मध्य प्रदेश की दो महिला न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी रद्द; कार्रवाई को मनमाना और गैरकानूनी करार दिया
इससे पहले शीर्ष अदालत ने 17 दिसंबर, 2024 को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ओर से दो महिला न्यायिक अधिकारियों की सेवा समाप्ति से संबंधित मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। शीर्ष अदालत ने 11 नवंबर 2023 को कथित असंतोषजनक प्रदर्शन की वजह से राज्य सरकार की ओर से छह महिला दीवानी न्यायाधीशों की बर्खास्तगी का स्वत: संज्ञान लिया था।

नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश में दो महिला न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने इसे दंडात्मक, मनमाना और गैरकानूनी बताया। जस्टिस बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने निर्देश दिया कि दोनों अधिकारियों को 15 दिनों के भीतर सेवा में बहाल किया जाए। उनकी सेवाएं 2023 में समाप्त कर दी गई थीं।
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने फैसला सुनाते हुए कहा, 'इन दो न्यायिक अधिकारियों की सेवा समाप्ति दंडात्मक, मनमानी है और इसलिए यह कार्रवाई अवैध है।' न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि फैसले में भारतीय न्यायपालिका में महिलाओं के मुद्दे पर भी चर्चा की गई है।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने 17 दिसंबर, 2024 को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ओर से दो महिला न्यायिक अधिकारियों की सेवा समाप्ति से संबंधित मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। शीर्ष अदालत ने 11 नवंबर 2023 को कथित असंतोषजनक प्रदर्शन की वजह से राज्य सरकार की ओर से छह महिला दीवानी न्यायाधीशों की बर्खास्तगी का स्वत: संज्ञान लिया था।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की एक पूर्ण अदालत ने एक अगस्त 2024 को अपने पहले के प्रस्तावों पर पुनर्विचार किया और चार अधिकारियों- ज्योति वरकड़े, सोनाक्षी जोशी, प्रिया शर्मा और रचना अतुलकर जोशी को कुछ शर्तों के साथ बहाल करने का फैसला किया। इसके अलावा अन्य दो अदिति कुमार शर्मा और सरिता चौधरी को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया।
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