भाजपा नेता एच राजा के खिलाफ आपराधिक मामले रद्द करने से सुप्रीम कोर्ट का इन्कार
सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा के राष्ट्रीय सचिव एच राजा के खिलाफ आपराधिक मामलों को रद्द करने से इन्कार कर दिया। साथ ही नसीहत दी कि राजनेताओं को अपने सार्वजनिक बयानों के प्रति सतर्क रहने की जरूरत है। शीर्ष अदालत मद्रास हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजनेताओं को अपने सार्वजनिक बयानों के प्रति सतर्क रहने की जरूरत है। शीर्ष कोर्ट ने मंगलवार को यह टिप्पणी करने के साथ ही द्रविड़ आंदोलन के नेता पेरियार, पूर्व मंत्री एम करुणानिधि, डीएमके पार्टी नेताओं आदि के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणियों के लिए भाजपा के राष्ट्रीय सचिव एच राजा के खिलाफ आपराधिक मामलों को रद्द करने से इन्कार कर दिया।
जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ मद्रास हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) पर सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान जस्टिस रॉय ने मौखिक टिप्पणी की, राजनीति में लोगों को इस पर सतर्क रहना होगा कि वे क्या कहते हैं। क्या उनकी बातों से चर्चा का स्तर तो नीचे नहीं जा रहा। हाईकोर्ट ने राजा के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 (दंगा भड़काने के इरादे से उकसाने), धारा 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) आदि के तहत दर्ज आपराधिक मामलों को रद्द करने से इन्कार कर दिया था।
याचिकाकर्ता ने एफआईआर रद्द कराने के लिए वर्ष 2023 में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। लेकिन हाईकोर्ट ने राहत देने से इन्कार करते हुए कहा कि राजा को इस तरह की गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणियां करने की आदत है।
राजा ने पेरियार के नाम से मशहूर ईवी रामासामी के खिलाफ सोशल मीडिया पोस्ट किया था, जिसमें उन्होंने नास्तिक नेताओं की मूर्तियां तोड़ने की बात कही थी और पेरियार को जातीय कट्टरपंथी कहकर भी संबोधित किया था। अदालत ने कहा था कि यद्यपि प्रत्येक व्यक्ति को पेरियार के विचारों और विचारधाराओं से अलग होने का अधिकार है लेकिन वह लक्ष्मण रेखा को पार नहीं कर सकता।
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