भर्ती परीक्षा में डमी उम्मीदवार बिठाने वाले आरोपियों की जमानत खारिज, कोर्ट ने की तल्ख टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भर्ती परीक्षा में डमी उम्मीदवार बिठाने वाले दो आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि ऐसे आरोपियों को जमानत देने से लोगों का प्रशासन और कार्यपालिका पर विश्वास कम हो सकता है। यह अपराध लोगों के मन में दरार डाल सकता है। 

Mar 10, 2025 - 16:37
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भर्ती परीक्षा में डमी उम्मीदवार बिठाने वाले आरोपियों की जमानत खारिज, कोर्ट ने की तल्ख टिप्पणी

नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भर्ती परीक्षा में डमी उम्मीदवार बिठाने वाले दो आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि ऐसे आरोपियों को जमानत देने से लोगों का प्रशासन और कार्यपालिका पर विश्वास कम हो सकता है। यह अपराध लोगों के मन में दरार डाल सकता है। 

जस्टिस संजय करोल और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया। पीठ ने कहा कि हम जानते हैं कि एक बार जमानत दिए जाने के बाद उसे सामान्य रूप से खारिज नहीं किया जाता है। हम इसका समर्थन भी करते हैं। लेकिन इस मामले में हमने जमानत को इसलिए खारिज किया है, क्योंकि आरोपियों के कृत्यों का समग्र प्रभाव समाज पर पड़ेगा। 

पीठ ने कहा कि हम जानते हैं कि देश में उपलब्ध नौकरियों की तुलना में सरकारी नौकरी लेने वालों की संख्या कहीं अधिक है। शीर्ष अदालत ने सात मार्च के अपने आदेश में आरोपी को दो सप्ताह में संबंधित अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि प्रत्येक नौकरी के लिए निर्धारित प्रवेश परीक्षा या साक्षात्कार प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक है। प्रक्रिया में पूरी ईमानदारी बरती जा रही है, जिससे लोगों में इस बात का विश्वास और भी बढ़ गया है कि जो लोग वास्तव में पदों के हकदार हैं, उन्हें ही इन पदों पर बिठाया गया है। आरोपियों का कृत्य लोगों के लोक प्रशासन और कार्यपालिका में विश्वास को कम कर सकता है। 

कोर्ट ने कहा कि आरोपियों ने अपने फायदे के लिए परीक्षा की शुचिता से समझौता करने की कोशिश की। निचली अदालत ने भी कहा है कि आरोपी जमानत के हकदार नहीं हैं। यह भी सच है कि हर व्यक्ति के निर्दोष होने की धारणा तब तक उसके पक्ष में काम करती है जब तक कि उन पर लगाया गया अपराध उचित संदेह से परे साबित न हो जाए। आरोपियों को मुकदमे का सामना करना चाहिए ताकि कानून यह तय कर सके कि वे निर्दोष थे।

सुप्रीम कोर्ट में जिस मामले की सुनवाई हुई, उसमें इंद्राज सिंह नामक व्यक्ति ने सहायक अभियंता सिविल (स्वायत्त शासन विभाग) प्रतियोगी परीक्षा 2022 की शुचिता से समझौता किया। परीक्षा में उसकी ओर से एक डमी उम्मीदवार शामिल हुआ। उसके उपस्थिति पत्रक के साथ छेड़छाड़ की गई थी और फर्जी उम्मीदवार की तस्वीर मूल प्रवेश पत्र पर चिपका दी गई थी।

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