भारत के बाद जापान ने किया मून मिशन लॉन्च

जापान की अंतरिक्ष एजेंसी को पिछले महीने एक हफ्ते में तीन बार अपना यह मिशन टालना पड़ा था। इसके पीछे का कारण खराब मौसम था। बार-बार खराब मौसम के चलते जापान को मून मिशन की लॉन्चिंग की तारीख को बदलना पड़ा, लेकिन आखिरकार जापान ऐसा करने में सफल रहा।

Sep 7, 2023 - 10:30
 0  405
भारत के बाद जापान ने किया मून मिशन लॉन्च
जापान ने ‘मून स्नाइपर’ लॉन्च किया

टोक्यो। (आरएनआई) भारत के चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अन्य देश भी अब चांद पर पहुंचने के लिए इसरो की राह पर है। अब चांद पर जाने के लिए जापान ने कदम बढ़ा लिया है। आज सुबह जापान की अतंरिक्ष एजेंसी जापान एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) ने अपना मून मिशन ‘मून स्नाइपर’ लॉन्च किया। तनेगाशिमा अंतरिक्ष केंद्र से H-IIA रॉकेट के जरिए यह लॉन्चिंग की गई। जापानी अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा लॉन्च किया जाने वाले मून मिशन में रॉकेट एक लैंडर को ले जाएगा, जिसके चार से छह महीने में चंद्रमा की सतह पर पहुंचने की उम्मीद है।

जापान की अंतरिक्ष एजेंसी को पिछले महीने एक हफ्ते में तीन बार अपना यह मिशन टालना पड़ा था। इसके पीछे का कारण खराब मौसम था। बार-बार खराब मौसम के चलते जापानी अंतरिक्ष एजेंसी को मून मिशन की लॉन्चिंग की तारीख को बदलना पड़ा, लेकिन आखिरकार जापान ऐसा करने में सफल रहा। तनेगाशिमा अंतरिक्ष केंद्र से H-IIA (एच2ए) रॉकेट के जरिए यह लॉन्चिंग की गई। जापानी एयरोस्पेश एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) द्वारा लॉन्च किया जाने वाले मून मिशन ‘मून स्नाइपर’ में रॉकेट एक लैंडर को ले जाएगा। इसके चार से छह महीने में चंद्रमा की सतह पर पहुंचने की उम्मीद है।

JAXA ने बताया कि लॉन्च के करीब 13 मिनट बाद रॉकेट ने एक्स-रे इमेजिंग और स्पेक्ट्रोस्कोपी मिशन (एक्सआरआईएसएम) नामक एक उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया, जो आकाशगंगाओं के बीच स्थित चीजों की गति और संरचना को मापेगा। एजेंसी ने आगे कहा कि इससे मिली जानकारी यह अध्ययन करने में मदद करेगी कि आकाशीय पिंडों का निर्माण कैसे हुआ। साथ ही उम्मीद है कि ब्रह्मांड का निर्माण कैसे हुआ इस रहस्य को सुलझाने में भी मदद मिल सकती है।

राइस स्पेस इंस्टीट्यूट के निदेशक डेविड अलेक्जेंडर का मानना है कि यह मिशन गर्म प्लाज्मा या ब्रह्मांड के अधिकांश हिस्से को बनाने वाले अत्यधिक गर्म पदार्थ के गुणों के बारे में जानकारी देने के लिए महत्वपूर्ण है। प्लाज्मा का उपयोग विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है, जिसमें घावों को ठीक करना, कंप्यूटर चिप्स बनाना और पर्यावरण को साफ करना शामिल है।

जापान ने अपने इस मून मिशन को खास तौर पर ब्रह्मांड के निर्माण की जांच के लिए डिजाइन किया है। इसमें एक एक्स-रे इमेजिंग उपग्रह भी होगा। इसके अलावा एक स्मार्ट लैंडर भी भेजा गया है। यह चांद की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने की कोशिश करेगा। जापानी अंतरिक्ष एजेंसी मून स्नाइपर को एच2ए रॉकेट के जरिए चांद पर भेज रही है। मून स्नाइपर में हाई टेक्नोलॉजी के कैमरे लगे हुए हैं, जो चांद को समझने के लिए काम करेगा।

जापान काफी लंबे समय से अपने मून मिशन पर काम कर रहा है। जापान के मून मिशन में कई चीजें शामिल हैं। इस मिशन के तहत चंद्रमा पर जांच करने के लिए स्मार्ट लैंडर को उतारना है। जापानी रॉकेट में स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून (SLIM) एक हल्का चंद्र लैंडर भी मौजूद है। अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, स्मार्ट लैंडर लॉन्च के बाद तीन या चार महीने तक चंद्रमा की कक्षा में नहीं जाएगा और संभवतः अगले साल की शुरुआत में लैंडिंग का प्रयास करेगा।

जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) द्वारा चंद्रमा पर उतरने का यह पहला प्रयास है। हालांकि, इस साल मई में एक निजी जापानी कंपनी ने प्रयास किया था, लेकिन असफल रहा था। SLIM (चंद्रमा की जांच के लिए स्मार्ट लैंडर) एक बहुत छोटा अंतरिक्ष यान है, जिसका वजन लगभग 200 किलोग्राम है। इसकी तुलना में, चंद्रयान-3 लैंडर मॉड्यूल का वजन लगभग 1,750 किलोग्राम था। एसएलआईएम का मुख्य उद्देश्य चुनी गई साइट के 100 मीटर के भीतर सटीक लैंडिंग का प्रदर्शन करना है।

जापान ने रॉकेट के जरिए दो अंतरिक्ष यान लॉन्च किए गए हैं। पहला एक एक्स रे टेलिस्कोप और दूसरा एक हल्का चंद्रमा लैडर है। यह टेलीस्कोप सुबह आठ बजकर 56 मिनट पर अलग हो गया और चंद्रमा लैंडर नौ बजकर 29 मिनट पर अलग हुआ।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

RNI News Reportage News International (RNI) is India's growing news website which is an digital platform to news, ideas and content based article. Destination where you can catch latest happenings from all over the globe Enhancing the strength of journalism independent and unbiased.