मौनी अमावस्या पर करोड़ों श्रद्धालुओं ने संगम में लगाई डुबकी, त्रिवेणी तट पर दिखा आस्था का जनसागर
तीर्थों के राजा प्रयागराज में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम तट पर 114 साल बाद समुद्र मंथन सरीखे योग में लगे महाकुंभ की महिमा का गान संत तुलसीदास की इन चौपाइयों में इसी तरह किया गया है।
प्रयागराज (आरएनआई) तीर्थों के राजा प्रयागराज में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम तट पर 114 साल बाद समुद्र मंथन सरीखे योग में लगे महाकुंभ की महिमा का गान संत तुलसीदास की इन चौपाइयों में इसी तरह किया गया है। कड़ाके की सर्दी में न मीलों पैदल चलने का गम और न ही थकने की चिंता। देश ही नहीं, दुनिया के हर कोने से पहुंचे श्रद्धालु संगम में मौन की डुबकी लगा वसुधैव कुटुंबकम का संदेश देते रहे।
हर चेहरे पर सिर्फ संगम पर पहुंचकर अमृतमयी त्रिवेणी को मथकर, स्पर्श कर जीवन को धन्य बनाने की चाह थी। संगम के 12 किमी लंबे क्षेत्रफल में बने 42 घाटों पर बुधवार को मौन डुबकी में आस्था-भक्ति-विश्वास का अनंत समागम इन्हीं भावों को लेकर होता रहा। शाम तक मेला प्रशासन ने करीब सात करोड़ श्रद्धालुओं के डुबकी लगाने का दावा किया। इस अवधि तक संगम जाने वाले मार्गों पर जयकारों के साथ आस्थावानों का रेला उमड़ता रहा।
अमृतकाल में मौनी अमावस्या लगने के साथ ही शाम छह बजे मेला क्षेत्र के सेंट्रल माइक से स्नान का अमृत योग आरंभ होने की घोषणा कर दी गई। साथ ही श्रद्धालुओं से आग्रह किया जाने लगा कि वह मौनी अमावस्या की डुबकी लगाना आरंभ करें, ताकि भीड़ के दबाव को कम किया जा सके। इसके बावजूद लाखों की तादात में आस्थावान मुहूर्त के इंतजार में मेला क्षेत्र की पार्किंग, सड़कों की पटरियों और पुलों के नीचे चादरें बिछाकर घड़ियां गिनते रहे।
आधी रात त्रिवेणी के सुरम्य तट पर हर कोई गोस्वामी तुलसी दास की चौपाई-सादर मज्जहिं सकल त्रिवेणी...के भावों को आत्मसात करने की ललक लिए अमृतमयी त्रिवेणी में डुबकी मारने लगा। संगम जाने वाले रास्तों पर भीड़ इस कदर थी कि कोई हिलने या टस से मस होने की स्थिति में नहीं था। वहीं, पौ फटते ही पूरब की लाली से फूटीं किरणें संगम की लहरों पर उतर कर हर तन-मन में शक्ति और उल्लास का संचार करने लगीं।
ढोल-हारमोनियम-झांझ बजातीं कीर्तन मंडलियां श्रद्धालुओं का स्वागत कर रही थीं तो कहीं महिलाओं के समूह गंगा गान कर मनोरथ पूरे कर रहे थे। अलग-अलग भाषा, पहनावा और संस्कृतियों के रंग आपस में इस तरह धकियाते, मिलते संगम की ओर बढ़ रहे थे, जैसे बाढ़ में हर तरफ से नदियां समुद्र में मिलने के लिए आतुर हुई हों।
अमेरिका का बाथम अपनी गर्लफ्रेंड डेनिएला का हाथ थामे भीड़ के बीच से खिसकते हुए संगम पहुंचे तो रूस के साथ युद्ध में तहस-नहस हुए यूक्रेन के कोटेन्को और उनकी बेटी कोरीना भी डुबकी लगाकर धन्य हुईं। वहीं, स्विटजरलैंड के विटोरी और जीन भी मौन डुबकी का नजारा लेने भोर में ही पहुंच गए थे। असम और त्रिपुरा के श्रद्धावान बच्चे मम्मी-पापा के कंधे पर सवार थे तो महिलाएं अपने पति या पुत्रों का हाथ थाम कर या गमछे में एक-दूसरे को लपेट कर संगम की ओर बढ़ रही थीं।
पुण्य की मौन डुबकी लगाने के साथ ही संगम पर लोक मंगल और सौभाग्य के दीये भी जलते रहे। सूर्य भगवान से लेकर ईष्टदेवों को अर्घ्य व मां गंगा का दुग्धाभिषेक भी होता रहा। स्नानार्थियों के माथे-माथे तिलक-त्रिपुंड लगाने वाले पुरोहितों की टोलियां भी अड्डा जमाए थीं।
4.24 करोड़ श्रद्धालुओं ने लगाई संगम में मौन डुबकी
37 हजार सुरक्षाकर्मियों ने संभाली स्नान पर्व की कमान
2700 सीसीटीवी कैमरों से रखी गई निगरानी
30 टीमों ने ड्रोन से रखी संदिग्ध गतिविधियों पर नजर
125 एंबुलेंस आपात सेवा के लिए की गई थीं तैनात
43 अस्थायी अस्पतालों में की गई थी उपचार की व्यवस्था
मौनी अमावस्या पर बुधवार को संगम में आस्था की डुबकी लगाने आए स्नानार्थियों के लिए शहरियों ने सलोरी, कटरा, मनमोहन पार्क, यूनिवर्सिटी चौराहा समेत हर मार्ग पर जगह-जगह भंडारे की व्यवस्था की थी। बालसन चौराहा के पास तो कई भंडारे चल रहे थे। वहां किसी ने पूड़ी-सब्जी तो किसी ने खिचड़ी खिलाई। श्री कटरा रामलीला कमेटी की ओर से आनंद भवन के पास भंडारे की व्यवस्था रही। वहीं, छोटा बघाड़ा के पास युवाओं में अनुभव, बब्लू, विक्की, पिंटू ने श्रद्धालुओं को पानी और गुड़ बांटा।
मम्फोर्डगंज पर कई संस्थाओं ने भंडारा रखा था। महात्मा गांधी मार्ग के पास अपने घरों के बाहर लोगों ने चाय-बिस्किट की व्यवस्था की थी। वहीं, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की ओर से भी भंडारे का आयोजन किया गया। इस दौरान क्षेत्र प्रमुख संतोष कुमार, अधिकारी संघ के राष्ट्रीय संयुक्त महासचिव मनू राणा सिंह, सौरभ सिंह और विवेक पाल मौजूद रहे।
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