भारत में किस धर्म की आबादी घटी, किन धर्मों के लोग बढ़े?

देशभर में इस समय प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) की रिपोर्ट चर्चा में है। ईएसी-पीएम के एक अध्ययन से पता चला है कि 1950 से 2015 के बीच भारत में बहुसंख्यक धर्म (हिंदुओं) की आबादी में 7.8% की गिरावट आई है।

May 9, 2024 - 19:45
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भारत में किस धर्म की आबादी घटी, किन धर्मों के लोग बढ़े?

नई दिल्ली (आरएनआई) देशभर में इस समय प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) की रिपोर्ट चर्चा में है। ईएसी-पीएम के एक अध्ययन से पता चला है कि 1950 से 2015 के बीच भारत में बहुसंख्यक धर्म (हिंदुओं) की आबादी में 7.8% की गिरावट आई है। वहीं, कई पड़ोसी देशों में बहुसंख्यक समुदाय की आबादी में बढ़ोतरी हुई है। 

आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट के बाद देश में सियासत गर्म हो गई है। भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि मुसलमानों की बढ़ती आबादी और हिंदुओं की घटती जनसंख्या सनातन को खत्म करने की साजिश है। उधर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा कि हमें उन मुद्दों पर बात करनी चाहिए, जो लोगों के जीवन से जुड़े हों। 

आइये जानते हैं कि प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) की रिपोर्ट क्या है? यह रिपोर्ट कैसे तैयार की गई है? अध्ययन में क्या-क्या बताया गया है? रिपोर्ट पर राजनीति क्या हो रही है?

ईएसी-पीएम की रिपोर्ट क्या है? 
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने धार्मिक अल्पसंख्यकों की आबादी पर रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में 1950 और 2015 के बीच दुनियाभर के देशों में आबादी की धार्मिक संरचना में बदलाव के बारे में बताया गया है। ईएसी-पीएम ने अपने विश्लेषण के लिए देशों के धार्मिक विशेषताओं के डेटासेट (आरसीएस-डेम 2017) का इस्तेमाल किया है। रिपोर्ट में जिक्र किया गया है कि दुनियाभर में अल्पसंख्यकों की स्थिति को 1950 और 2015 के बीच 65 वर्षों में किसी देश की जनसंख्या में उनकी बदलती हिस्सेदारी के संदर्भ में मापा गया है। ईएसी-पीएम के विश्लेषण में 167 देशों की अल्पसंख्यकों आबादी पर अध्ययन किया गया है। रिपोर्ट का दावा है कि विश्व स्तर पर बहुसंख्यक धार्मिक समुदाय की हिस्सेदारी लगभग 22 प्रतिशत कम हो गई है। 

अध्ययन में क्या-क्या बताया गया है?
ईएसी-पीएम के अध्ययन में दावा किया गया है कि जिन 40 देशों में सबसे बड़े बदलाव हुए उनमें से आधे से अधिक देश अफ्रीका में है। आरसीएस-डेम डेटासेट में परिभाषित अनिमिस्म 1950 में 24 देशों में बहुसंख्यक धार्मिक संप्रदाय था। 2015 तक यह इनमें से किसी भी देश में बहुसंख्यक नहीं रह गया। 1950 में जिन 94 देशों में ईसाई बहुसंख्यक होने की जानकारी थी, उनमें से 77 में बहुसंख्यक धार्मिक आबादी में कमी आई। इसी समय में मुस्लिम बहुल बताए गए 38 में से 25 देशों में बहुसंख्यक धार्मिक आबादी बढ़ गई। ईएसी-पीएम के विश्लेषण में शामिल 35 आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) देशों में से 33 में बहुसंख्यक धार्मिक आबादी में गिरावट देखी गई है। 33 में से 30 ओईसीडी देशों में महत्वपूर्ण गिरावट देखी गई है।

भारत के बारे में क्या कहती है ईएसी-पीएम की रिपोर्ट?
बहुसंख्यक आबादी में गिरावट की वैश्विक प्रवृत्ति भारत में भी देखी गई। हमारे देश में बहुसंख्यक आबादी में 7.81 प्रतिशत की कमी देखी गई है। कुछ देशों ने अपनी आबादी के भीतर 'अल्पसंख्यक' को परिभाषित भी किया है और भारत उनमें से एक है। भारत में बहुसंख्यक धार्मिक समूह (हिंदू) की हिस्सेदारी में 7.8 प्रतिशत की कमी देखी गई है। भारत में बहुसंख्यक हिंदू आबादी का हिस्सा 1950 और 2015 के बीच 84.68 प्रतिशत से घटकर 78.06 प्रतिशत हो गया। 

