'भर्ती प्रक्रिया में पूर्ण ईमानदारी से जनता में पैदा होता है विश्वास'; नकल मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक भर्ती परीक्षा में नकल करने के आरोपी दो व्यक्तियों को जमानत देने के आदेश को रद्द कर दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि आरोपियों के कृत्य से संभवत: कई लोग प्रभावित हुए हैं, जिन्होंने नौकरी पाने की आशा में कड़ी मेहनत की है।

नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक भर्ती परीक्षा में नकल करने के आरोपी दो व्यक्तियों को जमानत देने के आदेश को रद्द कर दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि आरोपियों के कृत्य से संभवत: कई लोग प्रभावित हुए हैं, जिन्होंने नौकरी पाने की आशा में कड़ी मेहनत की है। भर्ती प्रक्रिया में पूर्ण ईमानदारी से जनता में विश्वास पैदा होता है।
जस्टिस संजय करोल और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि इस तरह के कृत्य लोक प्रशासन और कार्यपालिका में लोगों के विश्वास में संभावित कमी दर्शाते हैं। पीठ ने कहा, वास्तविकता यह है कि भारत में सरकारी नौकिरियां पाने के इच्छुक लोगों की तुलना में नौकरियों की संख्या कम है। जैसा भी हो, प्रत्येक नौकरी को हासिल करने की एक परिभाषित प्रक्रिया होती है, जिसमें निर्धारित परीक्षा और साक्षात्कार होता है। केवल उसके अनुसार ही पदों को भरा जाता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया में पूर्ण ईमानदारी से जनता में इस बात का विश्वास पैदा होता है कि जो लोग इन पदों के वास्तविक हकदार हैं, उन्हें ही इन पदों पर नियुक्त किया गया है।
शीर्ष अदालत राजस्थान हाईकोर्ट के मई के एक आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। हाईकोर्ट ने दो आरोपियों को जमानत दे दी थी, जिन पर सहायक अभियंता सिविल (स्वायत्त शासन विभाग) प्रतियोगी परीक्षा-2022 में नकल करने का आरोप था और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। एफआईआर में कहा गया था कि इनमें से एक ने अपने स्थान पर किसी दूसरे अभ्यर्थी से परीक्षा दिलाई थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि मामले पर कार्यवाही हो रही है और आरोपी संबंधित कोर्ट में जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं।
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