा बाढ़ क्षेत्र निर्माण सामग्री और मलबे से पटा है। तैमूर नगर एक्सटेंशन, जाकिर नगर, बटला हाउस, अबुल फजल एनक्लेव से लेकर ओखला बैराज तक दाहिनी ओर निर्माणाधीन एक्सप्रेस-वे और बाईं ओर मलबा है। यमुना को जलाशय की में तब्दील कर दिया गया है।
पिछली बाढ़ का सबक यह है कि बाढ़ क्षेत्र में जल का प्रवाह अवाधित होना चाहिए, यदि बाढ़ क्षेत्र में निर्माण सामग्री या निर्माण संबंधित मलबा पड़ा है तो यह गैरकानूनी है। बाढ़ आने की सूरत में इस तरह की गतिविधि नुकसानदेह साबित होगी। -डॉ. शशांक शेखर, प्रोफेसर, डीयू
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