बांग्लादेश से नकली नोट लाकर भारत में कर रहा था तस्करी, एनआईए की अदालत ने सुनाई छह साल के कारावास की सजा
आरोपी सरीफुल ने छह अन्य लोगों के साथ मिलकर बांग्लादेश सीमा से भारत के विभिन्न हिस्सों में 82,000 रुपये मूल्य के 41 जाली भारतीय मुद्रा नोटों की तस्करी की साजिश रची थी। उसने पश्चिम बंगाल से नकली नोट लाने और देशभर में उनको चलाने का काम किया।
बेंगलुरु (आरएनआई) बांग्लादेश से लाकर भारत में नकली नोटों की तस्करी के मामले में एनआईए बेंगलुरु की अदालत एक आरोपी को छह साल की सजा सुनाई। अदालत ने पश्चिम बंगाल निवासी आरोपी सरीफुल इस्लाम पर पांच हजार रुपये जुर्माना भी लगाया। एनआईए अधिकारियों के मुताबिक 2018 के नकली नोटों के मामले में अदालत ने सातवें आरोपी को सजा सुनाई है।
एनआईए बताया है कि आरोपी सरीफुल ने छह अन्य लोगों के साथ मिलकर बांग्लादेश सीमा से भारत के विभिन्न हिस्सों में 82,000 रुपये मूल्य के 41 जाली भारतीय मुद्रा नोटों की तस्करी की साजिश रची थी। उसने पश्चिम बंगाल से नकली नोट लाने और देशभर में उनको चलाने का काम किया। उसने सह-आरोपियों से बात करने के लिए धोखे से एक सिम कार्ड हासिल किया था। जांच में आरोपियों की ओर से कई ऐसे लेन-देन का पता चला है। उन्होंने पहले पश्चिम बंगाल में मुख्य दोषी दलिम मिया को 10.3 लाख रुपये के फर्जी नोट दिए थे। साजिश का उद्देश्य भारतीय मुद्रा की स्थिति और आर्थिक सुरक्षा को अस्थिर करना था। एनआईए ने अब तक इस मामले में दो आरोपपत्र दाखिल किए हैं। दो बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ जांच चल रही है।
इससे पहले एनआईए ने इससे पहले दिसंबर 2019 में तीन आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था। इसके बाद मई 2020 में एक और आरोपी के खिलाफ पहला पूरक आरोप पत्र दायर किया गया था। 2018 में असम पुलिस ने आरोपी मतलेब अली, अमीर हमजा और दिलबर हुसैन को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद उनके कब्जे से 1,84,000 रुपये के नकली नोट भी जब्त किए गए थे। इन लोगों की गिरफ्तारी के बाद यह मामला प्रकाश में आया और फिर अक्टूबर 2019 में एनआईए ने मामले को अपने हाथ में ले लिया था। एनआईए की जांच के अनुसार, तीनों को सुदीप और सरीफुल ने नोट बाजार में चलाने के लिए दिए थे।
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