बंगाल रेल हादसे का असर, मध्य पूर्व रेलवे ने नियमों में किया बदलाव, ड्राइवरों को दी हिदायत
मध्य पूर्व रेलवे द्वारा 21 जून को जारी आदेश के अनुसार, टी/ए 912 पत्र जारी करने पर रोक लगाने का फैसला मध्य पूर्व रेलवे की सुरक्षा बैठक में लिया गया।
नई दिल्ली (आरएनआई) कंचनजंघा एक्सप्रेस हादसे से सबक लेते हुए मध्य पूर्व रेलवे (ईसीआर) ने अपने क्षेत्र के स्टेशन मास्टरों को निर्देश दिया है कि वे स्वचालित सिग्नल सिस्टम में खराबी की स्थिति में ट्रेन ड्राइवरों को सिग्नल पार करने का अधिकार देने वाला फॉर्म टी/ए 912 जारी न करें। कंचनजंगा एक्सप्रेस-मालगाड़ी की टक्कर में 10 लोगों की मौत के कुछ दिनों बाद ही यह निर्देश जारी किया गया है।
मध्य पूर्व रेलवे द्वारा 21 जून को जारी आदेश के अनुसार, टी/ए 912 पत्र जारी करने पर रोक लगाने का फैसला मध्य पूर्व रेलवे की सुरक्षा बैठक में लिया गया। ईसीआर ने कहा, 'मध्य पूर्व रेलवे के महाप्रबंधक द्वारा प्रधान विभागाध्यक्ष और डीआरएम (मंडल रेल प्रबंधक) के साथ की गई सुरक्षा बैठक में यह फैसला लिया गया है कि स्वचालित सिग्नल की खराबी के दौरान टी/ए 912 को अगली सलाह तक जारी नहीं किया जाएगा।'
मध्य पूर्व रेलवे जोन के आदेश में कहा गया है कि 'टी/ए 912 के स्थान पर अब दोहरी लाइन के लिए अगले आदेश तक जीएंडएसआर 9.02 का नोट जारी किया जाएगा। जीएंडएसआर 9.02 के अनुसार, स्वचालित सिग्नल सिस्टम की खराबी की स्थिति में ट्रेन चालक प्रत्येक लाल सिग्नल पर दिन के समय एक मिनट और रात में दो मिनट के लिए रुकेंगे, और फिर जब आगे का दृश्य स्पष्ट हो तो 15 किमी प्रति घंटे की गति से आगे बढ़ेंगे। अगर अगले सिग्नल तक किसी भी वजह से आगे का दृश्य बाधित है तो फिर ट्रेन चालक 10 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से आगे बढ़ेंगे। गौरतलब है कि इससे पहले, पूर्वी रेलवे जोन ने भी 19 जून को इसी तरह का आदेश देकर रेल अधिकारियों को टी/ए 912 फॉर्म जारी करने पर रोक लगा दी थी। हालांकि अगले ही दिन उसने आदेश वापस ले लिया।
17 जून को पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में मालगाड़ी ने यात्री ट्रेन कंजनजंघा एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मार दी। जहां हादसा हुआ वह पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे जोन के अंतर्गत आता है। जांच में पता चला है कि अधिकारियों ने मालगाड़ी और यात्री गाड़ी, दोनों ट्रेनों के ड्राइवरों को टी/ए 912 जारी किया गया था क्योंकि रानीपात्रा स्टेशन-चत्तर हाट जंक्शन पर स्वचालित सिग्नल प्रणाली खराब थी। रेलवे बोर्ड ने अपनी प्रारंभिक जांच के आधार पर कहा था कि जिस मालगाड़ी ने टक्कर मारी, उसकी गति बहुत अधिक थी, जबकि चालक यूनियनों ने दावा किया है कि नोट पर गति प्रतिबंध का उल्लेख नहीं है और उसके सदस्य की कोई गलती नहीं थी।
17 जून की दुर्घटना पर रेलवे बोर्ड ने कहा था कि मालगाड़ी के चालक को हर खराब सिग्नल पर एक मिनट रुकने के बाद 10 किमी प्रति घंटे की गति बनाए रखनी चाहिए थी, लेकिन भारतीय रेलवे लोको रनिंगमैन संगठन (आईआरएलआरओ) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय पांधी ने कहा था, 'टी/ए 912 फॉर्म, जीएंडएसआर 9.02 के प्रावधानों को निलंबित करने के लिए ही जारी किया गया, जो चालक को 10 किमी प्रति घंटे की गति बनाए रखने के लिए बाध्य करता है। टी/ए 912 तब जारी किया जाता है जब दो स्टेशनों के बीच सभी लाइनें खाली होती हैं और यह चालक को उस खंड में सामान्य लागू गति सीमा पर चलने के लिए अधिकृत करता है।' किसी भी ट्रेन की लागू सामान्य गति, जिसे बुक की गई गति भी कहा जाता है, 130 किमी प्रति घंटे तक होती है।
उन्होंने यह भी कहा कि विभिन्न रेलवे जोन और डिवीजनों में निर्देश जारी करना और उन्हें वापस लेना यह बताता है कि रेल मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को आपस में बैठकर तय करने की जरूरत है कि क्या नियम लागू किए जाने चाहिए और क्या नहीं।
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