नई दिल्ली (आरएनआई) देश की हवा लगातार प्रदूषित होती जा रही है। इस क्रम में, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के कई शहरों में सोमवार को वायु गुणवत्ता 'बहुत खराब' दर्ज की गई। कई अन्य शहरों में भी उच्च वायु गुणवत्ता सूचकांक के आंकड़े दर्ज किए गए।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, ग्रेटर नोएडा, दिल्ली, फरीदाबाद और मुजफ्फरनगर उन शहरों में शामिल हैं, जहां वायु गुणवत्ता सबसे खराब है।
बता दें, वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 0-50 के बीच 'अच्छा', 51-100 के बीच 'संतोषजनक', 101-200 के बीच 'मध्यम', 201-300 के बीच 'खराब', 301-400 के बीच 'बहुत खराब' और 401-500 के बीच 'गंभीर' श्रेणी में माना जाता है।
सीपीसीबी ने सबसे खराब वायु वाले टॉप 10 शहरों की सूची जारी की है। इसमें पहले नंबर पर ग्रेटर नोएडा है। यहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक 354 दर्ज किया गया, जो कि बहुत खराब श्रेणी है। वहीं, उत्तर प्रदेश के फरीदाबाद का 322, दिल्ली का 313 एक्यूआई दर्ज किया गया है। इससे साफ है कि यहां की हवा भी बहुत ज्यादा प्रदूषित है।
इसके अलावा कई शहरों की वायु गुणवत्ता खराब दर्ज की गई। मुजफ्फरनगर का एक्यूआई 299, हरियाणा के बहादुरगढ़ का 284, मानेसर का 280 और राजस्थान के भरतपुर और भिवाड़ी का वायु गुणवत्ता सूचकांक 261 दर्ज किया गया है। वहीं, हरियाणा के कुरुक्षेत्र में वायु गुणवत्ता सूचकांक 256 दर्ज किया गया। जबकि, गुरुग्राम में एक्यूआई 255, मेरठ में 253, गाजियाबाद में 246 और करनाल में 243 दर्ज किया गया।
खराब गुणवत्ता वाले टॉप-10 शहरों की सूची
शहर एक्यूआई
ग्रेटर नोएडा 354
फरीदाबाद 322
दिल्ली 313
मुजफ्फरनगर 299
बहादुरगढ़ 284
मानेसर 280
कैथल 269
बल्लबगढ़ 264
भरतपुर 261
भिवाड़ी 261
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) की उप समिति ने आने वाले दिनों में वायु गुणवत्ता के और खराब होने की आशंका जताई है। उप समिति ने शनिवार को ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) के दूसरे चरण के अनुसार 11 सूत्री कार्य योजना लागू की। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने ग्रैप के दूसरे चरण के क्रियान्वयन पर चर्चा के लिए सोमवार दोपहर 12 बजे एक बैठक बुलाई।
राय ने सोमवार को बताया कि दिल्ली में ठंड बढ़ने लगी है और हवा की गति कम हो गई है, इससे प्रदूषण में वृद्धि हो सकती है। जीआरएपी का दूसरा चरण दिल्ली में लागू कर दिया गया है। जीआरएपी चरण दो के समाधान पर चर्चा करने के लिए सभी संबंधित विभागों के साथ एक बैठक बुलाई गई है। उन्होंने आगे कहा, ‘मौसम हमारे हाथ में नहीं है, लेकिन बिगड़ते हालातों को नियंत्रित करने की आवश्यकता है ताकि लोगों के स्वास्थ्य पर प्रदूषण का प्रभाव जितना संभव हो उतना कम हो।’
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