मज़हबी घृणा और सांप्रदायिकता देश के लिए हानिकारक: महमूद मदनी

Feb 13, 2023 - 05:15
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मज़हबी घृणा और सांप्रदायिकता देश के लिए हानिकारक: महमूद मदनी
मज़हबी घृणा और सांप्रदायिकता देश के लिए हानिकारक: महमूद मदनी

नई दिल्ली, 12 फरवरी। जमीअत उलेमा-ए-हिंद के 34 वें आम अधिवेशन के तीन दिवसीय सम्मेलन के समापन के बाद जारी हुए राष्ट्र के नाम संदेश में कहा गया कि  जमीयत उलेमा-ए-हिंद धार्मिक घृणा और संप्रदायवाद को पूरे देश के लिए एक बड़ी क्षति मानता है, जो हमारी पुरानी विरासत से मेल नहीं खाता। यह संदेश जमीयत उलेमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने आज दिल्ली के रामलीला मैदान में लाखों की भीड़ के सामने पढ़ा, जहां सभी धर्मों के नेता मौजूद थे. इससे पहले, दारुल उलूम देवबंद के कुलपति मौलाना मुफ़्ती अबुल कासिम नौमानी ने औपचारिक रूप से घोषणा पत्र पेश किया, जिसे शब्द-दर-शब्द दोहराया गया और पुरे मजमा ने इसका समर्थन किया। इस बैठक की अध्यक्षता मौलाना महमूद असद मदनी ने की। रामलीला मैदान खचाखच भरा था और लगभग 2 लाख लोग जमीन पर बैठ कर शिरकत की। । लोगों ने  संकल्प लिया कि वे कभी भी धर्मगुरुओं और पवित्र ग्रंथों का अपमान नहीं करेंगे, समाज को हंसी और नफरत से मुक्त करेंगे और देश की रक्षा, मान सम्मान  के लिए  प्रयास करेंगे.
दिल्ली के रामलीला मैदान में रविवार को कौमी इकज़हदी इजलास-ए-आम (सर्व धर्म एकता सम्मेलन) में हिंदू, सिख ईसाई, बौद्ध धर्मावलंबियों के नेताओं ने शिरकत की।
मौलना महमूद मदनी ने देश के युवा मुस्लिमों और छात्र संगठनों को सावधान करते हुए कहा कि देश के मौजूदा हालात में वह आंतरिक और बाह्य दुश्मनों के सीधे निशाने पर हैं। लिहाज़ा उन्हें निराश करने, भड़काने और भटकाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। ऐसे में उन्हें ना तो हताश होना चाहिए और ना ही धैर्य और सावधानी का दामन छोड़ना चाहिए। साथ ही जो तथाकथित संगठन इस्लाम के नाम पर जिहाद की गलत व्याख्या कर आतंकवाद और हिंसा का प्रचार करते हैं। वह ना तो देश के हित की दृष्टि से और ना ही इस्लाम के आदेशानुसार हमारे सहयोग के पात्र हैं। इसके विपरीत अपनी मातृभूमि के लिए बलिदान देने, निष्ठा और देशभक्ति हमारा राष्ट्रीय और कौमी कर्तव्य है। हमारा धर्म और हमारा देश सर्वोपरि है। यही हमारा नारा है। मातृभूमि के लिए समर्पण और उसके सम्मान के लिए मर मिटने की सीख हमारे पूर्वजों ने दी है।

