फिर बाहर आया व्यापम का जिन्न! कांग्रेस ने मांगा शिवराज सिंह चौहान और जगदीश देवड़ा का इस्तीफा

Sep 25, 2024 - 12:18
Sep 25, 2024 - 12:19
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फिर बाहर आया व्यापम का जिन्न! कांग्रेस ने मांगा शिवराज सिंह चौहान और जगदीश देवड़ा का इस्तीफा

भोपाल (आरएनआई) कांग्रेस ने व्यापम घोटाले को लेकर शिवराज सिंह चौहान और जगदीश देवड़ा का इस्तीफा मांगा है। केके मिश्रा ने कहा है कि परिवहन आरक्षक घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने 12 साल बाद 45 परिवहन आरक्षकों की नियुक्ति निरस्त की और सरकार ने भी आख़िरकार अवमानना के डर के बाद, चार दिन पहले अदालत के आदेशानुसार आरक्षकों की बर्खास्तगी के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने कहा कि ये बात कांग्रेस के उन आरोपों को बल दे रही है कि व्यापम की कोई भी परीक्षा बिना अनियमितता, घोटाले और भ्रष्टाचार के पूर्ण नहीं हुई है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के मीडिया सलाहकार केके मिश्रा ने इस मुद्दे पर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और तत्कालीन परिवहन मंत्री जगदीश देवड़ा के इस्तीफे की माँग की है। उन्होंने कहा कि अगर वे इस्तीफा नहीं देते हैं तो पीएम मोदी को वर्तमान में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान को और मुख्यमंत्री मोहन यादव वर्तमान में उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा को बर्खास्त करना चाहिए। इसी के साथ उन्होंने भूपेंद्र सिंह से सार्वजनिक माफी की माँग भी की है।

कांग्रेस ने व्यापम मु्द्दे पर सरकार को घेरा

केके मिश्रा ने कहा है कि सरकार ने कोर्ट में कहा था कि सभी नियुक्तियां विधिवत हैं, किसी तरह का भ्रष्टाचार या घोटाला नहीं हुआ है। उन्होंने सवाल किया कि ऐसा था तो अब ये नियुक्तियां निरस्त क्यों की गई है ? इसी के साथ उन्होंने और अरुण यादव ने तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और तत्कालीन परिवहन मंत्री जगदीश देवड़ा के इस्तीफे की माँग की है। केके मिश्रा ने कहा कि अगर वे दोनों इस्तीफा नहीं देते हैं तो भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की बात करने वाले पीएम मोदी वर्तमान में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान को और मुख्यमंत्री मोहन यादव वर्तमान में उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा को बर्खास्त करें। इसी के साथ भूपेंद्र सिंह जनता से माफी मांगें, जिन्होंने कांग्रेस के आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा था कि सारी परीक्षाएं पारदर्शिता और ईमानदारी से हुई हैं।

इस्तीफे की माँग 

पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के मीडिया सलाहकार केके मिश्रा ने व्यापम के माध्यम से हुई “परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा-2012” में हुई अनियमितता से संदर्भित एक विशेष अनुमति याचिका क्र.29239/2014 को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश दिनांक 29.8.23 और 20.4.24 के परिपालन में प्रदेश सरकार द्वारा अपने जारी आदेश के पत्र क्रमांक-1391 दिनांक 13.9.24 (संलग्न) के माध्यम से 12 सालों बाद अवैध तरीक़े से की गई 45 नियुक्तियों को निरस्त किए जाने पर सरकार को घेरा है। इसी के साथ उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और तत्कालीन परिवहन मंत्री व मौजूदा उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दिए जाने की मांग की है।

केके मिश्रा ने लगाए आरोप

केके मिश्रा ने कहा कि ‘शिवराज सरकार के दौरान विभिन्न श्रेणी के पदों हेतु भर्ती एवम् व्यावसायिक संस्थानों में प्रवेश के लिए कुल 168 परीक्षाएं आयोजित की गईं, जिसमें 1 लाख 47 हज़ार परीक्षार्थियों ने हिस्सा लिया था। शासकीय विभागों-उपक्रमों के अलावा लोक सेवा आयोग की परीक्षाएं इसमें शामिल नहीं थी। इन विभिन्न परीक्षाओं में हुए प्रामाणिक भ्रष्टाचार,घपलों, घोटालों को कांग्रेस पार्टी के मुख्य प्रवक्ता ने रूप में मैंने 21 जून,2014 को उजागर किया था,इसमें “परिवहन आरक्षक परीक्षा भर्ती घोटाला” भी शामिल था।’ उन्होंने कहा कि ‘उक्त परीक्षा में सरकार ने मई, 2012 को व्यापम के माध्यम से 198 परिवहन आरक्षकों की भर्ती की अधिसूचना समाचार पत्रों में प्रकाशित करवाई थी। उस समय कांग्रेस का आरोप था कि इसमें बिना किसी सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति बग़ैर स्वीकृत 198 आरक्षकों की भर्ती के विरुद्ध 332 आरक्षकों का चयन कर लिया गया, आरक्षण व महिला आरक्षकों के आरक्षण का पालन न करते हुए तत्कालीन परिवहन मंत्रालय ने तो बाक़ायदा चयनित परिवहन आरक्षकों को उनके फ़िज़िकल टेस्ट भी न कराए जाने बाबत एक सरकारी पत्र भी जारी किया ? जबकि नियमानुसार पुलिस भर्ती सेवाओं में ऐसे टेस्ट अनिवार्य हैं,यहां तक कि चयनित अभ्यर्थियों की मेरिट सूची तक परिवहन विभाग ने सार्वजनिक क्यों नहीं की,ऐसा क्यों हुआ?’

