'बेंगलुरु अधिवक्ता संघ में सृजित किया जाए उपाध्यक्ष का अतिरिक्त पद', सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में किया संशोधन

कोर्ट ने पहले आदेश दिया था कि अधिवक्ता संघ में कोषाध्यक्ष का पद महिला उम्मीदवार के लिए आरक्षित होगा। मगर तब तक तमाम पुरुष अधिवक्ता इस पद के लिए नामांकन कर चुके थे। कोर्ट के आदेश को लेकर अधिवक्ता संघ के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन किए थे। कोर्ट ने अपने 24 जनवरी के आदेश में संशोधन करते हुए कहा कि अधिवक्ता संघ में उपाध्यक्ष का अतिरिक्त पद सृजित किया जाए। 

Jan 28, 2025 - 15:00
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'बेंगलुरु अधिवक्ता संघ में सृजित किया जाए उपाध्यक्ष का अतिरिक्त पद', सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में किया संशोधन

नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर बंगलूरू अधिवक्ता संघ चुनाव को लेकर आदेश जारी किया है। कोर्ट ने अपने 24 जनवरी के आदेश में संशोधन करते हुए कहा कि अधिवक्ता संघ में उपाध्यक्ष का अतिरिक्त पद सृजित किया जाए।  कोर्ट ने पहले आदेश दिया था कि अधिवक्ता संघ में कोषाध्यक्ष का पद महिला उम्मीदवार के लिए आरक्षित होगा। मगर तब तक तमाम पुरुष अधिवक्ता इस पद के लिए नामांकन कर चुके थे। कोर्ट के आदेश को लेकर अधिवक्ता संघ के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन किए थे।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिस्वर सिंह की पीठ ने नया पद सृजित करने के लिए एसोसिएशन के वकीलों की ओर से दायर आवेदनों पर आदेश पारित किया। पीठ ने अब एडवोकेट एसोसिएशन ऑफ बेंगलूरू (एएबी) को बार निकाय में उपाध्यक्ष का एक अतिरिक्त पद बनाने की अनुमति दी। साथ ही कोषाध्यक्ष पद के लिए नामांकन करने वाले वकीलों को चुनाव लड़ने का अवसर दिया। इसके अलावा कोर्ट ने गवर्निंग काउंसिल में पद सृजित करने की भी अनुमति दी। 

कोर्ट ने कहा कि नामांकन एक सप्ताह के भीतर दाखिल किए जाएंगे। जबकि चुनाव तीन सप्ताह में होंगे। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि नियमों में किसी विशेष पद के लिए कोई पात्रता मानदंड का उल्लेख किया गया है, तो उसका सख्ती से पालन किया जाएगा।  इससे पहले कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए बंगलूरू अधिवक्ता संघ में कोषाध्यक्ष का पद महिला वकील के लिए होगा आरक्षित करने का आदेश दिया था। बंगलूरू अधिवक्ता संघ का चुनाव दो फरवरी को होना है, मगर कोर्ट के आदेश से पहले नामांकन प्रक्रिया पूरी हो गई थी।

24 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए निर्देश देते हैं कि कोषाध्यक्ष का पद महिला उम्मीदवारों के लिए आरक्षित किया जाए। अदालत ने कहा कि वकीलों के विभिन्न निकायों में महिलाओं को आरक्षण प्रदान करने का यह सही समय है। क्योंकि एसोसिएशन की महिला उम्मीदवारों के लिए सीटें निर्धारित करने के लिए कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है।

खंडपीठ ने चुनाव करा रही उच्च अधिकार समिति और मुख्य चुनाव अधिकारी को निर्देश दिया कि अगर जरूरी हो तो वह नामांकन प्राप्त करने की तारीख आगे बढ़ा सकते हैं और कुछ दिन के लिए चुनाव स्थगित कर सकते हैं। यह निर्णय समिति और मुख्य चुनाव अधिकारी के विवेक पर आधारित होगा। 

शीर्ष अदालत ने आदेश दिया था कि समिति और चुनाव अधिकारी को यह तय करना चाहिए कि बंगलूरू अधिवक्ता संघ की शासी परिषद में 30 फीसदी सदस्य ऐसी महिला उम्मीदवार होनी चाहिए, जिनको 10 साल का कार्य अनुभव है। शीर्ष अदालत ने एक महिला वकील की याचिका पर सुनवाई की। इसमें मांग की गई थी कि दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की तरह महिला आरक्षण लागू किया जाए। 


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