उन्होंने कहा कि हिंदू-मुस्लिम एकता की ऐतिहासिक धरोहर की तुलना में इन दिनों कभी इस्लाम, कभी हिंदुत्व और कभी ईसाइयत के नाम पर जिस आक्रामक सांप्रदायिकता को बढ़ावा दिया जा रहा है। वह इस देश की मिट्टी और खुशबू के अनुरूप नहीं है। हम यहां स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि हमारी आरएसएस और भाजपा से कोई मज़हबी या नस्लीय शत्रुता बिल्कुल नहीं है, बल्कि हमारा उनसे विचारधारा के स्तर पर विरोध है, क्योंकि हमारी नजर में भारत के सभी मजहबों के अनुयाई हिंदू, मुसलमान, सिख, बौद्ध, जैन और इसाई सभी समान हैं। हम इंसानों के बीच कोई भेदभाव नहीं करते और ना हम जातीय श्रेष्ठता को स्वीकार करते हैं। उन्होंने कहा कि आरएसएस के सरसंघचालक के पिछले दिनों आए ऐसे बयान जो आपसी मेलजोल और राष्ट्रीय एकता को प्रोत्साहित करते हैं, उनका हम तहे दिल से स्वागत करते हैं। इस्लामी शिक्षाओं के अनुसार दोस्ती के लिए बढ़ाए जाने वाला हाथ आगे बढ़कर मजबूती से थाम लिया जाना चाहिए। अतः हम उनसे और उनके समर्थकों को आपसी भेदभाव, द्वेष, अहंकार भूल कर अपने प्यारे देश को दुनिया का सबसे ताकतवर देश बनाने का आवाहन करते हैं।

महमूद मदनी ने आम सभा में स्वीकृत किए गए राष्ट्र के नाम संदेश जारी करते हुए कहा कि न्याय और निष्पक्षता किसी भी सभ्य समाज के सबसे बड़े मानक हैं। हर शासक का पहला कर्तव्य अपनी प्रजा को न्याय प्रदान करना है। सुप्रीम कोर्ट और देश की अन्य अदालतें भारत के सबसे बड़े लोकतंत्र की संरक्षक और उसकी ताकत हैं, लेकिन बीते कुछ समय से अदालतों के निर्णय के बाद यह धारणा आम होती जा रही है कि अदालतें सरकार के दबाव में काम कर रही हैं। यह स्थिति बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है। किसी देश में यदि न्यायालय स्वतंत्र नहीं है, तो देश स्वतंत्र नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत विविधताओं और बहुलतावादी समाज वाला एक सुंदर देश है, जहां विभिन्न विचारों, आचार, व्यवहार और रीति रिवाज के लोग अपनी इच्छा अनुसार जीवन व्यतीत करते हैं और अपनी विचारधारा का पालन करने की स्वतंत्रता इसकी विशेषता रही है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद और उसके पूर्वजों के प्रयास और संघर्ष भी भारत के अतीत और वर्तमान के स्वर्णिम इतिहास का अभिन्न अंग हैं। समग्र राष्ट्रीयता और हिंदी मुस्लिम एकता का चिंतन और दर्शन उनकी प्रदान की हुई धरोहर हैं।

उन्होंने कहा कि इस्लाम में कहीं भी नस्लीय भेदभाव नहीं है, लेकिन इसके बावजूद मुसलमानों में पसमांदा (पिछड़ी जातियों) का अस्तित्व एक जमीनी सच्चाई है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि पसमांदा समुदाय के साथ भेदभाव धार्मिक, नैतिक और मानवीय दृष्टि से निंदनीय है। ऐसे में इस महाधिवेशन के अवसर पर हम घोषणा करना चाहते हैं कि जातीयता के नाम पर जो यातनाएं दी गई हैं। उस पर हमें पछतावा है और उसे दूर करने के लिए हम सब संकल्पबद्ध हैं। हम मुसलमानों में आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से समानता स्थापित करने के लिए हर संभव संघर्ष करेंगे। उन्होंने कहा कि महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक मंदी देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। गरीबी और बेरोजगारी की मौजूदा दर को देखते हुए हमारे विकास के सारे दावे झूठे और खोखले हैं। देश के सभी वर्गों को रोजी-रोटी मुहैया कराए बिना सुपर पावर बनने का हमारा सपना साकार नहीं हो सकता। अल्पसंख्यकों विशेषकर मुसलमानों के आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन की उपेक्षा करके भी देश कभी विकास नहीं कर सकता।

