मेरी ज़मीन। मेरा खनिज: मेरा झारखंड

सौरभ विष्णु

Dec 15, 2022 - 01:59
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मेरी ज़मीन। मेरा खनिज: मेरा झारखंड

दोस्तों, वर्ष २०१३ में उच्चतम न्यायालय ने यह कह दिया की पूरे भारतवर्ष में जिसकी जमीन होगी उसी का उसके खनिज पे भी हक़ होगा। यह ऐतिहासिक फ़ैसला आज हमारे झारखंड से जोड़ने का समय आ गया है। झारखंड हमारे सम्पूर्ण भारतवर्ष का सबसे जायदा खनिज भंडार में धनी राज्य है मगर यहाँ की विडम्बना देखो की जिन आदिवासियों के पास सबसे जायदा ज़मीन है वोह देश के सबसे गरीब तबके में नीचे के क्रम से सबसे अव्वल हैं। माने, झारखंड देश का सबसे गरीब राज्य है और झारखंड वासी सबसे गरीब। 

यह नतीजा अस्वीकार है और मैं यह चाहता हूँ की जिसकी ज़मीन है उसको रॉयल्टीज़ मिले, एक बार मूसत भत्ता नहीं। एक बार की छोटि मोटी राशि का भुगतान की प्रथा आखों में धूल झूकने के बराबर है। रोयलटी से पुश्तें खाएँगी जैसा अमेरिका और सौदिया देशों में होता है। तभी ज़मीन से जुड़े लोग सही मायने में अपना हक़ पा सकेगे। तब सरकार भी जम कर खनिजो की खुदाई करे, कोई बात नहीं।

जादूगोरा के लोगों की ज़मीन यूसीआईएल ने कौड़ियों के भाव ख़रीद लिए। उसमें से खनिजों को निकाला मगर वहाँ के लोगों को क्या मिला? सैंकड़ों मन युरेनीयम का कचड़ा, हज़ारों मौतें, अनेकों बीमारियाँ, जादूगोरा की गहरी अंधेरी खानों में कुली की नौकरी जिससे उनको और बीमारियाँ मिली, बरसों की प्रताड़ना और सैकड़ों झूठे वादे। अब ना सिर्फ़ वहाँ के वासी सम्पूर्ण पुनर्वास की माँग कर रहे हैं बल्कि यह समझ रहे हैं की अपना पूरा हक़ कैसे खंगालना है। इसके लिए पूरे झारखंड में जिसके पास भी ज़मीन है उसको एकजुट होने की आवश्यकता है। 

बग़ल के राज्य उड़ीसा में ६०० एकड़ ज़मीन पे बोक्सायट पाई गई। मामला उड़ीसा के हाई कोर्ट में गया। वहाँ जिनकी ज़मीन थी उनको उसमें हिस्सेदारी देनी पड़ी।ऐसे कई फ़ैसले अन्य राज्यों में भी हुए हैं मगर हमारा झारखंड इन सबसे वंचित है। क्यों झारखंड में अब तक इस फ़ैसले को क़ानून बनाके जनता जनार्दन को नहीं दिया गया? ऐसा क्यों है मेरी तो समझ में नहीं आता। ख़ैर देर आए दुरुस्त आए।

जादूगोरा के समस्या की कई नायाब परतें हैं। यह समस्या सिर्फ़ जादूगोरा से जुड़े लोगों की नहीं है। यह हम सबकी समस्या है। आज बरसो से टेलिंग पॉंड का ज़हरीला पानी सुबेरनारेखा नदी में डाला जा रहा है जो की वहाँ से हमारे बीचोंबीच से तमाम जल सोर्त को दूषित करती हुई मिलो चलकर दरिया में जा मिलती है। क्या किसी ने गौर किया है की वर्ष २००० के बाद जमशेदपुर में कैन्सर की तादाद कितनी बढ़ गई? कितने कैन्सर के अस्पताल खुल गए? मैं यह नहीं कहता की सारे कैन्सर के केस प्रदूषित पानी से ही हैं मगर टैलिंग पॉंड का पानी हमारे नदियों में डालना और उन नदियों का हमारे शहर से निकलना और लोगों का बीमार होना कुछ ना कुछ तो दर्शाता है। आप में से कोई भी बस एक बार जादूगोरा के टैलिंग पॉंड से सटे किसी भी गाँव में जाके देखे की लोग कैसे रह रहें हैं। आपकी रूह काँप जाएगी। ऐसे अनेक गाँव है। 

चाटिकोचा के लोगों ने आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है। अब बाक़ी गाँव भी उठेंगे। कल सारा झारखंड उठेगा। 

आंदोलन चालू रहेगा। अपना प्यार और समर्थन बनाए रखिए। इन बातों की चर्चा अपने दोस्तों और समाज से जुड़े लोगों से कीजिए ताकि आपकी आवाज़ आने वाले समय में कोई चुरा ना सके दबा ना सके।

जय हिंद। जय झारखंड। जोहार।

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