माकपा नेता ने चुनाव आयोग को लिखा पत्र, महाराष्ट्र चुनाव के मतदान प्रतिशत पर उठाए सवाल
माकपा नेता जॉन ब्रिटास ने रविवार को चुनाव आयोग को पत्र लिखकर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मत प्रतिशत में कथित विसंगतियों पर स्पष्टीकरण मांगा है। ब्रिटास ने कहा कि उनकी चिंताओं को गंभीरता से संबोधित किया जाना चाहिए।
नई दिल्ली (आरएनआई) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास ने रविवार को चुनाव आयोग को पत्र लिखा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मत प्रतिशत में कथित विसंगतियों पर स्पष्टीकरण मांगा। ब्रिटास ने आयोग को यह पत्र उस समय लिखा है, जब दो दिन पहले कांग्रेस ने भी मतदान और मतगणना प्रक्रिया में गंभीर विसंगतियों का मुद्दा उठाया।
मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार को लिखे पत्र में ब्रिटास ने कहा, कुछ आरोप हाल ही में सार्वजनिक रूप से लगाए गए हैं, जो महाराष्ट्र महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मत प्रतिशत और चुनाव परिणामों के बाद के पैटर्न से जुड़े हैं। उन्होंने आगे लिखा, चुनाव आयोग की दीर्घकालिक प्रतिष्ठा ईमानदारी और पारदर्शिता के लिए जानी जाती है। मुझे भरोसा है कि इन चिंताओं को गंभीरता से संबोधित किया जाएगा, ताकि चुनाव प्रक्रिया में हमारा विश्वास बना रहे। माकपा नेता ने देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया की रक्षा में चुनाव आयोग की संविधानिक भूमिका के प्रति गहरा सम्मान व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि विभिन्न पक्षों से मतदान के आंकड़ों में कथित विंसंगतियों से संबंधित चिंताएं सामने आई हैं। ब्रिटास ने कहा कि न्यूज रिपोर्ट्स में जो आंकड़े दिए गए हैं, उनके अनुसार महाराष्ट्र में शाम पांच बजे तक मतदान का प्रतिशत 58.22 था। लेकिन शाम पांच बजे के बाद जो लोग कतार में खड़े थे, उन्हें जोड़ने के बाद रात 11.30 बजे यह प्रतिशत बढ़कर 65.02 हो गया।
माकपा सांसद ने कहा, मतगणना शुरू होने से कुछ घंटे पहले महाराष्ट्र में मत प्रतिशत को 66.05 फीसदी तक अपडेट किया गया। यह 7.83 फीसदी की बढ़ोतरी थी। जिसका मतलब है कि करीब 76 लाख अतिरिक्त वोट जोड़े गए थे। ब्रिटास ने कहा, हालांकि मुझे पूरा भरोसा है कि चुनाव आयोग के पास मत प्रतिशत के आंकड़े की सटीकता सुनिश्चित करने के लिए मजबूत तंत्र है। लेकिन यह जो मतदान के बाद बढ़ा हुआ मत प्रतिशत दिख रहा है, उसे कई लोग ऐतिहासिक मानकों से कहीं ज्यादा मानते हैं।
राज्यसभा सांसद ने आगे कहा, मतदान का समय खत्म होने के बाद लोग कतार में खड़े थे और उनके वोट भी गिने गए। सवाल यह उठता है कि इतने बड़े पैमाने पर वोटों को छह घंटे के अंदर कैसे शामिल किया जा सकता है। क्योंकि आमतौर पर मतदान समय सीमित होता है और इतने बड़े बदलाव को जल्दी में जोड़ना बहुत मुश्किल लगता है। यह प्रबंधन की व्यावहारिकता पर सवाल उठाता है।
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