बुजुर्गों के लिए ज्यादा घातक साबित हो रही भीषण गर्मी

अध्ययन से पता चला है कि 2050 तक और 24.6 करोड़ बुजुर्गों को जानलेवा गर्मी का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। सबसे ज्यादा प्रभावित एशिया और अफ्रीका में रहने वाले बुजुर्ग होंगे।

Jun 21, 2024 - 07:40
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बुजुर्गों के लिए ज्यादा घातक साबित हो रही भीषण गर्मी

नई दिल्ली (आरएनआई) वैश्विक स्तर पर बढ़ता तापमान बुजुर्गों के लिए ज्यादा घातक होता जा रहा है। अध्ययन से पता चला है कि 2050 तक और 24.6 करोड़ बुजुर्गों को जानलेवा गर्मी का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। सबसे ज्यादा प्रभावित एशिया और अफ्रीका में रहने वाले बुजुर्ग होंगे।

इस शोध अध्ययन में यूरो मेडिटेरेनियन सेंटर ऑन क्लाइमेट चेंज, इटली और बॉस्टन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने दुनियाभर में विभिन्न आयु वर्ग के लोगों के अत्यधिक उच्च तापमान के संपर्क में आने के रुझानों का विश्लेषण किया है। इसके नतीजे अंतरराष्ट्रीय जर्नल नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित हुए हैं। इसके निष्कर्ष दर्शाते हैं कि 2050 तक 69 वर्ष या उससे अधिक आयु की 23 फीसदी आबादी ऐसे क्षेत्रों में होगी, जहां तापमान 39.5 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक होगा।

2050 तक दुनिया में 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के बुजुर्गों की आबादी बढ़कर दोगुनी हो होकर 210 करोड़ तक पहुंच जाएगी। इनमें दो-तिहाई से ज्यादा लोग निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रह रहे होंगे। यह क्षेत्र विशेष रूप से जलवायु में आ रहे बदलावों और चरम मौसमी घटनाओं के प्रति भी विशेष रूप से संवेदनशील हैं।

भीषण गर्मी, लू की घटनाओं का बार-बार घटना और इसकी अवधि में इजाफा होना लोगों के स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है। उम्र बढ़ने के साथ शरीर कमजोर होता जाता है। ऐसे में शरीर के लिए अपने तापमान को नियंत्रित करना कठिन हो जाता है। इसकी वजह से गर्मी, सर्दी जैसे मौसमी बदलावों को सहने की क्षमता कम होती जाती है।

2050 भारत में 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों की हिस्सेदारी बढ़कर 20.8 फीसदी (करीब 34.7 करोड़) हो जाएगी। सदी के अंत तक यह बढ़कर 36 फीसदी तक पहुंच जाएगी। 2022 में देश की कुल आबादी में बुजुर्गों की हिस्सेदारी साढ़े 10 फीसदी (14.9 करोड़ ) थी। देश में तेजी से बुजुर्ग होती यह आबादी जलवायु में आ रहे बदलावों के प्रति बेहद संवेदनशील है। भारत में जहां 2020 में 5.2 करोड़ बुजुर्ग भीषण गर्मी की चपेट में थे, वहीं 2050 तक यह आंकड़ा 14.2 करोड़ पर पहुंच सकता है।

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