ममता सरकार ने आंदोलनकारी चिकित्सकों को बैठक के लिए बुलाया
पिछले दो दिनों में सरकार की ओर से डॉक्टरों को यह तीसरा बुलावा है। इससे पहले प्रदर्शनकारियों ने पिछले दो प्रस्तावों को खारिज कर दिया था। डॉक्टर्स ने बैठक के लिए कुछ ठोस शर्तें तय की थीं। प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने अभी तक इस संदेश का जवाब नहीं दिया है।
कोलकाता (आरएनआई) पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव ने आंदोलन कर रहे चिकित्सकों को नया पत्र भेजा है। पत्र में डॉक्टर्स को शाम पांच बजे बैठक के लिए बुलाया गया है। मुख्य सचिव ने नए पत्र में चिकित्सकों के प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों की संख्या 15 तक सीमित कर दी है। प्रस्तावित वार्ता में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी उपस्थित रहेंगी। बंगाल सरकार ने आंदोलनकारी चिकित्सकों की प्रस्तावित बैठक का सीधा प्रसारण करने की मांग को ठुकरा दिया है। सरकार ने पारदर्शिता के लिए रिकॉर्डिंग की अनुमति दी है।
पिछले दो दिनों में सरकार की ओर से डॉक्टरों को यह तीसरा बुलावा है। इससे पहले प्रदर्शनकारियों ने पिछले दो प्रस्तावों को खारिज कर दिया था। डॉक्टर्स ने बैठक के लिए कुछ ठोस शर्तें तय की थीं। प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने अभी तक इस संदेश का जवाब नहीं दिया है।
चिकित्सकों ने राज्य सरकार को एक पत्र भेजा था। उन्होंने मुख्य सचिव द्वारा निर्धारित अधिकतम 15 प्रतिनिधियों के बजाय बैठक में कम से कम 30 प्रतिनिधियों को बैठक में शामिल होने की अनुमति देने की अपील की थी। डॉक्टरों का कहना है कि ममता बनर्जी की मौजूदगी में केवल उनकी मांगों पर ही बातचीत की जाए। इस बातचीत का सीधा प्रसारण टीवी पर किए जाने की मांग भी की गई थी।
इससे पहले राज्य सरकार में स्वास्थ्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा था कि राज्य सरकार डॉक्टरों के साथ बैठक और बातचीत की शर्तों को मानने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने कहा था कि डॉक्टरों ने कुछ शर्तें लगाई हैं, इसलिए ऐसा लगता है कि चिकित्सक खुले मन से बैठक करने के लिए तैयार नहीं हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा था कि राज्य सरकार डॉक्टरों की हर बात सुनने के लिए तैयार है; लेकिन वे ऐसी बैठक से पहले शर्तें नहीं तय कर सकते। उन्होंने बुधवार तड़के 3.49 बजे मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) को ई-मेल भेजने की घटना पर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने कहा था कि इसकी वजह 'राजनीतिक उकसावा' हो सकती है। उन्होंने कहा कि कि राज्य सरकार आंदोलनकारी चिकित्सकों को काम पर वापस लौटने के संबंध में उच्चतम न्यायालय के निर्देश का पालन करेगी।
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