अरुण यादव ने उठाया था मामला

कांग्रेस ने कहा है कि, पूर्व केंद्रीय मंत्री और तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव व पार्टी के मुख्य प्रवक्ता के केके मिश्रा ने उस समय व्यापम महाघोटाले की सच्चाई सार्वजनिक होने तक विभिन्न जांच एजेंसियों एसटीएफ,एसआईटी और सीबीआई को अपने आरोपों से संदर्भित सभी दस्तावेज भी सौंपे थे। कांग्रेस का कहना है कि इन प्रामाणिक-गंभीर आरोपों से तिलमिलाई सरकार की ओर से परिवहन मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने 23 जून,2014 को ली गई पत्रकार-वार्ता में कांग्रेस के आरोपों को मिथ्या बताते हुए 316 परिवहन आरक्षकों की एक अहस्ताक्षरित सूची जारी की। उन्होंने मीडिया से यह भी कहा कि इस परीक्षा सहित सभी परीक्षाओं में चयन पारदर्शी तरीक़े से हुआ है।कांग्रेस के काफ़ी दबाव के बाद अंततः भोपाल के एसटीएफ़ थाने में 39 आरोपितों के ख़िलाफ़ अपराध क्रमांक 18/14 दिनांक 14.10.14 को विभिन्न धाराओं-420,467,468,471(क),120 -B, 3(1-2)4,आईटी एक्ट65-66,भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा-13(1) (डी)/13(2) FIR दर्ज की गई। जांच में कई खुलासे सामने आए,कई अभ्यर्थियों के अस्थाई पते तक ग़लत पाए गये।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया

केके मिश्रा ने कहा कि अनियमितता/ भ्रष्टाचार के माध्यम से चयनित अभ्यर्थियों को 2013 में नियुक्तियां दी गई, मामला प्रकाश में आने के बाद भयभीत 17 अभ्यर्थियों ने नियुक्ति आदेश प्राप्त हो जाने के बावजूद भी विभाग को अपनी ज्वाइनिंग ही नहीं दी और अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर 45 कार्यरत आरक्षकों की सरकार को नियुक्ति रद्द करने के आदेश देना पड़े। उन्होंने कहा कि देश की शीर्ष अदालत के निर्देश के बाद राज्य सरकार का इस आदेश के परिपालन करने के बाद इस परीक्षा के परिणामों और नियुक्तियों में हुए भ्रष्टाचार,अनियमितता, घपलों,घोटालों की स्वीकार्यता को प्रमाणित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य है।

पीएम मोदी और सीएम यादव से की ये माँग 

अब अरुण यादव और केके मिश्रा ने कहा है कि व्यापमं महाघोटाले और उसमें शामिल परिवहन आरक्षक परीक्षा में तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह सरकार के ख़िलाफ़ हमारे द्वारा लगाये गये प्रामाणिक आरोप सही साबित हो गये हैं, इससे खिन्न होकर सरकार के द्वारा मेरे (मिश्रा के) विरुद्ध दायर मानहानि प्रकरण में ज़िला न्यायालय, भोपाल से 2 वर्षों की सजा व अर्थदंड करवाया था। केके मिश्रा ने कहा कि ‘हालांकि मैं सर्वोच्च न्यायालय से ससम्मान बरी हुआ, वहीं तत्कालीन परिवहन मंत्री के ओएसडी की भी इसमें संलिप्तता पाई गई थी। लिहाज़ा, ये दोनों ही नैतिकता के नाते अपना त्यागपत्र दें। त्यागपत्र न देने की स्थिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव इन्हें अपने पदों से बर्खास्त करें ताकि भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ संघर्ष और जीरो टॉलरेंस को लेकर उनकी वास्तविक हक़ीक़त सामने आ सके।’ इसी के साथ उन्होंने तत्कालीन मंत्री भूपेन्द्र सिंह पर भ्रष्टाचार को छुपाते हुए मीडिया को ग़लत जानकारी परोसने का आरोप लगाते हुए उनसे सार्वजनिक माफी की मांग की है।

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