भारतीय चर्चित चेहरा : ...और डॉ. ग्रोवर निर्धन कैंसर रोगियों के मसीहा बन गए
उषा पाठक
नयी दिल्ली, 24 अपैल 2023, (आरएनआई)। कहते हैं,इंसानियत एवं सेवा भाव ख़त्म होता जा रहा है,मगर आज भी कई लोगों में ऐसी चीजें है और वे अपने जीवन को अंतिम क्षणों तक जरुरत मंदों की सेवा में लगा देते हैं।ऐसे भाव के धनी हैं,देश के जाने माने कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ.राजेश कुमार ग्रोवर (डॉ.आर.के.ग्रोवर)।उन्होंने दिल्ली सरकार के अधीन संचालित"दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीच्यूट"में निर्धन एवं असहाय रोगियों के लिये इलाज सुलभ कर कीर्तिमान स्थापित कर दिया।
दिल्ली में 15 वर्षो तक मुख्यमंत्री रहीं स्व.शीला दीक्षित ने कैंसर रोगियों को सुलभ इलाज के लिए इस अस्पताल की स्थापना की थीं एवं इसका संस्थापक निदेशक सह सीएमडी डॉ.ग्रोवर को बनाया गया था।उन्होंने डेढ़ दशक तक इस पद पर रहकर यह मुकाम हासिल किया।यह संस्थान आज कैंसर रोगियों के लिए बरदान बन गया है।
जानकार कहते हैं,कि डॉ.ग्रोवर ने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए अपने निजी जीवन को छोड़कर अस्पताल को ही आशियाना बना लिया।इस दौरान वह अस्पताल में संसाधन जुटाने से लेकर रोगियों के इलाज में जुटे रहते थे।उनकी मेहनत और लगन से यह अस्पताल देश में सुर्खियों में आ गया।
डॉ.ग्रोवर का जन्म पहली जनवरी 1955 को स्व.केदार नाथ ग्रोवर के पुत्र के रूप में हुआ।वह बचपन से ही मेधावी छात्र थे।वर्ष 1971 में उन्होंने उच्चतर माध्यमिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद वर्ष 1976 में बीएचयू से एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने के बाद पीजीआई चंड़ीगढ़ से रेडियोथेरेपी में एमडी की डिग्री हासिल की और कैंसर रोगियों की सेवा में जुट गए।
डॉ.ग्रोवर कहते हैं,कि कैंसर दुनियां के लिए एक खतरनाक बीमारी बना हुआ है।इस रोग का मुख्य कारण जलवायु में निरंतर हो रहे परिवर्तन,अनियमित जीवन शैली एवं अनियंत्रित खान पान है।विश्व स्तर पर यह दर 15-16 प्रतिशत है।भारत में भी लाखों लोग किसी न किसी रूप में इस रोग के शिकार हैं।इसका सबसे बड़ा कारण यहाँ तंबाकू जनित चीजें है।
डॉ.ग्रोवर ने कहा कि महिलाओं में यह रोग स्तन कैंसर के रूप में ज्यादे उभरकर सामने आ रहा है।प्रथम एवं द्वितीय स्टेज पर अगर इस रोग की जानकारी मिल जाती है तो ठीक होने की संभावना अधिक होती है।तीसरे एवं चौथे स्तर पर खतरा बढ़ जाता है।उन्होंने कहा कि एक उम्र के बाद लोगों को अपने स्वास्थ्य की नियमित जांच करानी चाहिए। एल.एस.
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