सभा में पारित प्रस्ताव में मुसलमानों से अपील की गई है कि वह महिला अधिकारों की सुरक्षा और उनके साथ न्याय संगत व्यवहार के लिए इस्लामी शरीयत द्वारा निर्धारित आचार संहिता को व्यवहारिक रूप से लागू करें। पुश्तैनी संपत्तियों के बंटवारे में महिलाओं को वंचित रखना, तलाक देना और गुजारा भत्ते के संबंध में इस्लामी दिशानिर्देशों का उल्लंघन होता है। समाज में उनके साथ हो रहे अन्याय के विरुद्ध मुसलमानों को देश भर में सामाजिक आंदोलन चलाने और आवश्यक सुधार करने की सख्त आवश्यकता है। ताकि हमारे पर्सनल ला में हस्तक्षेप करने की कोई संभावना ना रहे।

इससे पूर्व मौलाना सैयद अरशद मदनी कहा कि देश के गांव-गांव में 1400 वर्षों से हिंदू मुसलमान साथ साथ रहते रहे हैं। उनके बीच कभी कोई मतभेद नहीं था। उन्होंने कहा कि अल्लाह ने आखिरी नबी को अरब की सरजमीं पर भेजा। दुनिया के किसी और देश में नहीं। इसी तरह सबसे पहले नबी हजरत आदम को भारत की जमी पर उतारा था। आदम सबसे पहला आदमी था, जो आसमान से आया।। उन्होंने कहा कि मैं फिरका परस्ती का विरोधी रहा हूं और यह भी मानता हूं कि जो फिरका परस्त है वह देश विरोधी है। ऐसे में मुसलमानों को चाहिए कि वह  घर, दुकान, बाजार, खेत जहां भी हो प्यार का पैगाम फैलाएं, क्योंकि इस्लाम किसी दुश्मनी का विरोध करता है।
 
इससे पूर्व महाधिवेशन में विभिन्न धर्मों के नेताओं और गुरुओं ने भी अपने विचार व्यक्त किए। राष्ट्रीय धर्म संसद के प्रमुख गोस्वामी शुशील महाराज  जी ने कहा कि यहां विभिन्न धर्मों के नेताओं की उपस्थिति देश के लिए बड़ा संदेश है। यदि आप पर आंच आती है, तो यह हमारे लिए शर्म की बात होगी। अकाल तख्त के जत्थेदार हरदीप पूरी ने कहा कि गुरु नानक देव ने कहा था कि एक रब के सिवा दूसरा नहीं है। उसका कोई रूप और शरीर नहीं है। इसलिए हम सब एक समान हैं। हमको सभी का सम्मान करना चाहिए। गोस्वामी चिन्मयानंद सरस्वती हरिद्वार ने कहा कि देश में कोई समस्या नहीं है। "तीर से ना तलवार से देश चलेगा प्यार से" इसी नजरिए से देश चलाया जा सकता है। उन्होंने कहा इतिहास में नहीं जिया जा सकता। आज वर्तमान है और हम प्यार से जिएं यही तरीका है। लड़कर जीने से कुछ भी हासिल नहीं होता। लड़ने से तो देश बंट गया था, लेकिन आज वहां क्या हो रहा है।

जैन मुनि आचार्य लोकेश ने कहा कि कोई धर्म तोड़ता नहीं जोड़ता है। इंसान पहले इंसान है फिर हिंदू और मुसलमान है। सद्भाव शब्द धर्म भारत की बुनियाद है कोई भी धर्म तोड़ता नहीं जो होता है पहले इंसान है उन्होंने कहा आज फिर एकता की मिसाल बनानी होगी। आज हमें नफरत की सोच को बदलना होगा। गुरुद्वारा बंगला साहिब के प्रमुख सरदार परमजीत चंडूक ने कहा कि कुछ विदेशी ताकतें देश को कमजोर करने की कोशिश कर रही हैं। अखंड भारत के लिए एकता जरूरी है। इससे पूर्व देश के विभिन्न राज्यों से आए विद्वान मौलवी और उलेमाओं ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

