मुजफ्फरपुर डीएम ने AES को लेकर बैठक कर दिए कई निर्देश : परवरिश योजना की भी समीक्षा की
मुजफ्फरपुर जिला पदाधिकारी सुब्रत कुमार सेन की अध्यक्षता में ए.ई.एस. एवं परवरिश योजना की समीक्षात्मक बैठक समाहरणालय स्थित कार्यालय प्रकोष्ठ में की गई तथा संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिया गया।
बैठक में अवगत कराया गया कि जिले में कुल 24 मामले प्रतिवेदित है। सभी बच्चे इलाज के उपरान्त सकुशल एवं सुरक्षित रूप से अपने-अपने घर वापस चले गये हैं। उल्लेखनीय है कि जुलाई माह में एक भी मामले ए.ई.एस. के नहीं आए हैं तथा इस वर्ष ए.ई.एस. के मामले भी कम हुए है तथा एक भी डेथ केस नहीं हुआ है। जिले में अधिकारियों की सक्रियता एवं तत्परता तथा आई.ई.सी. गतिविधि लगातार जारी रखने, पोषण स्तर में बृद्धि होने के कारण जिले में ए.ई.एस. का केस बिल्कुल नियंत्रित रहा। फिर भी जिलाधिकारी ने इस स्तर को कायम रखते हुए स्थिति को अधिक बेहतर बनाने, लोगों को सजग एवं सतर्क रहने तथा अधिकारियों को अभी भी अलर्ट मोड में ही कार्य करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा है कि सभी संबंधित अधिकारी शनिवार को अपने गोद लिए गए पंचायत का भ्रमण कर संध्या चैपाल एवं जगरूकता अभियान में अवश्य शामिल हों। किन्तु बरसात के मौसम में बारिश अथवा अन्य किसी कारण से शनिवार को संध्या चैपाल में शामिल नहीं होते है तो वह अगले दिन अवश्य शामिल हों। उन्होंने आई.सी.डी.एस. एवं जीविका को जागरूकता अभियान को जारी रखने का निर्देश दिया है।
जिलाधिकारी ने ए.ई.एस. से जुड़े कार्य की सराहना करते हुए सभी संबंधित विभाग के अधिकारियों स्वास्थ्य विभाग, जीविका, आई.सी.डी.एस., शिक्षा, सूचना जन सम्पर्क विभाग आदि को धन्यवाद दिया है. विदित हो कि ए.ई.एस. के नोडल पदाधिकारी -सह- ए.सी.एम.ओ. डाॅ॰ सतीश कुमार अगस्त माह में सेवानिवृत होने वाले हैं. जिलाधिकारी ने उनके ए.ई.एस. अभियान के प्रति समर्पणभाव, कर्तव्यनिष्ठा तथा उनके महती योगदान की सराहना की।
बैठक में एस.के.एम.सी.एच. में शिशु रोग के विभागाध्यक्ष डाॅ॰ गोपाल शंकर सहनी ने कहा कि जिले में यद्यपि नन इन्फेक्टिव मामले का दौर समाप्ति पर है, किन्तु संक्रमण से संबंधित ए.ई.एस. का दौर अभी रहेगा। इसलिए उन्होंने सितम्बर तक लोगों को सजग एवं सतर्क रहने को कहा है। उन्होंने कहा कि मुजफ्फरपुर में ए.ई.एस. संबंधी चिन्ताए यद्यपि नन इन्फेक्टिव मामले का ही रहता है, जिसका दौर समाप्ति पर है।
जिलाधिकारी ने समाज कल्याण विभाग के अधीन संचालित परवरिश योजना की भी समीक्षा की। इस योजना के तहत अनाथ, एड्स एवं कुष्ठ रोग से पीड़ित बच्चे अथवा पीड़ित माता पिता के बच्चें को प्रतिमाह 18 वर्ष की उम्र तक लाभार्थी को एक हजार रुपए डी.बी.टी. के माध्यम से उनके खाते में दिये जाते हैं।
बैठक में समीक्षा के दौरान पाया गया कि अभी वर्तमान में परवरिश योजना के तहत कुल 803 लाभुकों को लाभान्वित किया जा रहा है, जिसमें अनाथ बच्चें 123, एच.आई.वी. पीड़ित बच्चे 612 एवं कुष्ठ रोग से पीड़ित 68 शामिल है।
आर्ट सेन्टर एस.के.एम.सी.एच. के प्रभारी पदाधिकारी द्वारा जिलाधिकारी को 2100 बच्चों की सूची उपलब्ध कराई गई, जिसे जिलाधिकारी ने डी.पी.ओ. आई.सी.डी.एस. को सूची सौंपते हुए निर्देश दिया कि शेष बचे लाभुकों को अविलंब योजना से आच्छादित करने के लिए NACO एवं भारत सरकार की गोपनीयता संबंधी दिशा निर्देश का अनुपालन करते हुए योजना से लाभान्वित करें।
विहित प्रक्रिया के तहत एड्स संबंधी लाभुक अपना आवेदन सीधे सी.डी.पी.ओ. के पास जमा करते हैं। सी.डी.पी.ओ. उनकी गोपनीयता बनाए रखते हुए अपनी अनुशंसा के साथ स्वीकृति के लिए संबंधित अनुमंडल पदाधिकारी को भेजते है।
अनाथ एवं कुष्ठ रोग से संबंधित लाभुक अपने-अपने आंगनबाड़ी सेविका के पास आवेदन देते हैं। सेविका उस आवेदन की जांच कर एवं अपनी अनुशंसा के साथ सी.डी.पी.ओ. को भेजती हैं. सी.डी.पी. अपनी अनुशंसा के साथ स्वीकृति के लिए संबंधित अनुमंडल पदाधिकारी को भेजते हैं। अनुमंडल पदाधिकारी स्वीकृति के उपरान्त सम्पूर्ण अभिलेख मूल रूप में सहायक निदेशक, जिला बाल संरक्षण कार्यालय को उपलब्ध कराते हैं। तदनुसार सहायक निदेशक उक्त लाभार्थी से संबंधित विवरणी को विभागीय पोर्टल पर अपलोड करते हैं। तदोपरान्त उनको सीधे राज्य स्तर से डी.बी.टी. के माध्यम से प्रतिमाह एक हजार रुपए 18 वर्ष की उम्र तक भुगतान किया जाता है।
बैठक में उप विकास आयुक्त आशुतोष द्विवेदी, सहायक समाहर्ता डाॅ॰ आकांक्षा आनंद, जिला शिक्षा पदाधिकारी अजय कुमार सिंह, ए.सी.एम.ओ. डाॅ॰ सतीश कुमार, डी.पी.ओ. आई.सी.डी.एस. चांदनी सिंह, सहायक निदेशक जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी दिलीप कामत सहित कई अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
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