मंदिरों के प्रसाद की गुणवत्ता की जांच वाली याचिका खारिज, कोर्ट ने कहा- यह हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं
कोर्ट ने कहा कि हम याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं हैं। क्योंकि याचिका में की गई मांग राज्य के अधिकार क्षेत्र में आती है। केवल प्रसाद को लेकर ही यह मांग क्यों की जा रही है? इसे होटलों में मिलने वाले भोजन, किराने की दुकानों से खरीदे जाने वाले खाद्य पदार्थों के लिए भी दायर करें। इनमें भी मिलावट हो सकती है।
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नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मंदिरों के प्रसाद की गुणवत्ता की जांच के लिए नियम बनाने की मांग को लेकर दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह हमारे अधिकार क्षेत्र का मामला नहीं है। न्यायमूर्ति बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने याचिककर्ता के वकील से कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 नवंबर को कहा था कि कार्यपालिका अपनी सीमा में रहकर काम कर रही है।
पीठ ने कहा कि हम याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं हैं। क्योंकि याचिका में की गई मांग राज्य के अधिकार क्षेत्र में आती है। अगर याचिकाकर्ता ऐसा चाहते हैं, तो वह उचित प्राधिकारी को आवेदन कर सकता है जिस पर कानून के अनुसार विचार किया जाएगा।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि जनहित याचिका किसी पब्लिसिटी के लिए नहीं दाखिल की गई है। बल्कि इसलिए दायर की गई है क्योंकि विभिन्न मंदिरों में दिए जाने वाले भोजन और प्रसाद खाने के बाद कई लोग बीमार पड़ रहे हैं।
इस पर कोर्ट ने कहा कि केवल प्रसाद को लेकर ही यह मांग क्यों की जा रही है? इसे होटलों में मिलने वाले भोजन, किराने की दुकानों से खरीदे जाने वाले खाद्य पदार्थों के लिए भी दायर करें। इनमें भी मिलावट हो सकती है। पीठ ने कहा कि अगर किसी मंदिर से संबंधित कोई व्यक्तिगत मामला है, तो संबंधित व्यक्ति संबंधित उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि इसमें मंदिरों की कोई गलती नहीं है क्योंकि उनके पास गुणवत्ता की जांच के लिए कोई साधन नहीं है। इसकी जांच के लिए खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता प्राधिकरण बना है लेकिन उसके पास ऐसे मामलों के लिए कोई गाइडलाइन नहीं है। हम केवल इसके लिए नियम बनाने की मांग कर रहे हैं। ताकि खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता की उचित जांच कराई जा सके।
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