'भाजपा और शिंदे से रहें दूर, तो विवाद नहीं', उद्धव-राज की सुलह पर शिवसेना (UBT) ने साफ किया रुख
महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों एक नए और बड़े बदलाव की संभावना की हवा चल रही है। इसी बीच शिवसेना का बड़ा बयान सामने आया है, जिसमें बताया गया है कि राज ठाकरे भाजपा और एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना से दूरी बना लें, तो उनके और उद्धव ठाकरे के बीच किसी भी तरह के विवाद की कोई गुंजाइश नहीं है।

मुंबई (आरएनआई) महाराष्ट्र में इन दिनों उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के एक साथ आने की अटकलें तेज है। इसी बीच शिवसेना (यूबीटी) ने सोमवार को कहा कि अगर मनसे प्रमुख राज ठाकरे भाजपा और एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना से दूरी बना लें, तो उनके और उद्धव ठाकरे के बीच किसी भी तरह के विवाद की कोई गुंजाइश नहीं है। पार्टी के मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में लिखा गया कि उद्धव और राज के बीच संभावित सुलह की चर्चा से महाराष्ट्र विरोधी ताकतें परेशान हैं। साथ ही संपादकीय में ये भी दावा किया गया कि अगर भाजपा और शिंदे को दूर रखा जाए, तो दोनों ठाकरे भाई फिर साथ आ सकते हैं।
इन अटकलों को खुद हा राज-उद्धव ठाकरे ने हवा दी है। जहां राज ठाकरे पहले ही कह चुके हैं कि अगर मराठी लोगों के हित में हो, तो एक साथ आना मुश्किल नहीं है। वहीं उद्धव ठाकरे ने भी कहा है कि वह छोटे-मोटे मुद्दों को नजरअंदाज करने को तैयार हैं, बशर्ते महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ कोई काम न हो।
सामना में यह भी कहा गया कि जिन मुद्दों की बात राज कर रहे हैं, वे कभी जनता के सामने नहीं आए। जब शिवसेना की शुरुआत हुई थी, तब भी लक्ष्य मराठी लोगों के हक की लड़ाई था। आज भी वही है। ऐसे में विवाद कहां है?इसके साथ ही संपादकीय में आरोप लगाया गया कि भाजपा और शिंदे की सेना ने जानबूझकर इन मुद्दों को हवा दी और राज के जरिए शिवसेना (यूबीटी) पर निशाना साधा। लेकिन इसका फायदा एमएनएस को नहीं हुआ, उल्टा इससे मराठी एकता को नुकसान पहुंचा।
लेख में आगे कहा गया कि राज ठाकरे ने पहले पीएम मोदी और अमित शाह को महाराष्ट्र में आने से रोकने की बात की थी, लेकिन बाद में अपने उस रुख पर कायम नहीं रह पाए। 2024 के चुनाव में एमएनएस ने पीएम मोदी को तीसरे कार्यकाल के लिए बिना शर्त समर्थन भी दे दिया।
इसके साथ ही शिवसेना ने संपादकीय में यह आरोप भी लगाया कि भाजपा का हिंदुत्व नकली और खोखला है और राज ठाकरे उसके जाल में फंस गए। साथ ही अंत में चेतावनी दी गई कि अगर जीवनभर आपसी झगड़ों में ही समय बर्बाद होता रहा, तो महाराष्ट्र कभी माफ नहीं करेगा।
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