दारुल उलूम देवबंद के कुलपति  मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने लोगों से अपील की है कि बैठक के सभी प्रस्तावों को पूरे देश में फैलाएं और उन्हें लागू करें, हमें समाज में फैली बुराई को खत्म करने का प्रयास करना होगा. जमीयत उलेमा-ए-हिंद के उपाध्यक्ष मौलाना मुहम्मद सलमान बजनूरी और प्रोफेसर दारुल उलूम देवबंद ने कहा कि हम सभी को घोषणा पत्र के अनुसार काम करना चाहिए.उन्होंने कहा कि विभिन्न धर्मों के लोगों को बातचीत में भाग लेकर अपनी समस्याओं का समाधान करना चाहिए. उन्होंने कहा कि संवाद एक बहुत बड़ी ताकत है, इसे नजरअंदाज करके आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है।जमीयत अहले हदीस  हिंद के अध्यक्ष मौलाना असगर अली इमाम मेहदी  सलाफी ने अपने संबोधन में कहा कि हमारा देश आज एक नाजुक दौर से गुजर रहा है।इसकी जरूरत है राष्ट्र के बुद्धिजीवियों को एक साथ आकर अपने पूर्वजों की उपलब्धियों को अपने सामने रखते हुए  राष्ट्र और मानवता के सामने आने वाली समस्याओं से संबंधित रक्त और कलेजे को जलाकर वास्तविक कार्य करना है।
दारुल उलूम वक्फ देवबंद के मौलाना सुफियान कासमी ने कहा कि देश के हालात इस समय बेहद चिंताजनक हैं, जमीयत उलेमा हिंद ने जिस सतर्कता से देश को दिशा देने का काम किया है, वह काबिले तारीफ है. और कर्म, क्योंकि केंद्रीयता के अलावा हमारी आवाज अर्थहीन रहेगी और हम किसी को प्रभावित नहीं कर सकते। उन्होंने अपनी ओर से और अपनी पार्टी की ओर से जमीयत के प्रस्तावों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि हालात नए नहीं हैं, हर दौर में आए हैं. दारुल उलूम देवबंद  नायब अमीर-उल-हिंद मौलाना मुफ्ती मुहम्मद सलमान मंसूरपुरी ने सलाह दी कि मुसलमानों को मौजूदा स्थिति  में  पीड़ा से डरने के बजाय अल्लाह की रस्सी को मजबूती से पकड़ना चाहिए।

फरीद निजामी दरगाह हजरत निजामुद्दीन महबूब औलिया ने आज की बैठक के एजेंडे का समर्थन किया ।जमीयत उलेमा कर्नाटक के महासचिव मुफ्ती शमसुद्दीन बिजली ने समान नागरिक संहिता लागू करने के विरोध पर आधारित प्रस्ताव पेश किया  

विचार व्यक्त करने वाले अन्य महत्वपूर्ण लोगों में दिल्ली अल्पसंख्यक समिति के पूर्व अध्यक्ष डॉ. जफरुल इस्लाम खान, मौलाना अब्दुल खालिक साहब, मद्रासी नायब मेहतामम दारुल उलूम, देवबंद, मुफ़्ती महमूद बारडोली साहिब  गुजरात, श्री अब्दुल वाहिद अंगारा शाह दरगाह अजमेर शरीफ, श्री अकाल तख्त हरप्रीत सिंह श्री अमृतसर, अनिल जोसेफ थॉमस कोटो , दिल्ली के आर्कबिशप, मौलाना मुहम्मद इब्राहिम साहिब अध्यक्ष जमीयत उलेमा केरल, मौलाना कलीमुल्ला कासमी नाजिम जमीयत यूपी , पीए इनामदार, मौलाना मुहम्मद मदनी शामिल हैं 

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Ashhar Hashimi Urdu Journalist, Columnist, Poet, Fiction Writer, Author, Translator, Critic, Political Analyst-Commentator and Social Activist | Worked as Editor for UNI Urdu, Azad Hind (Kolkata), Qaumi Awaz (Delhi), Aalami Urdu Service and Urdu Daily Qasid