मथुरा की चाट और ठंडाई के शौकीन थे अटल बिहारी वाजपेयी, कान्हा की नगरी से रहा खास नाता
पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की आज 100वीं जयंती है। इस मौके पर देश भर में उन्हें याद किया जा रहा है। अटल जी का कान्हा की नगरी से खास नाता रहा। यहां की चाट और ठंडाई उनकी पहली पसंद थी।
मथुरा (आरएनआई) लाला... ठंडाई और कचौड़ी की व्यवस्था कर लो, इसके बाद चौपाल जमाते हैं। वर्ष 1975 में भारत में जब आपातकाल चल रहा था तब यहां पूर्व प्रधानमंत्री अटल समय बिताने पहुंचे थे। कान्हा की नगरी मथुरा में उस समय कोई ही ऐसी चाट, पेड़ा और ठंडाई की दुकान होगी जहां पर उन्होंने इनका स्वाद न चखा हो। आज भी जब भी कभी मथुरा के लजीज व्यजंनों का कहीं भी जिक्र होता है, स्वयं ही अटल बिहारी वाजपेयी लोगों के जहन में आ जाते हैं। बुधवार को उनकी जयंती है। ऐसे में उनके चाहने वाले व्यक्तित्व के साथ उनके स्वाद को भी याद कर रहे हैं। मथुरा की चाट, पेड़ा व ठंडाई उनकी पहली पसंद थी।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि क्षेत्र के निवासी मुकेश खंडेलवाल ने बताया है कि उनके पिता राधाकृष्ण खंडेलवाल अटल बिहारी वाजपेयी के पुराने दोस्तों में से रहे हैं। ऐसे में उनका मथुरा आना-जाना लगा रहता था। आपातकाल के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उनके पिता के आवास पर कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई थी। इसकी भनक प्रशासन को लगी तो पुलिस के पहुंचने से ही अटल वहां से निकल गए।
वृंदावन में देवरहा बाबा के देहांत के समय अटल बिहारी वाजपेयी वहां पहुंचे थे। उनके सामने ही देवरहा बाबा को जलसमाधि दी गई थी। इस दौरान ही तेज बारिश शुरू हो गई थी और अचानक से आकाश में बिजली चमकने लगी थी। अटल बिहारी वाजपेयी यह देखकर अचंभित रह गए थे।
पूर्व मंत्री रविकांत गर्ग ने बताया है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को मथुरा की चाट पसंद, ठंडाई, कचौड़ी और जलेवी से भी प्रेम था। 1964 में जनसंघ का कार्यालय चौक बाजार स्थित पान दरीबा में हुआ करता था। उन्होंने पुरानी बातों के याद करके बताया कि एक दिन सुबह अटल जी को तांगे पर बैठाकर जनसंघ कार्यालय पहुंचे थे। यहां पर कार्यालय के नीचे प्रेम हलवाई की दुकान थी। उन्होंने उस दुकान से कचौड़ी मंगाई थी।
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