बजट हमे हमारा अतीत और इतिहास की रोचक जानकारी उपलब्ध कराता है -राजकुमार अश्क
बजट से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी और उसका इतिहास
क्या होता है हलवा रस्म?
जिस प्रकार हम अपने घरों का बजट बनाते हैं कि किस मद में कितना खर्च करना है.आय व्यय का लेखाजोखा रखते हैं उसी प्रकार सरकार भी अपने आय व्यय का लेखाजोखा रखतीं है जिसे बजट के नाम से जाना जाता है.
आइए इसके इतिहास तथा इससे जुडी रोचक बातों को जानते हैं.
बजट शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के बुल्गा
से हुई है जिसका अर्थ होता है" चमड़े का थैला "इसके बाद फ्रांस की भाषा बोऊगेट बना. इसके बाद थोडे़ से संसोधन के बाद यह बोगेट बना जो वर्तमान में बोगेट से बजट बना है. भारत में बजट की शुरुआत एक अंग्रेज ने की थी.इस्ट इण्डिया कम्पनी के वित्त मंत्री जेम्स विल्सन ने 7 अप्रैल 1860 को पहला बजट पेश किया था.
आजादी के बाद भारत में पहला बजट तत्कालीन वित्त मंत्री आर. के. षणमुखम चेट्टी ने 26 नवम्बर 1947 को पेश किया था. गणतंत्र भारत का पहला बजट 28 फरवरी 1950 को जान मथाई ने पेश किया था.
अंतरिम शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम चेट्टी ने 1948-49 के बजट में किया था.
बजट की छपाई का भी अपना एक अलग ही इतिहास है पहले इसकी छपाई राष्ट्रपति भवन में ही की जाती थी. लेकिन 1950 में पेपर लीक हो जाने के बाद इसे दिल्ली के मिन्टो रोड सिक्योरिटी प्रेस में छापा जाने लगा.1980 में बजट पेपर नार्थ ब्लॉक से छपने लगा.
*बजट की छपाई और हलवा खाने की रस्म*:- बजट की छपाई से पूर्व एक विशिष्ट रस्म निभाई जाती है हलवा खाने की. इस रस्म को निभाने के पीछे शायद यह सोच भी रहती होगी कि जिस प्रकार किसी नये काम को करने से पहले मीठा खाने को शुभ माना जाता है उसी प्रकार बजट भी सरकार के लिए पुरे वर्ष का आय व्यय का लेखाजोखा होता है जो सरकार के लिए भी शुभ हो शायद इसी कारण हलवा खाने की रस्म निभाई जाती है. हलवा खाने की इस रस्म के बाद वित्त मंत्रालय से सम्बन्धित अधिकारी किसी के सम्पर्क नहीं रहतें है. यहाँ तक की वे अपने परिवार से भी दूर रहते हैं और उनके रहने खाने पीने की पुरी व्यवस्था वही रहती हैं. गोपनीयता की दृष्टि से नार्थ ब्लॉक में मोबाइल को निष्क्रिय करने के जैमर लगा रहता है.
सन् 1958-59 का वार्षिक बजट तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने पेश किया था क्योंकि उस समय वित्त मंत्री का अतिरिक्त कार्यभार भी उनके पास ही था.इस प्रकार वे प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए बजट पेश करने वाले पहले प्रधानमंत्री बने. उसके बाद इन्दिरा गांधी ने प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए सन् 1970 में बजट पेश किया था. इसके साथ ही वे भारत की पहली महिला वित्त मंत्री थी. जिन्होंने आम बजट पेश किया था.
बजट पेश करने का एक और रोचक बात यह है कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने सर्वाधिक दस बार बजट पेश किया था,6 बार वित्त मंत्री और 4 बार उप प्रधानमंत्री रहते हुए. अपने जन्म दिन पर बजट पेश करने वाले वे एकमात्र वित्त मंत्री रहे. चूकि बजट पेश करने का समय फरवरी माह का अंतिम दिन होता था और मोरारजी देसाई का जन्म 29 फरवरी को हुआ था जो चार साल में एक बार आता है, जिस कारण उन्हें अपने जन्म दिन पर बजट पेश करना पड़ता था. इसके बाद पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने 7 बार बजट पेश कर चुके हैं.
सन् 2000 से पहले बजट पेश करने का समय शाम 5 बजे हुआ करता था जो अंग्रेजों के समय से चला आ रहा था जिसकों तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार ने इस परम्परा को बदल दिया और सुबह 11 बजे कर दिया. पहली बार सुबह 11 बजे बजट पेश तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने किया था.सन् 2017 से पहले बजट फरवरी माह के अंतिम कामकाजी दिन में पेश किया जाता था, 2017 से इसे 1 फरवरी को या फरवरी माह के पहले कामकाजी दिन को पेश किया जाने लगा.सरकार ने एक और प्रयोग किया, पहले आम बजट और रेल बजट दोनों को अलग अलग पेश किया जाता था जबकि सरकार ने दोनों को एक साथ समायोजित कर दिया.तब से लेकर आज तक यह परम्परा चली आ रही है.
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