मोनालिसा की घर वापसी और ट्राइपॉड वाले गिद्ध
(चक्रेश महोबिया)
इंदौर (आरएनआई) प्रयागराज के महाकुंभ 2025 में, इंदौर की एक साधारण माला विक्रेता, जिसे लोग प्यार से 'मोनालिसा' कहने लगे, सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं। उनकी खूबसूरती ने उन्हें सुर्खियों में तो ला दिया, लेकिन इसके चलते उनका काम और व्यक्तिगत स्वतंत्रता बाधित हो गई।
मोनालिसा मध्य प्रदेश के महेश्वर से अपने परिवार के साथ माला बेचने आई थीं। उनका उद्देश्य बेहद साधारण था- अपनी आजीविका के लिए मेहनत करना। कुछ पैसे कमाकर परिवार की मदद करना, लेकिन उनकी सुंदरता देख, लोग उनकी माला खरीदने के बजाय उनके साथ तस्वीरें और वीडियो बनाने में व्यस्त हो गए। हमारे न्यूज रूम का मजाक है कि जितने भक्त कुंभ दर्शन के लिए पहुंचे हैं, उतने ही सोशल मीडिया इनुफ्लुएंसर्स भी… एक सेल्फी स्टिक, एक ठो मिनी माइक और ठीकठाक सा कैमरा और क्या चाहिए, किसी की निजता बर्बाद करने के लिए?
इनुफ्लुएंसर्स के बार-बार परेशान करने के कारण इस लड़की का काम इतना बाधित हुआ कि उनके पिता को महाकुंभ से घर वापस भेजने का कठिन फैसला लेना पड़ा। उनकी बहनें अभी भी माला बेचने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन मोनालिसा का यह अनुभव सवाल खड़ा करता है कि हम किस समाज में जी रहे हैं।
क्यों सुंदरता और आकर्षण मेहनतकश व्यक्तियों के संघर्ष को पीछे धकेल देती है?
क्यों सोशल मीडिया पर वायरल होने की चाह या घटना किसी के व्यक्तिगत जीवन और आजीविका में इतनी बाधा डाल देती है? इस मामले में साफ है कि मोनालिसा अपनी तरफ से चर्चित होने की कोशिश नहीं कर रही थी, नहीं तो वो खुद ही रील्स गेम में न लग जाती।
मोनालिसा जैसी महिलाएं, जो दिन-रात मेहनत करके अपनी आजीविका कमाती हैं, समाज के उन लोगों का प्रतिनिधित्व करती हैं जो अपनी पहचान और अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनकी कहानी हमारे समाज में वायरल ट्रेंड्स और सुंदरता के प्रति जुनून को सवालों के घेरे में खड़ा करती है।
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