भारत में 'एक देश एक चुनाव असांविधानिक और अव्यावहारिक'; सरकार से असहमत प्रशांत भूषण की दलील
वकील और जाने माने कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने 'एक देश एक चुनाव' पर अपना विचार व्यक्त किया। उन्होंने इसे 'अव्यावहारिक और असंवैधानिक" बताते हुए कहा कि संसदीय लोकतंत्र में एक साथ चुनाव कराना व्यावहारिक नहीं है क्योंकि सरकार का कार्यकाल बहुमत पर निर्भर करता है।
नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट के जाने माने वकील और कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने 'एक देश एक चुनाव' पर अपने विचार व्यक्त किए। जहां उन्होंने मंगलवार को इसे 'अव्यावहारिक और असंवैधानिक" बताते हुए कहा कि संसदीय लोकतंत्र में एक साथ चुनाव कराना व्यावहारिक नहीं है क्योंकि सरकार का कार्यकाल बहुमत पर निर्भर करता है।
प्रशांत भूषण ने बात पर भी जोर दिया कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने धार्मिक स्थलों पर कब्ज़ा करने और बुलडोजर न्याय के खिलाफ जो फैसले दिए वे महत्वपूर्ण थे। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिदों को मंदिरों के लिए अधिग्रहित करने से जुड़ी सभी मुकदमों पर रोक लगाई है जो एक अच्छा कदम है।
प्रशांत भूषण ने बुलडोजर न्याय पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने ये भी कहा कि यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर न्याय पर भी रोक लगाई है, जिससे अवैध रूप से संपत्ति ध्वस्त करने पर काबू पाया गया है। इसके अलावा, उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की शक्तियों के दुरुपयोग पर भी चिंता जताते हुए कहा कि ईडी को विपक्षी नेताओं, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को परेशान करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था।
इसके साथ ही प्रशांत भूषण ने आर्थिक लोकतंत्र और राजनीतिक लोकतंत्र के बीच अंतर को समझने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि देश में आर्थिक असमानता इतनी बढ़ चुकी है कि कुछ बड़े परिवारों के पास देश के निचले 50 प्रतिशत लोगों से ज्यादा संपत्ति है। उन्होंने प्रगतिशील कर और संपत्ति कर की बात की, जो आर्थिक असमानता को कम कर सकते थे। उन्होंने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर व्यक्ति को बुनियादी सुविधाएं जैसे भोजन, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा मिल सके ताकि वह एक सम्मानजनक जीवन जी सके।
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