भाजपा जिला प्रतिनिधि की सूची में मृत नेता का नाम होने से खलबली
रायबरेली में जिला प्रतिनिधियों की जारी की गई सूची में मृत नेता का नाम शमिल करने से खलबली मच गई है। जिले में संगठन की कार्यशैली पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
![भाजपा जिला प्रतिनिधि की सूची में मृत नेता का नाम होने से खलबली](https://www.rni.news/uploads/images/202412/image_870x_677390cd71c2b.jpg)
रायबरेली (आरएनआई) भाजपा 2027 के विधानसभा चुनाव को लेकर अभी से ही होमवर्क कर रही है। रायबरेली जो सियासत के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है और भाजपा की साख हमेशा से यहां के चुनाव में लगी रहती है। पिछले 24 घंटे में एक नए घटनाक्रम से भाजपा जिला संगठन में खलबली मची हुई है। दिल्ली से मंडल अध्यक्ष व प्रतिनिधि की जारी की गई सूची में संजय मौर्य को जिला प्रतिनिधि बना दिया गया है। जबकि संजय की मौत हो चुकी है। भाजपा के कुछ नेताओं का दावा है कि सूची में जो नाम है, वह जरूरी नहीं है कि मृत संजय मौर्य हो, इसकी जांच की जा रही है।
मंडल अध्यक्षों और जिला प्रतिनिधियों की सूची पूर्व प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय की संस्तुति पर फाइनल हुई है। जिले में मण्डल अध्यक्ष चुनाव की जिम्मेदारी राकेश मिश्रा के पास थी। जिला प्रभारी पीयूष मिश्रा और पर्यवेक्षक के रूप में प्रदेश महामंत्री संजय राय की देखरेख में मण्डल अध्यक्ष का चुनाव किया गया है।
मण्डल अध्यक्ष के पद में जातीय आधार पर समीकरण को खूब साधने की कोशिश की गई है। जिसमें विधानसभा वार जारी लिस्ट में पार्टी की तरफ से यादव बिरादरी को दरकिनार किया गया इसके अलावा ओबीसी की अन्य जातियों को भी कम भागीदारी मिल पाई है। मंडल अध्यक्ष के विभिन्न पदों को लेकर लोगों में जहां खूब आपत्ति जताई जा रही है तो वहीं मृत संजय मौर्य का जिला प्रतिनिधि के पद पर नाम होने से पार्टी की जमकर किरकिरी हो रही है।
भाजपा की तरफ से राही ब्लॉक से संजय मौर्य को जिला प्रतिनिधि बनाया गया है। उनकी मृत्यु 18 मई 2022 को हो चुकी है। सोशल मीडिया पर संजय मौर्य का नाम दौड़ रहा है। इससे भाजपा के भीतर भी खलबली मची हुई है। पार्टी मीडिया प्रभारी विनय शुक्ला का कहना है कि मंडल अध्यक्ष और जिला प्रतिनिधियों का चयन प्रदेश महामंत्री की देखरेख में हुआ है। इसमें गलती नहीं हो सकती है।
सोशल मीडिया पर जो ट्रेंड हो रहा है। उस पर पार्टी के पदाधिकारियों से बात की जा रही है। संजय मौर्य का नाम राही से है, लेकिन उनके गांव का नाम नहीं है। संजय मौर्य नाम के और पदाधिकारी भी हो सकते हैं फिर भी बातचीत के बाद पता लग सकेगा।
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