‘मर्द प्रधान’ देश में अब महिला बन सकती है राष्ट्रपति
मैक्सिको की पहली महिला राष्ट्रपति उम्मीदवार जोसेफिना वाजक्वेज मोटा ने शनिवार को कहा कि दोनों महिला उम्मीदवारों ने राजनीति में तब प्रवेश किया जब देश में पांच में से चार सीनेटर पुरुष थे। मुझे यकीन है कि यह एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हो सकता है।
मैक्सिको। (आरएनआई) विश्व में महिलाएं हर मोर्चों में आगे बढ़ रही हैं। पूरी दुनिया की तरह मैक्सिको में भी महिलाओं का दबदबा बढ़ता जा रहा है फिर चाहे वह राजनीति हो या कोई अन्य क्षेत्र। 21वीं शताब्दी की शुरुआत में मैक्सिकन महिलाओं ने राजनीति में प्रवेश किया। मैक्सिको में 2024 में राष्ट्रपति पद का चुनाव होने वाला है, जिसके लिए मैक्सिकन सत्तारूढ़ दल ने हाल ही में क्लाउडिया शीनबाम को राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में नामित किया है तो वहीं जोचिटल गैल्वेज मुख्य विपक्षी दावेदार के रूप में नामित हुई हैं।
मैक्सिको की पहली महिला राष्ट्रपति उम्मीदवार जोसेफिना वाजक्वेज मोटा ने शनिवार को कहा कि दोनों महिला उम्मीदवारों ने राजनीति में तब प्रवेश किया जब देश में पांच में से चार सीनेटर पुरुष थे। मुझे यकीन है कि यह एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हो सकता है। सचिव मारिया डेल कारमेन का कहना है कि एक बार जरा कल्पना कीजिए कि मैक्सिको जैसे मर्दवादी देश में एक महिला राष्ट्रपति हो और यहां पुरुषों के बराबर महिलाओं का वेतन हो। वहीं, एंजेलिका रोड्रिग्ज का कहना है कि हमने इन नए बदलावों को महसूस करना शुरू कर दिया है। सिर्फ गर्भवती होने के कारण मैंने 20 साल पहले अपनी सरकारी खो दी थी। क्योंकि, यहां पुरुष सिर्फ पुरुषों को ही नौकरी देना चाहते थे।
हाल ही में मैक्सिकन सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात को अपराध मानने वाले कानून को रद्द करने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, जिसके कुछ ही दिन बाद सत्तारूढ़ दल ने राष्ट्रपति पद के लिए महिला उम्मीदवार की घोषणा की। मैक्सिको में 52 प्रतिशत जनसंख्या महिलाओं की है बावजूद इसके देश पुरुष प्रधान है। बता दें, वर्तमान में केवल होंडुरास और पेरू में ही महिला राष्ट्रपति हैं। अगर अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में शीनबाम या गैल्वेज की जीत होती है तो वे मैक्सिको सहित अमेरिका-कनाडा में आम चुनाव जीतने वाली पहली महिला होंगी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाओं के प्रति भेदभाव और हत्याएं मैक्सिको में 2015 के बाद से दोगुनी से भी अधिक हो गई हैं। 2020 की जनगणना के अनुसार, 100 में चार नाबालिग लड़कियों का या तो विवाह हो चुका है या फिर वह वैवाहिक संबंधों में बंध चुकी हैं।
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