महाविस्फोट के 10 से 20 करोड़ साल बाद ब्रह्मांड में पानी का निर्माण, जीवन की उत्पत्ति में अहम भूमिका

वैज्ञानिकों का मानना है कि पानी का निर्माण पहले की अपेक्षा अधिक जल्दी हुआ और यह प्रारंभिक आकाशगंगाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है। यह शोध अध्ययन नेचर एस्ट्रोनॉमी जर्नल में प्रकाशित हुआ है। शोध के लिए वैज्ञानिकों ने दो अलग-अलग सुपरनोवा विस्फोटों का कंप्यूटर मॉडल तैयार किया।

Mar 10, 2025 - 05:30
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महाविस्फोट के 10 से 20 करोड़ साल बाद ब्रह्मांड में पानी का निर्माण, जीवन की उत्पत्ति में अहम भूमिका

नई दिल्ली (आरएनआई) सुपरनोवा (महाविस्फोट) ब्रह्मांड की उत्पत्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और ग्रहों के निर्माण तथा जीवन की संभावनाओं के लिए आवश्यक भारी तत्वों का निर्माण करते हैं। पानी को जीवन की उत्पत्ति से जुड़ा एक अहम तत्व माना जाता है। पिछले शोधों से संकेत मिलता है कि पानी धातुओं और गैसों के मिश्रण से बन सकता है। लेकिन अब ताजा शोध के अनुसार महाविस्फोट के 10 से 20 करोड़ साल बाद ब्रह्मांड में पानी का निर्माण हुआ होगा।

पानी का निर्माण पहले की अपेक्षा अधिक जल्दी हुआ और यह प्रारंभिक आकाशगंगाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है। यह शोध अध्ययन नेचर एस्ट्रोनॉमी जर्नल में प्रकाशित हुआ है। शोध के लिए वैज्ञानिकों ने दो अलग-अलग सुपरनोवा विस्फोटों का कंप्यूटर मॉडल तैयार किया।

सूर्य से 13 गुना अधिक द्रव्यमान वाले तारे का था और दूसरा, सूर्य के द्रव्यमान से 200 गुना बड़े तारे का। इन मॉडलों के माध्यम से वैज्ञानिकों ने विस्फोटों के बाद बने तत्वों का विश्लेषण किया। अध्ययन में पाया गया कि पहले मॉडल में 0.051 सौर द्रव्यमान और दूसरे में 55 सौर द्रव्यमान के बराबर ऑक्सीजन का निर्माण हुआ।

यह अत्यधिक ऊष्मा और घनत्व की स्थिति के कारण संभव हुआ। जब यह ऑक्सीजन ठंडी हुई और सुपरनोवा द्वारा छोड़े गए हाइड्रोजन के संपर्क में आई तो घने गैसीय गुच्छों में पानी का निर्माण हुआ। संभवतः ये गुच्छे बाद में दूसरी पीढ़ी के तारों और ग्रहों के निर्माण में सहायक बने।

यदि पानी प्रारंभिक आकाशगंगाओं के निर्माण के दौरान बचा रहा तो यह ग्रहों के निर्माण की प्रक्रिया में भी शामिल रहा होगा। इसका मतलब है कि पानी की मौजूदगी ब्रह्मांड के प्रारंभिक इतिहास में ही सुनिश्चित हो गई थी जिससे आगे चलकर ग्रहों और जीवन की संभावना बनी। हालांकि, भूवैज्ञानिकों ने इसुआ ग्रीनस्टोन बेल्ट से पिलो बेसाल्ट (पानी के नीचे विस्फोट के दौरान बनने वाली एक प्रकार की चट्टान) का एक नमूना बरामद किया गया था, जो यह सबूत देता है कि 3.8 अरब साल पहले पृथ्वी पर पानी मौजूद था।

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