भागवत के 'घर वापसी' बयान पर बिशपों की तीखी प्रतिक्रिया: ईसाई समाज में आक्रोश
मोहन भागवत के बयान इन दिनों सुर्खियों के साथ-साथ विवादों में घिर रहे हैं। पिछले दिनों मंदिरों पर दिए बयान पर उन्हें काफी विरोध का सामना करना पड़ा था। अब भागवत ने ईसाई धर्म को लेकर टिप्पणी की है। जिस पर विवाद खड़ा हो गया है।
नई दिल्ली (आरएनआई) देश के अलग-अलग मामलों को लेकर संघ प्रमुख मोहन भागवत लगातार बयान दे रहे हैं। जो काफी चर्चा में बने हुए हैं। पहले मंदिरों पर दिए बयान पर उन्हें काफी विरोध का सामना करना पड़ा था। अब भागवत ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को लेकर एक बयान दिया है। जिस पर नया विवाद छिड़ गया है।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की तारीफ की थी। और कहा कि उनके राष्ट्रपति रहते हुए घर संघ की तरफ से घर वापसी का अभियान नहीं चलाया गया होता, तो आदिवासियों का एक गुट राष्ट्र-विरोधी हो जाता।
संघ की तरफ से घर वापसी शब्द का इस्तेमाल मुसलमानों और ईसाइयों के हिंदू धर्म में लौटने के लिए किया जाता है। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने यह बात इंदौर में राष्ट्रीय देवी अहिल्या पुरस्कार के वितरण समारोह में कही है।
मोहन भावगत के घर वापिसी वाले बयान पर कैथोलिक बिशपों की संस्था सीबीसीआई ने विरोध जताया है, और इस तरह के बयानों को चौंकाने वाला बताया है। संस्था ने भागवत सवाल किया कि मुखर्जी के जीवित रहते समय भागवत ने इस बारे में कुछ क्यों नहीं बोला? CBCI ने कहा कि हम 2.3 प्रतिशत ईसाई भारतीय नागरिक इस तरह के छलपूर्ण और दुर्भावनापूर्ण प्रचार से बहुत आहत महसूस कर रहे हैं।
मोहन भागवत ने कहा कि धर्म परिवर्तन अगर आंतरिक परिवर्तन से होता है, तो इसमें कोई बुराई नहीं है। ये काफी हद तक ठीक भी है। हर धर्म में अलग-अलग तरीके से प्राथनाएं और पूजा पाठ होती है। लेकिन किसी को लालच देकर धर्म परिवर्तन कराना गलत है। क्योंकि ऐसा करने से पता चलता है कि इसका मकसद आध्यात्मिकता फैलाना नहीं बल्कि अपना प्रभाव बनाना है।
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