महाकाल महालोक मूर्ति खंडित मामले में नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने साधा बीजेपी पर निशाना, लगाए धार्मिक कार्यों में भ्रष्टाचार के आरोप
ग्वालियर। विधानसभा चुनावों की तैयारी के बीच महाकाल महालोक में गिरी सप्त ऋषि की मूर्तियों के बाद कांग्रेस, शिवराज सरकार पर हमलावर हो गई है, नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ने प्रदेश की भाजपा सरकार और भारतीय जनता पार्टी पर गंभीर आरोप लगाये, उन्होंने कहा कि शिवराज सरकार ने महाकाल को भी नहीं बक्शा, अब घोटाला उजागर होने के बाद भी कार्रवाई नहीं हो रही इसका मतलब साफ़ है कि मुख्यमंत्री का इन लोगों को संरक्षण प्राप्त हैं।
रविवार को उज्जैन में आई आंधी ने जहां महाकाल महालोक में तांडव मचाया, वहां स्थापित की गई सप्त ऋषि की सात मूर्तियों में से 6 को धराशायी कर दिया वहीं इस कुदरती आंधी ने प्रदेश की सियासत में तूफ़ान ला दिया है। मध्य प्रदेश कांग्रेस के नेता महाकाल महालोक के निर्माण में बड़े स्तर के घोटाले के आरोप लगा रहे है और भाजपा सरकार पर हमलावर हैं।
मप्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व मंत्री और वरिष्ठ विधायक डॉ गोविंद सिंह ने ग्वालियर में पत्रकारों से बात करते हुए शिवराज सरकार पर गंभीर आरोप लगाये, उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हो चुकी है यह इस बात का प्रमाण है कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने बारह ज्योर्तिलिंगों में से एक महाकाल काॅरिडोर को भी नहीं छोड़ा। एक ही आंधी में महाकाल काॅरिडोर के निर्माण की पोल खुल गई। यदि तूफान आ जाता तो क्या स्थिति होती।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि महाकाल महालोक के निर्माण में करोड़ों रुपये खर्च किये गये और जिस महाकाल महालोक का उद्घाटन प्रधानमंत्री ने किया उसी महाकाल महालोक की मूर्तियां एक आंधी भी सहन नहीं कर सकी। डाॅ. सिंह ने कहा कि महाकाल महालोक निर्माण के समय ही इस बात का विरोध किया गया था कि मूर्तियां अष्टधातु की लगाई जायें, लेकिन सभी की धार्मिक भावनाओं को आहत करते हुये फायबर की मूर्तियां लगाई गई और उसका हश्र यह हुआ कि तेज हवा ने मूर्तियों को गिरा दिया।
नेता प्रतिपक्ष डाॅ. गोविंद सिंह ने कहा कि कई चरणों में प्रारंभ हुये महाकाल महालोक काॅरिडोर के निर्माण में हुई अनियमितताओं की शिकायत तराना के विधायक महेश परमार ने लोकायुक्त से की थी लेकिन वहां पर भी कोई कार्यवाही न कर लोकायुक्त डीजीपी को ही हटा दिया गया। उन्होंने कहा कि दिसम्बर 2022 में विधानसभा के सत्र में मैंने स्थगन के माध्यम से आरोप लगाया गया था कि 351 करोड़ के निर्माण लोक निर्माण विभाग व नगरीय प्रशासन विकास विभाग द्वारा कराये गये थे। जिसमें बिना किसी जांच के ठेकेदारों को भुगतान कर दिया गया। निर्माण कार्य में एस.ओ.आर. का पालन नहीं किया गया। ज्यादातर काम गुजरात की फर्मो एम.पी. बावरिया एवं डी.एच. पटेल की फर्म को दिये गये। साथ ही ज्वाइंट वेंचर पर भी कार्य कराये गये।
22 दिसम्बर, 2022 को विधानसभा प्रश्न क्र. (1090) नगरीय प्रशासन विभाग ने अपने जवाब में कहा कि 161 करोड़ 83 लाख का व्यय किया गया। बाद में यह राशि और बढ़ती गई। इस पूरे प्रकरण में खास बात यह है कि एग्रीमेंट तक गुजराती भाषा में किये गये है। जबकि मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार मध्य प्रदेश में सारे कार्य हिन्दी में होगें उसके बाबजूद हिन्दी भाषा का मध्य प्रदेश में अपमान किया जा रहा है।
डाॅ. सिंह ने कहा कि विचारणीय प्रश्न यह है कि महाकाल काॅरिडोर के निर्माण में गुजरात की फर्मो का ही वर्चस्व कैसे रहा ? गुजरात की फर्मे ही प्रदेश भर में ज्यादातर कार्य कर रही है। जिसमें जलजीवन मिशन, सीवेज लाईन लोक निर्माण विभाग, नर्मदा घाटी विकास आदि विभागों में और उनसे बोलने तक की हिम्मत कोई नहीं कर पाता फिर जांच करने की हिमाकत कौन करता ?
डाॅ. सिंह ने कहा कि गुजरात के ठेकेदारों से ही जब सरकार डर रही है तो गुजरात के अन्य नेताओं के सामने बोलने की हिम्मत किसकी है ?उन्होंने सवाल किया कि क्या मध्य प्रदेश में कोई रजिस्टर्ड ठेकेदार नहीं है जो ऐसे निर्माण कर सके, भाजपा केवल गुजरात के लोगों को मालामाल करना चाहती है।
डाॅ. गोविंद सिंह ने मांग की कि इस पूरे मामले की न्यायिक जांच कराई जावे। साथ ही प्रदेश के अन्य विभागों में गुजरात की फर्मो द्वारा किये जा रहे कार्यों की गुणवत्ता की जांच कराई जावें एवं तब तक उनके भुगतान रोक दिये जावें। डाॅ. सिंह ने कहा कि सिंहस्थ से लेकर महाकाल तक हुये भ्रष्टाचार में प्रदेश की भाजपा सरकार आकंठ डूबी हुई है। इन सब मामलों की जांच कराई जावे ताकि जनता को पता चल सके कि धार्मिक मामलों में भी किस तरह का भ्रष्टाचार किया गया है।
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