भागवत पीठ में अत्यंत धूमधाम से मनाया गया 18वां फाग महोत्सव
वृन्दावन। बुर्जा रोड़ स्थित भागवत पीठ में सत्य सनातन सेवार्थ संस्थान के द्वारा 18 वां रंगारंग फाग महोत्सव अत्यंत श्रद्धा व धूमधाम के साथ संपन्न हुआ। जिसमें होली के पदों, भजनों व रसियों का संगीतमय गायन अनेक सुप्रसिद्ध मंडलियों के द्वारा किया गया। साथ ही रंग-गुलाल व फूलों की जबरदस्त होली खेली गई। जिसमें प्रख्यात संतों-धर्माचार्यों के अलावा देश के विभिन्न प्रांतों से आए भक्तों व श्रद्धालुओं ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया।
महामंडलेश्वर इंद्रदेवेश्वरानंद सरस्वती महाराज व श्रीनाभापीठाधीश्वर श्रीमज्जगदगुरू सुतीक्ष्णदास देवाचार्य महाराज ने कहा कि होली पारस्परिक प्रेम, सौहार्द्र व राष्ट्रीय एकता का प्रमुख पर्व है। विडम्बना है कि सामाजिक समरसता के इस महापर्व में अनेक बुराइयों का समावेश हो गया है। आज आवश्कता इस बात की है कि हम लोग इस दिन अपने जीवन की समस्त बुराइयों को त्यागने का संकल्प लें। तभी इस पर्व की अस्मिता सुरक्षित रह सकती है।
भागवत पीठाधीश्वर, भागवत प्रभाकर आचार्य मारुतिनन्दन वागीश महाराज व युवराज श्रीधराचार्य महाराज ने कहा कि होली सद्भाव और प्रेम का त्योहार है। सभी को मिलकर अपने ईंर्श्या, द्वेष कों त्याग कर प्रेम मिलन करके हम बुराइयों कों समाप्त करें और अच्छाइयों को ग्रहण करें।
चिंतामणि कुंज के अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. आदित्यानंद महाराज व पुराणाचार्य डॉ. मनोज मोहन शास्त्री ने कहा कि ब्रज रज प्रेम का आनंद स्वरूप है। जिसमें सभी ब्रजवासी सुख की अनुभूति प्राप्त करते हैं। साथ ही प्रेम और सौहार्द्र को बढ़ाते हैं।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी व पंडित बिहारीलाल वशिष्ठ ने कहा कि भगवान शिव ने भी होली खेली थी और होली में सभी रंगों का स्माववेश है। इसीलिए होली को रंगोत्सव भी कहते हैं।
आचार्य रामविलास चतुर्वेदी व पंडित बिहारीलाल शास्त्री ने कहा कि धर्म संस्कृति से बढ़कर कर्म संस्कृति की प्रधानता है। इसीलिए आचार्यों ने भी ब्रज में आकर यहां को रज नमन किया है और भगवान की लीलाओं को अवलोकन कर उनके आनंद का लाभ प्राप्त किया।
होली महोत्सव में श्रीराम कथा मर्मज्ञ अशोक व्यास, प्रख्यात संगीताचार्य बनवारी महाराज, आचार्य बद्रीश महाराज, भागवताचार्य विपिन बापू, सेंट्रल बैंक के प्रबन्धक वत्सल पचौरी, डॉ. आनन्द चैतन्य, आचार्य युगलकिशोर कटारे, पंडित योगेश द्विवेदी, आचार्य विनय त्रिपाठी, डॉ. राधाकांत शर्मा, पंडित रविशंकर पाराशर (बवेले), पंडित सुधीर शुक्ला, आचार्य बुद्धिप्रकाश शास्त्री, भरत शास्त्री आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। संचालन पंडित बिहारीलाल शास्त्री ने किया।
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