बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला: आप भ्रष्ट व्यक्ति..,पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
ईडी की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से पूछा, आखिर पार्थ को कब तक हिरासत में रखा जाना चाहिए। अगर चटर्जी को इस केस में जमानत मिल भी जाती है, तो वह जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे, क्योंकि उन पर सीबीआई के भी मामले चल रहे हैं।
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नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल स्कूल शिक्षक भर्ती घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूर्व मंत्री व तृणमूल कांग्रेस के नेता पार्थ चटर्जी से कहा कि पहली नजर में आप एक भ्रष्ट व्यक्ति हैं। आप समानता का दावा करने के हकदार नहीं हैं। इस टिप्पणी के साथ ही शीर्ष अदालत ने पार्थ की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ के समक्ष पार्थ चटर्जी के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा, उनके मुवक्किल को छोड़कर अन्य सभी सह-आरोपियों को जमानत मिल गई है। इस पर पीठ ने कहा, हर कोई मंत्री नहीं होता। आपके मुवक्किल मंत्री थे और उनके परिसरों से करोड़ों रुपये मिले हैं। आप चाहते हैं कि हम समाज को यह संदेश दें कि भ्रष्ट व्यक्ति को ऐसे जमानत मिल जाती है? आप दूसरों के साथ बराबरी की बात नहीं कर सकते। पीठ ने रोहतगी से कहा, आप जांच में देरी और अभियोजन पक्ष की भूमिका पर सवाल उठा सकते हैं, लेकिन मामले की योग्यता पर नहीं। हालांकि, पार्थ के वकील ने कहा कि जमानत पर शर्तें लगाई जा सकती हैं।
पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से पूछा, आखिर पार्थ को कब तक हिरासत में रखा जाना चाहिए। राजू ने कहा, अगर चटर्जी को इस केस में जमानत मिल भी जाती है, तो वह जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे, क्योंकि उन पर सीबीआई के भी मामले चल रहे हैं। रोहतगी ने राजू के बयान पर आपत्ति जताई। जस्टिस सूर्यकांत ने राजू से पूछा, जांच पूरी करने के लिए कितना समय चाहिए, क्योंकि कोर्ट को अधिकारों के बीच संतुलन बनाना होता है।
पीठ ने कहा, पार्थ को लंबे समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता। पर, यह भी जांचना होगा कि अगर जमानत दी, तो जांच कैसे प्रभावित होगी। इसी आधार पर शर्तें लगानी होंगी। रोहतगी ने कहा, उनके मुवक्किल 70 साल के हैं। अदालती कार्यवाही के दौरान वह बेहोश हो गए थे। कुछ शर्तें लगा सकते हैं, जैसे कि वे इलाके में प्रवेश नहीं करेंगे या कहीं और रहेंगे। शीर्ष कोर्ट ने एक अन्य मामले में भाजपा नेता कबीर बोस के खिलाफ जांच सीबीआई को सौंपी, कहा-बंगाल में सियासी माहौल निष्पक्ष जांच के लिए अनुकूल नहीं हो सकता।
सुनवाई के दौरान रोहतगी ने कहा कि पैसा उनके मुवक्किल से नहीं, बल्कि एक कंपनी के परिसर से बरामद किया था। पीठ ने इस दावे को नकारते हुए कहा, पार्थ के पास कंपनी का वास्तविक नियंत्रण था। संपत्तियां उनके व अर्पिता मुखर्जी के संयुक्त नाम से खरीदी गई थीं। मंत्री बनने के बाद आपने फर्जी लोग रखे। मामले 2022 के हैं। आप मंत्री थे, जाहिर है कि आप अपने खिलाफ जांच का आदेश नहीं देने जा रहे हैं। न्यायिक दखल से ही जांच शुरू हुई। आरोप है कि 28 करोड़ रुपये बरामद हुए। निश्चित रूप से इतनी बड़ी रकम घर में नहीं रखी गई होगी।
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