भगवान के श्रीचरणों में मन लगाना है तो मन को सांसारिक मायाजाल से हटाना होगा: गिरीशानंद महाराज
महाराजश्री एवं आयोजकों ने एनयूजेआई के राष्ट्रीय सचिव डॉ. कमलकांत उपमन्यु को किया सम्मानित
मथुरा। प्रख्यात राष्ट्रसंत एवं अन्तर्राष्ट्रीय भागवत प्रवक्ता स्वामी गिरीशानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि जैसे जंग लगे लौहे को चुम्बक अपनी ओर नहीं खींच सकती वैसे ही हमारे मन में काम, क्रोध, मद, लोभ, ईर्ष्या, द्वेष के कारण भगवान, भजन और सत्संग की ओर मन नहीं लगता है। लोगों को व्यसन भरी चीजों से मन हटाकर के अच्छे कार्यों में जैसे राष्ट्र सेवा, गौसेवा, समाजसेवा, संत सेवा, सत्संग सेवा के साथ अच्छे कार्यों में लगाना चाहिए, तभी हम और हमारा देश दुनिया का सिरमौर होगा।
छटीकरा मार्ग स्थित श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आश्रम में चल रही भागवत कथा में अखंडानंद आश्रम के प्रमुख राष्ट्रसंत गिरीशानंद महाराज ने भक्त प्रहलाद-हिरण्यकश्यप प्रसंग को मार्मिक, धार्मिक व सामाजिक दृष्टि से उपस्थित श्रोताओं को समझाया। महाराज जी के मुखारबिंद से कथा का प्रसंग सुन कई बार लोग आंखों में आंसू लिए गमगीन हुए तथा अनेक बार आधुनिक परिवारों के प्रसंगों को जोडकर विनोद का माहौल भी पैदा हुआ। इस अवसर पर एनयूजेआई के राष्ट्रीय सचिव व ब्रज प्रेस क्लब के अध्यक्ष डॉ. कमलकांत उपमन्यु एडवोकेट को महाराजश्री व आयोजकों ने स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर अध्यक्ष श्री कमलकांत उपमन्यु ने भागवत की आरती उतारी। इस अवसर पर उमाशक्ति पीठ के राष्ट्रीय प्रवक्ता आरएन द्विवेदी, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आश्रम के चेयरमैन संजीव टेकरीवाल, आयोजक सुशील मुरारका, चित्रांग मुरारका, विवके प्रिय आर्य, शक्ति राणा, रामप्रसाद सिंह आदि उपस्थित रहे।
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