बदला कोरोना का टीका, ओमिक्रॉन वैरिएंट से भी बचाएगा
पुणे स्थित सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने हाल ही में इस नए अपडेट टीके को भारत में बिक्री और वितरण की अनुमति मांगी थी। साथ ही कंपनी ने अमेरिका में चल रहे नैदानिक परीक्षण और प्रीक्लिनिकल अध्ययन की रिपोर्ट भी साझा की, जिसके आधार पर समिति ने निर्णय लिया।
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नई दिल्ली (आरएनआई) नए फॉर्मूले पर बने कोरोना रोधी टीके को भारत में आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति देने का प्रस्ताव मंजूर कर लिया गया है। यह पहला ऐसा टीका है जो कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन और एक्सबीबी स्वरूप से बचाव करने में सक्षम है। बीते सप्ताह केंद्र सरकार की विशेषज्ञ कार्य समिति (एसईसी) ने कुछ शर्तों के साथ एडजुवेंटेड 2023-2024 फॉर्मूले पर आधारित इस टीके को अनुमति देने की सिफारिश की है।
पुणे स्थित एसआईआई ने हाल ही में इस नए अपडेट टीके को भारत में बिक्री और वितरण की अनुमति मांगी थी। साथ ही कंपनी ने अमेरिका में चल रहे नैदानिक परीक्षण और प्रीक्लिनिकल अध्ययन की रिपोर्ट भी साझा की, जिसके आधार पर समिति ने निर्णय लिया। दरअसल कुछ समय पहले अमेरिकी कंपनी नोवा वैक्स के कोरोना टीके को भारत में आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति मिली। इसका उत्पादन भारत में एसआईआई ने किया और पूरी दुनिया में करीब 200 करोड़ खुराक उपलब्ध कराईं। अब इसी नोवा वैक्स टीका को नए फॉर्मूला के जरिए अपडेट किया है जो कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन और एक्सबीबी.1.5 स्वरूप से बचाव में असरदार है। नोवावैक्स के अलावा भारत में एस्ट्राजेनेका कंपनी का कोविशील्ड टीका उपलब्ध कराने का अधिकार सीरम कंपनी के पास है जो इस समय काफी चर्चाओं में है।
विशेषज्ञ कार्य समिति के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि टीके को लेकर अंतिम फैसला केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन के जरिये होगा। फिलहाल कंपनी से देश में चौथे चरण का अध्ययन कराने के लिए कहा है जिसकी रिपोर्ट तीन माह के भीतर समिति के आगे पेश करनी होगी। बूस्टर यानी एहतियाती खुराक के लिए इस टीका का इस्तेमाल 18 वर्ष या उससे अधिक आयु की आबादी में किया जा सकता है। समिति ने यह भी शर्त रखी है कि जो स्वास्थ्य कर्मचारी यह टीका लगाने वाले हैं उन्हें फैक्टशीट और मार्गदर्शन मिलना बहुत जरूरी है।
सीरम ने अपने प्रस्ताव में प्रीक्लीनिकल अध्ययन का डाटा भी साझा किया है। इसकी समीक्षा में समिति ने पाया कि कोरोना के बीए.2, बीए.5 और एक्सबीबी.1.5 सहित ओमीक्रॉन वेरिएंट को लेकर चूहों और बंदरों पर परीक्षण किया गया। इनमें सामान्य खुराक के साथ-साथ बूस्टर यानी एहतियाती खुराक का परीक्षण भी शामिल है। इस अध्ययन में एक्सबीबी.1.5 स्वरूप के खिलाफ पर्याप्त एंटीबॉडी विकसित होना पाया गया। साथ ही बंदरों में कोरोना के साल 2023 में सामने आए जेएन 1 वेरिएंट को लेकर भी परीक्षण किया गया। इस दौरान ओमिक्रॉन और उसके वंश से जुड़े उप स्वरूपों पर यह टीका असरदार मिला है।
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