1950 में मुस्लिम आबादी की हिस्सेदारी 9.84 प्रतिशत थी जो 2015 में बढ़कर 14.09 प्रतिशत हो गई। मुस्लिमों की आबादी में 43.15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। ईसाई आबादी का हिस्सा 2.24 प्रतिशत से बढ़कर 2.36 प्रतिशत हो गया। इनकी आबादी 1950 और 2015 के बीच 5.38 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 

सिख आबादी का हिस्सा 1950 में 1.24 प्रतिशत से बढ़कर 2015 में 1.85 प्रतिशत हो गया। सिखों के हिस्से में 6.58 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। बौद्ध आबादी की हिस्सेदारी में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई, जो 1950 में 0.05 प्रतिशत से बढ़कर 0.81 प्रतिशत हो गई। भारत की जनसंख्या में जैन आबादी की हिस्सेदारी 1950 में 0.45 प्रतिशत से घटकर 2015 में 0.36 प्रतिशत हो गई। भारत में पारसी आबादी की हिस्सेदारी में 85 प्रतिशत की भारी गिरावट देखी गई। पारसी हिस्सेदारी 1950 में 0.03 प्रतिशत से घटकर 2015 में 0.004 प्रतिशत हो गई।

पाकिस्तान में क्या है स्थिति?
पाकिस्तान ने बहुसंख्यक धार्मिक संप्रदाय (हनफी मुसलमानों) की हिस्सेदारी में 3.75 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है।  हनफी मुसलमानों की हिस्सेदारी 77 से बढ़कर 80 प्रतिशत हो गई है। हालांकि, आरसीएस-डेम डेटासेट के अनुसार, 1971 में बांग्लादेश के निर्माण के बावजूद 1950 और 2015 के बीच पाकिस्तान में कुल मुस्लिम आबादी का हिस्सा 10 प्रतिशत बढ़ गया। यह 84 प्रतिशत से बढ़कर 93 प्रतिशत हो गई। शिया आबादी का हिस्सा (6 से 9 प्रतिशत तक) और अहमदिया आबादी का हिस्सा तीन गुना (1 से 3 प्रतिशत) हो गया। 

पाकिस्तान में हिंदू आबादी की हिस्सेदारी में तेज गिरावट दर्ज की गई है। 1950 में 13 प्रतिशत से घटकर 2015 में केवल 2 प्रतिशत रह गई है। 65 साल में  पाकिस्तान में हिन्दू आबादी में 80 प्रतिशत की भारी कमी हुई है। दिलचस्प बात यह है कि इसी अवधि में पाकिस्तान में ईसाइयों की हिस्सेदारी 1 से 2 प्रतिशत तक लगभग दोगुनी हो गई।

बांग्लादेश में क्या हो रहा है?
1950 में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान और आज के बांग्लादेश में मुसलमानों की आबादी 76 प्रतिशत थी। 23 प्रतिशत के साथ हिंदू जनसंख्या का दूसरा सबसे बड़ा हिस्सा थे। अगले दो सबसे बड़े समूह बौद्ध और ईसाई थे जिनकी संख्या क्रमशः 0.66 प्रतिशत और 0.17 प्रतिशत थी। 2015 में बांग्लादेश में हिंदू आबादी घटकर 8 प्रतिशत रह गई।  बांग्लादेश में अन्य अल्पसंख्यकों की स्थिति भिन्न थी। बौद्ध आबादी 0.63 प्रतिशत पर स्थिर रही जबकि ईसाई आबादी का हिस्सा तीन गुना बढ़कर 0.53 प्रतिशत हो गया।

अफगानिस्तान में क्या हुआ?
देश में मुस्लिम आबादी का हिस्सा 1950 में 99.4 प्रतिशत से बढ़कर 2015 में 99.7 प्रतिशत हो गया। अफगानिस्तान में सुन्नी आबादी 88.7 प्रतिशत से बढ़कर 89 प्रतिशत हो गई जबकि शिया 10.7 प्रतिशत पर स्थिर रहे।

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