बांग्लादेश में साधु-संतों पर हो रहे हमले को लेकर परेशान इस्कॉन
इस्कॉन के प्रवक्ता राधारमण दास ने कहा कि बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी इस्कॉन के साधुओं और भक्तों के साथ-साथ हिंदुओं सहित अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों के लगातार हमलों और उत्पीड़न का ताजा उदाहरण है।
कोलकाता (आरएनआई) बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के प्रमुख चेहरे और इस्कॉन मंदिर से जुड़े चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी तेज हो गई है। उनके जेल जाने की खबरों के बाद से लगातार हंगामा जारी है। भारत के पड़ोसी मुल्क में इस समय हिंदू समुदाय के खिलाफ लगातार हमले हो रहे हैं। इस्कॉन मंदिर और उनके अनुयायी निशाने पर हैं। इस बीच, कोलकाता में स्थित इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) ने केंद्र को अपने साधुओं और हिंदू वैष्णव धार्मिक व्यवस्था के अन्य सदस्यों पर हो रहे हमले से अवगत कराया।
उन्होंने कहा, 'इस्कॉन और रामकृष्ण मिशन जैसे अन्य हिंदू धार्मिक आदेशों के खिलाफ इस्लामवादियों द्वारा गिरफ्तारी और बढ़ती धमकियां पिछले तीन महीनों से चल रही थीं और दास की गिरफ्तारी अब तक का अंतिम उदाहरण है। हालात चिंताजनक हैं और हमने विदेश मंत्रालय और केंद्रीय गृह मंत्रालय से इस तरह के हमलों से लोगों के जीवन और संपत्ति को बचाने तथा सुरक्षित करने के लिए उचित कदम उठाने का आग्रह किया है।
इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष दास ने कहा, 'हमने केंद्र से बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाने का आग्रह किया है ताकि ऐसी घटनाएं रुक सकें।' उन्होंने कहा कि इस्कॉन यह भी चाहता है कि संयुक्त राष्ट्र स्थिति का संज्ञान ले और चिन्मय कृष्ण दास की तत्काल रिहाई के लिए जो भी आवश्यक हो, वह करे।
उन्होंने आगे कहा, 'हाल के दिनों में बांग्लादेश में कई स्थानों पर हमारे साधुओं को कुछ इस्लामी तत्वों द्वारा अपहरण किए जाने तथा जान से मारने की धमकी दी जा रही थी, लेकिन वहां के अधिकारियों ने बताए जाने के बावजूद हमारी चिंताओं को दूर करने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए।
बांग्लादेश पुलिस ने सोमवार को हिंदू समूह सम्मिलिता सनातनी जोट के नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा क्षेत्र से चट्टोग्राम जाते समय गिरफ्तार किया। बांग्लादेश की एक अदालत ने देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को जमानत देने से मंगलवार को इनकार कर दिया और उन्हें जेल भेज दिया।
हिंसा की यह घटनाएं इस साल पांच अगस्त के तख्ता पलट के बाद शुरू हुईं। जब प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार गिर गई और वह भारत चली गईं। इस राजनीतिक अस्थिरता के दौरान कट्टरपंथी इस्लामी समूहों ने इस्कॉन को निशाना बनाना शुरू कर दिया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश में इस समय करीब 40,000 मंदिर हैं और इनमें से कई को कट्टरपंथी तत्वों द्वारा हमले का सामना करना पड़ रहा है।
बांग्लादेश में कट्टरपंथी इस्लामी समूहों द्वारा इस्कॉन के खिलाफ चलाए जा रहे ऑनलाइन अभियानों के तहत #BanISKCON और #ISKCONisTerrorist जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे हैं। इन समूहों का आरोप है कि इस्कॉन देश की सांप्रदायिक शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है। खुलना डिवीजन में एक इस्कॉन मंदिर पर हमले के बाद, कट्टरपंथियों ने इसके खिलाफ हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है।
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