बाबा ने नहीं दिया एसआईटी के नोटिस का कोई जवाब, रिपोर्ट पर भी खड़े हुए कई सवाल
हाथरस हादसे की जांच कर रही एसआईटी ने भोले बाबा उर्फ सूरज पाल को नोटिस भेजकर बयान दर्ज कराने के लिए कहा था, लेकिन न तो उन्होंने नोटिस का कोई जवाब दिया और न अपना बयान दर्ज कराया।
अलीगढ़ (आरएनआई) हाथरस हादसे की जांच कर रही एसआईटी ने भोले बाबा उर्फ सूरज पाल को नोटिस भेजकर बयान दर्ज कराने के लिए कहा था, लेकिन न तो उन्होंने नोटिस का कोई जवाब दिया और न अपना बयान दर्ज कराया। इसे अनौपचारिक बातचीत में एसआईटी में शामिल अधिकारियों ने स्वीकार किया है। एसआईटी ने 132 लोगों की सूची तैयार की थी। इनमें बाबा का नाम भी शामिल था। डीएम व एसपी के जरिये नोटिस देकर सूचना भिजवाई गई थी। हालांकि उनके अधिवक्ता एपी सिंह जरूर पहुंचे और कहा कि बाबा को जब चाहें, तब बुलाएं। ब्यूरो
हाथरस हादसे के मूल कारणों और लापरवाहियों को उजागर करते हुए एसआईटी ने रिपोर्ट शासन को भेज दी। शासन ने भी इस रिपोर्ट का संज्ञान लेते आधा दर्जन अधिकारियों व कर्मचारियों को निलंबित कर दिए। मगर, सवाल है कि क्या सिर्फ लापरवाही इन छोटे अधिकारियों और कर्मचारियों की ही थी। या फिर एसआईटी में वरिष्ठों को बचाने का प्रयास किया गया है, जबकि सच तो ये भी है कि निचले स्तर से एक-एक बात पत्राचार के तौर पर और मौखिक तौर पर वरिष्ठों को बताई गई। मगर, उनके स्तर से कोई संज्ञान नहीं लिया गया।
घटनाक्रम की शुरुआत पर गौर करें तो मुख्य आयोजक देवप्रकाश मधुकर ने 18 जून को एसडीएम के समक्ष सत्संग की अनुमति के लिए आवेदन किया था। जिस पर एसडीएम ने संबंधित विभागों से रिपोर्ट लेने के बाद अनुमति जारी की। 29 जून को इंस्पेक्टर सिकंदराराऊ ने पुलिस के बड़े अफसरों को पत्र लिखा जिसमें साफ बताया था कि एक लाख लोगों की भीड़ जुट सकती है। एसपी से होते हुए यह पत्र एएसपी तक पहुंचा। अपर पुलिस अधीक्षक ने यहां 69 पुलिस कर्मियों की तैनाती कर दी। अब जरा सोचिए कि एक पत्र पुलिस के बड़े अफसरों के पास से होते होते थाने तक आ गया लेकिन कोई यह सवाल नहीं खड़ा कर सका कि फोर्स कम लग रही है। वहीं फायर ब्रिगेड भी कम से कम पांच से छह लगाई जानी चाहिए थीं लेकिन लगी एक।
सुबह से ही सिकंदराराऊ में भीड़ जुटने लगी थी। 11 बजे तक एक लाख तक की भीड़ थी। मगर फिर भी कोई बड़ा अफसर यहां नहीं आया। ऐसा भी नहीं था कि हाथरस में दूसरा कोई बड़ा कार्यक्रम हो रहा हो। जबकि एलआईयू स्तर से भी एक लाख से अधिक भीड़ का अनुमान लगाकर रिपोर्ट दी गई। बाद में भी एलआईयू के लोग भीड़ को लेकर अपडेट करते रहे मगर अधिकारियों की नींद फिर भी नहीं टूटी। इतना ही नहीं, ये बात एसआईटी के समक्ष भी रखी गई कि आयोजन वाले दिन थाना स्तर से लेकर जिला स्तर तक पर सूचना दी जाती रही कि भारी भीड़ जुट रही है। नौ बजे सबसे ज्यादा जोर देकर खबर दी गई। जब जिला स्तर से फोर्स या इंतजाम की खबर नहीं मिली तो फिर थाने की सभी चौकियों का स्टाफ यहां लगा दिया गया। फिर 11 बजे भी थाना स्तर से सूचना दी गई कि भीड़ काफी अधिक है। आयोजन के सेवादार या अन्य लोग पुलिस को अंदर नहीं घुसने दे रहे हैं। हालात काबू से बाहर हैं। बावजूद इसके किसी वरिष्ठ अधिकारी ने जिले से चलकर तहसील मुख्यालय पर आना उचित नहीं समझा और मजिस्ट्रेट ने भी मौके पर जाना उचित नहीं समझा।
इंस्पेक्टर ने पुलिस के आला अफसरों को पत्र लिखकर एक लाख की भीड़ जुटने की सूचना देकर फोर्स लगाने की मांग की थी।
इंस्पेक्टर का यह पत्र पुलिस के आला अफसरों से लेकर थाने तक पहुंचा मगर तैनाती की गई 69 पुलिस कर्मियों की।
फायर ब्रिगेड पर पत्र पहुंचा तो वहां से भी केवल एक गाड़ी भेजी गई।
500 बसें और 1500 से ज्यादा छोटे वाहन थे, हाईवे जाम था फिर भी ट्रैफिक पुलिस के 4 लोग लगाए गए।
किसी डॉक्टर की तैनाती भी मौके पर नहीं की गई।
एलआईयू की रिपोर्ट को भी अनदेखा किया गया।
केवल दो एंबुलेंस मौके पर तैनात की गईं थीं।
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